HP News: प्रदेश में मत्स्य आखेट से हटा प्रतिबंध! मछुआरों का रोजगार शुरु, पकड़ी 33.5 किलो ग्राम कतला मछली
HP News: हिमाचल प्रदेश के जलाश्यों एवं सामान्य नदी-नालों व इनकी सहायक नदियों में 20 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं। वर्तमान में प्रदेश के 5 जलाशयों क्रमशः गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम एवं रणजीत सागर जिनका क्षेत्रफल 43785 हैक्टेयर के करीब है में 6022 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं।
HP News: प्रदेश में मत्स्य आखेट से हटा प्रतिबंध! मछुआरों का रोजगार शुरु, पकड़ी 33.5 किलो ग्राम कतला मछली
जबकि प्रदेश के सामान्य जलों वाली नदियों जिनकी लंबाई 2400 किमी के लगभग है में 6000 से अधिक मछुआरे फेंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य में लगे हैं। इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे तथा लोगों को प्रोटीनयुक्त प्राणी आहार मछली के रूप में मिलता रहे, इसका दायित्व हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग का है।
मात्स्यिकी विभाग हिमाचल प्रदेश प्रतिवर्ष सामान्य जलों में दो माह के लिए उपरोक्त सामान्य जलों में मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है क्योंकि इस अवधि में अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं जिससे इन जलों मे स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है। प्रदेश के जलाशयों में मत्स्य धन संरक्षण हेतु विशेष कर्मचारी बल तैनात कर कैम्प लगाये जाते हैं जिससे ये कर्मचारी जल एवं सड़क, दोनों मार्गो से गश्त कर मत्स्य धन की सुरक्षा करते हैं।
16 जून 2024 से 15 अगस्त 2024 तक बन्द सीजन का कार्यान्वयन किया गया है तथा इस अवधि के दौरान प्रदेश के सामान्य जलों में अवैध मत्स्य आखेट के कुल 421 मामले पकडे गए जिनसे विभाग ने मुआवजे के रुप में 3.17 लाख रुपये प्राप्त किए। दो माह के बन्द सीजन के बाद 16 अगस्त 2024 को पहले ही दिन प्रदेश के जलाशयों से 31.8677 मिट्रिक टन का मत्स्य उत्पादन हुआ है।
(गोबिंदसागर जलाशय से 15. 2183 मिट्रिक टन, कोलडैम से 0.066 मिट्रिक टन, पौंग जलाश्य से 16.4014 मिट्रिक टन तथा चमेरा व रणजीत सागर से 0.182 मिट्रिक टन), गोबिन्द सागर जलाशय से सिलवर व मिरर कार्प प्रजाति की मछलियां सर्वाधिक, पौंग जलाशय से सिंघाड़ा व रोहू प्रजाति की मछलियां, कोल डैम जलाशय से मिरर कार्प, चमेरा व रणजीत सागर से सिलवर कार्प मछली पकड़ी गई।
पिछले वर्ष 70 एम एम व 100 एम एम आकार से अधिक का मत्स्य बीज इन जलाशयों में संग्रहित किया गया था। गोबिन्द सागर जलाशय से जगातखाना अवतरण केन्द्र की दाड़ी-बाड़ी मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे सुभाष चन्द द्वारा कतला प्रजाति की मछली सर्वाधिक भार वाली 33.5 किलो ग्राम, पौंग जलाशय से नगरोटा सुरियां अवतरण केन्द्र की नगरोटा सुरियां मत्स्य सहकारी सभा के सुरजन सिंह द्वारा कतला 25.3 किलो ग्राम, रणजीत सागर से संधारा अवतरण केन्द्र की संधारा मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे किशोरी लाल द्वारा सिलवर कार्प 8.0 किलो ग्राम मछली पकड़ी गई।
प्रदेश भर के जलाशयों में गोबिन्द सागर जलाशय से जगातखाना अवतरण केन्द्र की दाड़ी-बाड़ी मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे सुभाष चन्द द्वारा कतला प्रजाति की मछली सर्वाधिक भार वाली 33.5 किलो ग्राम की मछली पकड़ी है। पिछले वर्ष (01.04.2023 से 15.08.2023 तक) की तुलना में प्रदेश के जलाशयों में इस वर्ष (01.04.2024 से 15.08.2024 तक) लगभग 32 मी०टन मत्स्य उत्पादन की बढौतरी दर्ज की गई।
अगस्त 2023 के मुकाबले अगस्त 2024 में गोबिन्द सागर जलाशय में लगभग दोगुना मत्स्य उत्पादन हुआ है। आईसीएआर सीफरी (ICAR- CIFRI) कोलकाता द्वारा दी गई सिफारिशों के अनुरूप गोबिन्द सागर जलाशय के वैज्ञानिक अध्ययन उपरांत केवल 100 एमएम से अधिक के आकार का मत्स्य बीज संग्रहित किया गया जिसके फलस्वरूप मत्स्य उत्पादन में वृद्धि देखी गई।
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