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HP News: त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह, रोहल, रोहडू ने हासिल किया जीएपी और जीएफसीपी प्रमाणन

HP News: त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह, रोहल, रोहडू ने हासिल किया जीएपी और जीएफसीपी प्रमाणन

HP News: त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह, रोहल, रोहडू ने हासिल किया जीएपी और जीएफसीपी प्रमाणन

HP News: त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह, रोहल, रोहडू ने हासिल किया जीएपी और जीएफसीपी प्रमाणन

HP News: त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह, रोहल, रोहडू ने औषधीय पौधों पर अच्छी कृषि पद्धतियों (जीएपी) और अच्छी फील्ड संग्रहण पद्धतियों (जीएफसीपी) के लिए हिमाचल प्रदेश में पहली बार प्रमाणन हासिल कर इतिहास रचा है। इस प्रमाणन के साथ यह संस्था जीएपी और जीएफसीपी प्रमाणीकरण प्राप्त करने वाली प्रदेश की पहली संस्था बन गई है। यह प्रमाणन फरवरी, 2027 तक वैध रहेगा।

HP News: त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह, रोहल, रोहडू ने हासिल किया जीएपी और जीएफसीपी प्रमाणन

इस संबंध में जानकारी देते हुए क्षेत्रीय निदेशक आरसीएफसी-एनआर 1, राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार स्थित जोगिन्दर नगर डॉ. अरुण चंदन ने बताया कि त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह के कृपाल सिंह और उनकी टीम को आज जोगिंदर नगर में अच्छी कृषि पद्धतियों (जीएपी) और अच्छी फील्ड संग्रहण पद्धतियों (जीएफसीपी) के लिए प्राप्त प्रमाणन संबंधी प्रमाण पत्र सौंपे गए।

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उन्होंने औषधीय पौधों की खेती और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल करने के लिए कृपाल सिंह और उनके समूह को बधाई दी तथा उम्मीद जताई कि इस क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए वे मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे। डॉ. अरुण चंदन ने बताया कि जीएपी और जीएफसीपी प्रमाणीकरण, जड़ी-बूटियों की खेती और संग्रहण के तहत एक बड़े क्षेत्र को कवर करता है। खेती (जीएपी) प्रमाणन के तहत कवर किया गया क्षेत्र 40 हेक्टेयर तक फैला है, जिसमें 94 किसान शामिल हैं।

कुटकी और आतिश प्राथमिक फसलें हैं। इसी तरह संग्रहण (जीएफसीपी) प्रमाणन के तहत कवर किया गया क्षेत्र 60 हेक्टेयर तक फैला हुआ है, जिसमें 74 किसान शामिल हैं। सुगंधवाला, चोरा, महामेदा, धूप और चुकरी मुख्य फसलें हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस संस्था में 15 सदस्य शामिल हैं, जिनमें से पांच समर्पित अधिकारी दिन-रात योगदान दे रहे हैं।

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उन्होंने किसानों को शिक्षित करने और विविध औषधीय पौध प्रजातियों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए कई पहलों को अंजाम दिया है। आयुष विभाग से 300 सब्सिडी प्राप्त किसानों सहित 500 किसानों के साथ जुड़े हुए कृपाल सिंह के प्रयासों ने किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कुटकी, महामेदा, आतिश और अन्य औषधीय पौधों की खेती अब उनकी खेती प्रथाओं का हिस्सा बन गई है, जिससे हर साल पर्याप्त लाभ होता है।

गुणवत्ता और स्थिरता प्रबंधन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए समर्पित-कृपाल सिंह
त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह के कृपाल सिंह ने क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अरुण चंदन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रमाणीकरण औषधीय पौधों की स्थायी कृषि और क्षेत्र संग्रहण प्रथाओं के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। साथ ही कहा कि प्रदेश हित में यह उपलब्धि आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के उत्तरी भारत क्षेत्रीय सुगमता केंद्र, जोगिन्दर नगर के प्रयासों का भी प्रतिफल है।

कृपाल सिंह ने कहा कि औषधीय पौधों के प्रति उनकी बचपन से ही रूचि रही है। उन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि लोग फल और अनाज की खेती पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि औषधीय पौधों की क्षमता को नजरअंदाज कर देते हैं। वर्ष 2004 में उत्तर भारत में आयुष मंत्रालय द्वारा औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक विज्ञापन ने उनके जीवन में नई दिशा और आशा का संचार किया। उन्होंने बताया कि औषधीय पौधों को जंगलों से लाकर अपने अनुसंधान में शामिल किया।

ग्रामीण किसानों को जंगली जड़ी-बूटियों को बिना किसी प्रोटोकॉल के निकालते देखकर, उन्होंने प्रजातियों के विलुप्त होने के खतरे को भांपा और औषधीय पौधों की खेती की ओर कदम बढ़ाया। वर्ष 2017 में राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर के साथ उन्होंने अपने कार्य और आकांक्षाओं को साझा किया। क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अरूण चंदन के मार्गदर्शन में त्रिदेव औषधि पौध उत्पादक किसान समूह संस्था का पंजीकरण हुआ तथा किसानों के साथ सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ावा मिला।

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Written by News Ghat

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