HP Latest News: बद्दी और पांवटा साहिब की हवा में जहर घुलने लगा, 163-114 पर पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक
HP Latest News: बद्दी और पांवटा साहिब की हवा में धूल (पीएम-10) की मात्रा नियंत्रण सीमा से परे पहुंच गई है। इसके कारण, वायु गुणवत्ता सूचकांक मोडरेट श्रेणी में आ गया है।
यहां के उद्योगों का कहना है कि वे प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू कर रहे हैं, लेकिन बोर्ड के निरीक्षण के दौरान ही इन उपायों को चालू किया जाता है। जानकारों ने प्रदूषण बोर्ड से कार्रवाई की मांग की है।
HP Latest News: बद्दी और पांवटा साहिब के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता में गिरावट देखने को मिली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एकवआईआई) 163 पर पहुंच गया है जबकि पांवटा साहिब की सूचकांक में दर 114 है।
धर्मशाला, मनाली, शिमला, सुंदरनगर, कालाअंब, नालागढ़, ऊना और परवाणू के वायु गुणवत्ता सूचकांक इस समय सेटेस्फेक्टरी जोन में है।
वहीं, धर्मशाला का सबसे कम 27, मनाली का 41, शिमला का 48 और सुंदरनगर का 34 आंका गया है। यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 से कम होता है, तो इसे गुड श्रेणी में शामिल किया जाता है।
50 से 100 के बीच सेटेस्फेक्टरी और 100 से 200 के बीच मोडरेट श्रेणी में आता है। 200 से 300 के बीच पुअर श्रेणी में माना जाता है।
बद्दी और पांवटा साहिब में उद्योग बिना किसी योजना के बनाए गए हैं। 2003 के पैकेज के बाद, उद्योगों को उपलब्ध जमीन पर स्थापित किया गया।
ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी उद्योगों में ट्रीटमेंट प्लांट लगवाए हैं, लेकिन ये संचालन में नहीं होते हैं। केवल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान ही चलते हैं।
जानकारों का कहना है कि उद्योगों के द्वारा प्रदूषण नियंत्रण नीतियों और नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। वे उद्योगों को सतर्क और जिम्मेदार बनाने के लिए कठोर कार्रवाई और निरीक्षण की गतिविधियों को बढ़ाने की सिफारिश कर रहे हैं।
वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता पवन शर्मा ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से उद्योगों में समय-समय पर औचक निरीक्षण किया जा रहा है।
प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसे मामलों को समय रहते पर नियंत्रण करने के लिए सख्त कदम उठाये जा रहे है।