Himachal Pradesh : एरोपोनिक तकनीक से तैयार आलू के बीज अब नहीं होंगे खराब, सीपीआरआई की नई विधि से मिलेगा फायदा
Himachal Pradesh : देश के किसानों के लिए राहतभरी खबर है। अब एरोपोनिक तकनीक से तैयार किए गए आलू के बीज खराब नहीं होंगे। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला ने इसकी तकनीक विकसित की है।
संस्थान ने इन विट्रो हार्डनिंग तकनीक के जरिए बीज को सख्त करने का तरीका खोजा है। इससे मिनी ट्यूबर मिट्टी में बोने के बाद भी खराब नहीं होंगे।
क्या है यह नई तकनीक?
एरोपोनिक तकनीक से तैयार मिनी ट्यूबर यानी छोटे आलू (5 से 25 मिमी व्यास) मुलायम होते हैं। इन्हें सख्त करने के लिए कोको पीट या रेत जैसे रोगाणुरहित माध्यम का उपयोग किया गया।
इन ट्यूबर को पहले इस माध्यम में रखा गया। फिर इन्हें ग्रीनहाउस में नियंत्रित वातावरण में रखा गया। इससे पौधों में जड़ें अच्छी तरह विकसित हुईं और ट्यूबर सख्त हो गए।
बोने के लिए हुए तैयार
सख्त ट्यूबर भंडारण और खेत में बुवाई के लिए उपयुक्त हो गए हैं। मिट्टी की सख्ती का उन पर असर नहीं पड़ा और परिणाम बेहतर रहे।
क्यों जरूरी थी यह तकनीक?
एरोपोनिक विधि में मिट्टी का प्रयोग नहीं होता, जिससे ट्यूबर मुलायम रहते हैं। किसान इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रख पाते थे। बुवाई के बाद मिट्टी का दबाव इन्हें नुकसान पहुंचाता था।
अब यह नई विधि इस समस्या का समाधान बनकर सामने आई है। इससे आलू उत्पादन में वृद्धि होगी और बीज खराब होने का खतरा भी नहीं रहेगा।
वैज्ञानिकों का विश्वास
सीपीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. के धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि इस तकनीक से किसानों को बेहतर उपज और सुरक्षित बीज मिलेंगे। इससे आलू की खेती को नई दिशा मिलेगी।