HP News: ‘हिम ईरा’ से महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को मिल रहा बाजार! हुनर से बढ़ रही आय, करोड़ों में हुई कमाई
HP News: प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को ‘हिम ईरा’ ब्रांड के तहत बाजार उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘हिमाचल हाट’ प्रमाणिक हिमाचली उत्पादों को प्रदर्शित करने वाला एक जीवन्त बाजार होगा।

HP News: ‘हिम ईरा’ से महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को मिल रहा बाजार! हुनर से बढ़ रही आय, करोड़ों में हुई कमाई
शिमला में लिफ्ट के समीप दो करोड़ रुपये की लागत से ‘हिमाचल हाट’ का निर्माण किया जाएगा। इस हाट की 25 दुकानों में हिमाचल के सभी 12 जिलों के महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि यह हाट एक ही छत के नीचे ग्रामीण कला, शिल्प, हथकरघा, खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों तथा पारम्परिक हिमाचली व्यंजनों को प्रस्तुत करेगा, जिससे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आय बढ़ेगी और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन मिलेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्वयं सहायता समूहों को फूड वैन भी उपलब्ध करवा रही है, जिससे उन्हें लगभग 50 हजार रुपये प्रतिमाह की आय सुनिश्चित हो रही है। प्रदेश में स्वयं सहायता समूह महिला सशक्तिकरण का माध्यम बन रहे हैं। राज्य में 5,428 स्वयं सहायता समूहों, 1257 ग्राम संगठनों और 189 क्लस्टर लेवल फेडरेशन का गठन किया गया है।


उन्होंने कहा कि 14,410 स्वयं सहायता समूहों को 36 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड, 7567 स्वयं सहायता समूहों को 41 करोड़ रुपये सामुदायिक निवेश राशि और 7187 परिवारों को प्रति परिवार जोखिम निवारण निधि के रूप में 36 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 109 हिम ईरा स्थायी दुकानों तथा उनकी बिक्री से 34.95 करोड़ रुपये तथा 81 हिम ईरा साप्ताहिक बाजार में उत्पादों की बिक्री से 29.70 करोड़ रुपये का करोबार हुआ है।
वित्त वर्ष 2025-26 में आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के तहत 10 खंडों को मंजूरी दी गई और 60 वाहन (प्रति ब्लॉक 6 वाहन) उपलब्ध करवाने का लक्ष्य तय किया गया है। अब तक 1.15 करोड़ रुपये से 18 वाहन स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पारम्परिक कला का संरक्षण करने और बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम सीमित के माध्यम से विशेष पहल की है।

कुल्लू के 11 प्रशिक्षण केंद्रों में 108 प्रशिक्षुओं को तीन महीने से एक साल तक का प्रशिक्षण व साथ ही 2400 रुपये का मासिक वजीफा शामिल है। कटराईं, बढ़ई रा ग्रां, सुरढ, डोभी, प्रीणी, खनाग मिथनु जैसे गांवों में हैंड निटिंग, हैंडलूम वीविंग, कारपेट निर्माण और कुल्लवी टोपी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे यहां के महिला और पुरुष स्वरोजगारी बने हैं।
ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि कुल्लू का हस्तशिल्प केवल सांस्कृतिक विरासत नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और आर्थिक प्रगति का माध्यम है। पर्यटन से बढ़ती मांग और सरकारी योजनाओं ने इस पारम्परिक उद्योग को नई ऊर्जा दी है, जो युवाओं को रोजगार के साथ बेहतर भविष्य की ओर प्रेरित कर रहा है। उन्होंने कहा कि कुल्लू-मनाली में पर्यटक स्थानीय हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदकर इस समृद्ध परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं और हजारों कारीगर स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

Our passionate journalist at Newsghat, dedicated to delivering accurate and timely news from Paonta Sahib, Sirmaur, and rural areas. With a focus on community-driven stories, we ensures that every report reaches you with clarity and truth. At Newsghat, it’s all about “आपकी बात”!


