HPBOSE News: हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड से लेना है सर्टिफिकेट तो करना होगा ये काम! बोर्ड ने जारी किया ये फरमान देखें पूरी डिटेल
HPBOSE News: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) ने एक नया निर्णय लिया है, जिसमें 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को उत्तीर्ण प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए 100 रुपये का शुल्क देना होगा।
HPBOSE News: हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड से लेना है प्रमाणपत्र तो करना होगा ये काम! बोर्ड ने जारी किया ये फरमान देखें पूरी डिटेल
यह शुल्क उनके वार्षिक परीक्षा शुल्क के साथ जमा किया जाएगा। इस शुल्क को जमा करने के बाद, विद्यार्थियों को उनकी अंक तालिका के साथ उत्तीर्ण प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जाएगा।
यह नियम सत्र 2023-24 से लागू होगा और यह सरकारी तथा संबद्धता प्राप्त निजी स्कूलों के नियमित परीक्षार्थियों पर लागू होगा। पहले केवल मार्कशीट ही जारी की जाती थी, लेकिन अब प्रमाणपत्र के लिए यह अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा।
इस नए नियम के कारण, अभिभावकों में नाराजगी और रोष देखा गया है। विशेषकर उन वर्गों के लिए जैसे कि दिव्यांग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और ईडब्ल्यूएस, जिन्हें किसी प्रकार की शुल्क में छूट नहीं दी गई है।
साथ ही, 10वीं के लिए वार्षिक परीक्षा शुल्क को 500 रुपये से बढ़ाकर 950 रुपये किया गया है, जिसमें माइग्रेशन और पासिंग प्रमाणपत्र का शुल्क भी शामिल है।
12वीं कक्षा के लिए भी परीक्षा शुल्क में वृद्धि की गई है। इस वृद्धि के साथ, 12वीं कक्षा के छात्रों को अब अधिक शुल्क अदा करना पड़ेगा, जिसमें माइग्रेशन और पासिंग प्रमाणपत्र की लागत भी शामिल है। इस परिवर्तन को लेकर छात्रों और उनके परिवारों में चिंता और असंतोष बढ़ा है।
इसके अलावा, बोर्ड ने यह भी सूचित किया है कि समय पर शुल्क जमा नहीं करने पर अतिरिक्त दंड शुल्क लगाया जाएगा। इससे विद्यार्थियों पर वित्तीय दबाव और भी बढ़ जाएगा।
इस अधिसूचना के जारी होने से अभिभावकों और छात्रों में असंतोष की भावना में वृद्धि हुई है। विशेषकर, उन विद्यार्थियों के लिए जिनके परिवार कम आय वर्ग से हैं, यह निर्णय एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। शिक्षा के लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ उन्हें और अधिक कठिनाइयों का सामना करने के लिए मजबूर कर रहा है।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के इस निर्णय से जहां कुछ लोगों का मानना है कि यह शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए आवश्यक है, वहीं दूसरों का कहना है कि शिक्षा को अधिक सुलभ और सस्ती बनाने की दिशा में यह एक प्रतिकूल कदम है। इस निर्णय का आगे क्या प्रभाव पड़ेगा, यह समय के साथ ही पता चलेगा।