HP Latest News: हिमाचल में महंगाई और कालाबाजारी पर लगाम कसने के लिए सुक्खू सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम, व्यापारियों ने तरेरी भवें
हिमाचल प्रदेश सरकार ने खाद्यान्न व्यापारियों के लिए नए नियम जारी किए हैं। व्यापारी अब निर्धारित मार्जिन से अधिक मूल्य पर प्रोडक्ट्स नहीं बेच सकेंगे। इसके अतिरिक्त, निर्धारित मात्रा से अधिक खाद्यान्न के स्टॉक को खरीदने या स्टोर करने के लिए अब लाइसेंस लेना होगा।
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मार्जिन प्रॉफिट एंड होर्डिंग एक्ट 1977 की पुनर्स्थापना
कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश में मार्जिन प्रॉफिट एंड होर्डिंग एक्ट 1977 को पुन: लागू किया है। यह ऐसा पहला राज्य है जहां इस कानून को लागू किया गया है। पिछली भाजपा सरकार ने 2018 में इस कानून को समाप्त कर दिया था, लेकिन अब इसे फिर से लागू कर दिया गया है। इसे लागू करने की घोषणा 9 मई को खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा की गई।
नए कानून के प्रभाव
नए कानून के प्रभाव से अनाज और अन्य उत्पादों की कीमतों पर नियंत्रण आएगा। नए कानून के अनुसार, व्यापारियों को निर्धारित सीमा से अधिक कीमत पर उनके उत्पाद नहीं बेचने की अनुमति होगी।
इसके अलावा, व्यापारियों को निर्धारित मात्रा से अधिक खाद्यान्न या अनाज का स्टॉक खरीदने या रखने के लिए लाइसेंस बनवाना होगा। यह कदम खाद्यान्नों की कीमतों पर नियंत्रण लाने और कालाबाजारी को रोकने के लिए उठाया गया है।
इसे हिमाचल प्रदेश में पुनः लागू करने का फैसला कांग्रेस सरकार ने किया है। यह कानून पहली बार 1977 में लागू हुआ था, लेकिन इसे 2018 में पिछली भाजपा सरकार ने रद्द कर दिया था। अब इसे पुनः लागू करने का फैसला किया गया है, और इसे 9 मई 2023 को खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से अधिसूचना के साथ जारी किया गया है।
नए कानून के प्रभाव से, अनाज, दाल और अन्य खाद्यान्न उत्पादों की कीमतों पर नियंत्रण आएगा। इसमें व्यापारियों को निर्धारित मार्जिन पर उनके उत्पादों की बिक्री करने की अनुमति होगी।
उदाहरण के लिए, अगर एक व्यापारी ने अनाज की खरीद मूल्य 100 रुपये प्रति किलो निर्धारित की है, तो वह अधिकतम इसका विक्रय 110 रुपये प्रति किलो कर सकेगा, यदि निर्धारित मार्जिन 10% है।
यह कानून खाद्य आपूर्ति की विफलता से उत्पन्न होने वाली समस्याओं, जैसे कि कीमतों में अनियमितता और कालाबाजारी, को समाधान करने में मदद करेगा।
विशेष रूप से, यह उन गरीब और कमजोर वर्गों की सहायता करेगा जो उच्च मूल्यों के कारण आवश्यक खाद्यान्न खरीदने में सक्षम नहीं होते।
यह नया कानून सामान्य रूप से खाद्यान्न के उत्पादन और वितरण को अधिक पारदर्शी और उचित बनाने की कोशिश है। यह आशा की जा सकती है कि इसके परिणामस्वरूप ग्राहकों के लिए मूल्य स्थिरता और उपलब्धता सुधरेगी।
क्या कहते हैं व्यापारी
हालांकि, इस नई कानून का कुछ व्यापारी समुदायों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि वे अपनी व्यापार की लागतों को कवर करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं, जिसमें किराया, कर्मचारी और अन्य संचालन खर्च शामिल हैं।
वे मानते हैं कि यह कानून उनकी क्षमता को सीमित करता है कि वे अपने उत्पादों के लिए कितना चार्ज कर सकते हैं, जो उनके व्यापार के जीवनयापन को बाधित कर सकता है।
सरकार का दावा है कि यह कानून खाद्यान्न के बाजार को संतुलित बनाया जाएगा।