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Himachal News: मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस बन रही पशुपालकों की मददगार! पशुओं का घरद्वार पर हो रहा उपचार

Himachal News: मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस बन रही पशुपालकों की मददगार! पशुओं का घरद्वार पर हो रहा उपचार

Himachal News: मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस बन रही पशुपालकों की मददगार! पशुओं का घरद्वार पर हो रहा उपचार

Himachal News: मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस बन रही पशुपालकों की मददगार! पशुओं का घरद्वार पर हो रहा उपचार

Himachal News: हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार ने अनेकों योजनाओं को लागू किया है। इसी कड़ी में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए विभिन्न योजनाओं का लाभ आम जनता को व्यापक स्तर पर मिलना शुरू हो गया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार कृषि और पशुपालन, दुग्ध उत्पादन है।

Himachal News: मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस बन रही पशुपालकों की मददगार! पशुओं का घरद्वार पर हो रहा उपचार

पशुपालन विभाग में प्रदेश सरकार की अग्रणी योजना 1962-मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा 05 मार्च 2024 से लागू की गई। प्रदेश भर में 44 मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस चल रही हैं जबकि अकेले जिला शिमला में 05 मोबाईल एंबुलेंस चल रही हैं।

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अभी तक 1876 पशुओं का हो चुका इलाज
जिला शिमला में 05 मार्च 2024 से लेकर 30 जून 2025 तक 1876 पशुओं का इलाज मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस के माध्यम से किया जा चुका है। इसके साथ ही इन पशुओं के इलाज के लिए 05 एंबुलेंस जिला भर में 69954 किलोमीटर चल चुकी है। इनमें सुन्नी, रामपुर, शिमला शहरी, रोहडू और ठियोग क्षेत्र शामिल है। एंबुलेंस के माध्यम से 90 फीसदी पशुओं का उपचार गांवों में ही हो रहा है।

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पशु संजीवनी कॉल सेंटर
प्रदेश में पशु संजीवनी कॉल सेंटर भी कार्य कर रहे हैं। इसके तहत प्रदेश के पशु पालक किसी भी कोने से टोल फ्री नंबर-1962 पर कॉल कर आपात स्थिति में बीमार पशु के उपचार के लिए पशु चिकित्सा सेवा अपने घर-द्वार पर प्राप्त कर सकते हैं। इसका लाभ ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को व्यापक स्तर पर हो रहा है।

मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस सुबह 09 बजे से लेकर शाम 05 बजे तक घरद्वार पर पशुओं को निशुल्क उपचार मुहैया करवाने के लिए उपलब्ध रहती है। प्रत्येक एंबुलेंस में तीन सदस्यीय टीम होती है जिसमें एक पशु चिकित्सक, एक वेटनरी फार्मासिस्ट और चालक कम हेल्पर उपलब्ध रहता है।

बेसहारा पशुओं के लिए मददगार बनी एंबुलेंस
जिला भर में बेसहारा पशुओं के इलाज के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस मददगार साबित हो रही है। पहले बेसहारा पशुओं को इलाज ऑन स्पॉट पर करना बहुत चुनौती भरा रहता था। ऐसे घायल पशुओं को नजदीकी पशु औषधालय तक लाने के लिए लोगों को काफी मश्क्कत करनी पड़ती थी।

लेकिन अब मोबाइल पशु चिकित्सा एबुलेंस की सुविधा सुचारू होने से लोग तुरंत बेसहारा पशुओं के घायल होने पर सूचना दे देते हैं। इसके बाद मोबाइल पशु चिकित्सा एबुलेंस कुछ मिनटों में स्पाॅट पर पहुंच जाती है।

केस स्टडी
पहले केस में रामपुर क्षेत्र में चल रही एंबुलेंस को 21 जून को आनी खंड की पंचायत बेहना के गांव जमेसी से चमन ने फोन के माध्यम से सूचना दी कि उनकी गाय की एक टांग टूट चुकी है। इसके बाद मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस ने विशेष सर्जन को रामपुर से अपने साथ लेकर उक्त व्यक्ति के घर करीब दोपहर 12 बजे पहुंची जहां पर गाय का सफल ऑपरेशन किया गया और टांग में प्लेट डाली गई।

दूसरा केस 18 दिसंबर 2024 को सुबह 09 बजे के करीब दियोठी गांव के प्रधान संजीव ने फोन के माध्यम से सूचना दी कि उनकी गाय को रिप्रोडक्टिव पार्ट बाहर निकल गया। इसकी सूचना के बाद मोबाइल पशु चिकित्सा एंबुलेंस मौके पर पहुंची और गाय का ऑपरेशन किया। करीब एक महीने की निगरानी के बाद गाय पूरी तरह स्वस्थ हो गई।

तीसरे केस में 16 जून 2025 मंझगांव से सुबह 09 बज कर 7 मिनट पर काॅल आई, जिसमें रामलाल ने बताया कि उनकी गाय पर भालू ने हमला कर दिया है जिसकी वजह से गाय काफी जख्मी हो चुकी है। एबुलेंस रामलाल के घर पर पहुंची और गाय का प्राथमिक उपचार किया।

सुन्नी के शिवि गांव से हेत राम ने अपने बैल में कीड़े और टयूमर होने की सूचना मोबाइल पशु चिकित्सा एबुलेंस को दी। इसके बाद टीम ने घर पहुंच कर बैल से ट्यूमर रिमूव किया और अन्य प्राथमिक उपचार किया। वहीं सुन्नी में 27 जून 2025 को हेमंत मेहता ने सूचना दी कि उनकी गाय बीमार है। मौके पर पहुंची टीम ने जब चैकअप किया तो गाय के पेट में बछड़ा मर चुका था। टीम ने मौके पर ही सी-सेक्शन कर मरे हुए बछड़े को निकाला।

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि प्रदेश में पशु चिकित्सा सेवा किसी भी कार्य दिवस पर सुबह 09 बजे से शाम 05 बजे तक उपलब्ध रहती है। इस सुविधा से लोगों को घरद्वार पर ही उनके पशुओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने में मदद मिल रही है।

उप निदेशक पशुपालन विभाग डा नीरज मोहन ने कहा कि जिला भर में करीब लाईव केटल डेढ़ लाख है, 66 हजार के करीब भेड़ बकरियां है और चार हजार के करीब भैंसें है। मोबाईल एबुलेंस के माध्यम से पशुपालकों को काफी फायदा हो रहा है और उन्हें पशुओं के लिए निशुल्क दवाईयां भी मुहैया करवाई जा रही हैं। इसके अतिरिक्त, लोगों का घायल पशुओं को अस्पताल या डिस्पेंसरी आने ले जाने में होने वाले खर्च की भी बचत हो रही है। इस एंबुलेंस की सुविधा के लिए लोग 1962 टोल फ्री पर कॉल कर सकते हैं।

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Written by News Ghat

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