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Himachal Latest News: हिमाचल के प्रख्यात साहित्यकार कुलदीप शर्मा को मिलेगा राष्ट्रीय पंकस अकादमी पुरस्कार

Himachal Latest News: हिमाचल के प्रख्यात साहित्यकार कुलदीप शर्मा को मिलेगा राष्ट्रीय पंकस अकादमी पुरस्कार

Himachal Latest News: हिमाचल के प्रख्यात साहित्यकार कुलदीप शर्मा को मिलेगा राष्ट्रीय पंकस अकादमी पुरस्कार
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Himachal Latest News: हिमाचल के प्रख्यात साहित्यकार कुलदीप शर्मा को मिलेगा राष्ट्रीय पंकस अकादमी पुरस्कार

Himachal Latest News: प्रख्यात साहित्यकार एवं चिंतक कुलदीप शर्मा को साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पंजाब कला साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित ‘राष्ट्रीय पंकस अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें 7 दिसंबर, रविवार को जालंधर स्थित प्रेस क्लब हाल में आयोजित 29वें वार्षिक अकादमी अवार्ड समारोह में प्रदान किया जाएगा।

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Himachal Latest News: हिमाचल के प्रख्यात साहित्यकार कुलदीप शर्मा को मिलेगा राष्ट्रीय पंकस अकादमी पुरस्कार

ऊना जिले के सुकडीयाल गांव में जन्मे कुलदीप शर्मा अपनी सवेंदनशील और सशक्त रचनात्मक अभिव्यक्ति के जाने जाते हैं। उनके कविता संग्रह ‘कवि का पता’,और ‘आत्महत्या से बचे हुए लोग’ तथा उपन्यास ‘मलबा’ ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। यह कविता संग्रह उनके उत्कृष्ट लेखन कर्म का अनुपंम उदाहरण हैं।

उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं के लिए सैंकड़ों कविताएं, समीक्षाएं एवं लेख भी लिखे हैं। इससे पहले भी उन्हें उत्कृष्ट लेखन के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा अनेक पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। कुलदीप शर्मा को दुष्यंत स्मृति सम्मान से भी पुरस्कृत किया जा चुका है। वे राष्ट्रीय विपाशा कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं, जिसके निर्णायक लीलाधर जगूड़ी, विजय कुमार और विजेंद्र जैसे वरिष्ठ साहित्यकार थे।

कविता, आलोचना और कथा, तीनों में सक्रिय उपस्थिति
कुलदीप शर्मा की पहली कविता 1976 में ‘हिमप्रस्थ’ में प्रकाशित हुई। इसके बाद से उनकी कविताएँ और समीक्षाएँ वसुधा, पहल, समकालीन साहित्य, दोआबा, आकंठ, विपाशा, जनपथ, वर्तमान साहित्य, अमर उजाला सहित अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और समाचार परिशिष्टों में प्रकाशित होती रही हैं। उनका नया कविता–संग्रह (छंदबद्ध रचनाएँ, गीत, ग़ज़लें) प्रकाशनाधीन है। एक अंग्रेज़ी उपन्यास की पांडुलिपि भी अंतिम रूप में है।

उनकी कुछ कहानियाँ भी देश की पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। पहली कहानी ‘लोकापवाद’ (1973) पंजाब केसरी में प्रकाशित हुई थी। अकादमी द्वारा प्रदान किया जा रहा यह सम्मान कुलदीप शर्मा के दीर्घकालिक रचनात्मक योगदान, अध्ययनशीलता और साहित्यिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। साहित्य की दुनिया में अपनी स्थायी उपस्थिति बनाए रखने वाले कुलदीप शर्मा लेखन को अपनी प्रमुख साधना मानते हैं।

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उनका कहना है कि सतत सृजन ही किसी लेखक का वास्तविक परिचय और पहचान होती है। शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा हटली के राजकीय विद्यालय में सम्पन्न हुई। इसके बाद उन्होंने जालंधर के डीएवी कॉलेज से प्री-इंजीनियरिंग और हमीरपुर पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। छात्र जीवन में ही उन्होंने रूसी, फ्रेंच और अमेरिकी साहित्य का गंभीर अध्ययन किया।

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डिकेन्ज़, तुर्गनेव, शोलोखोव, चेखव, दोस्तोवस्की, एमिल ज़ोला, पास्तरनाक, जॉर्ज ओरवेल, थॉमस हार्डी जैसे लेखकों ने उनके साहित्यिक बोध को गहराई दी। आइन रैंड की कृतियों ने उनके वैचारिक क्षितिज को और विस्तृत किया। इसी काल में वे कामू और सार्त्र के माध्यम से अस्तित्ववाद की ओर आकर्षित हुए और फिर भारतीय साहित्य में उसकी धारा की खोज की। प्रेम चंद का गोदान, रांगेय राघव का कब तक पुकारूँ और यशपाल का झूठा सच उनकी प्रिय पुस्तके हैं।

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Written by News Ghat

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