Investment Tips: आप भी अपनी इन्वेस्टमेंट पर पाएं 10 गुना की जगह 100 गुना रिटर्न, जानिए क्या है तरीका…
Investment Tips : मल्टीबैगर रिटर्न उसी कंपनी के शेयर से मिलेगा, जो लगातार ग्रो कर रही होगी। कोई ऐसी कंपनी जिसके राजस्व में वृद्धि हो रही हो, उसकी आए दिन प्रतिदिन बढ़ रही हो, तथा उसका मार्जन अधिक हो या उसके प्रति शेयर पर इनकम अधिक हो।
क्या है मल्टीबैगर रिटर्न…
वैसे तो यहां ’10-बैगर’ शब्द बड़ा प्रचलित है। लव है कि ऐसा निवेश जिसमें लगाई गई रकम 10 गुना हो जाए।लेकिन 10 बैगर आगे का रास्ता 100 बैगर की और जाता है का मतलब है लगाए गए पैसे पर 100 गुना इजाफा होना।
आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसा भी हो सकता है।
जी हां, भारत में 100-बैगर शेयर्स की कमी नहीं है। भारत में दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं, जो इस स्तर तक पहुंची हैं।
जाने कौन सी है वह कंपनियां…
इंफोसिस, टाइटन, एचडीएफसी बैंक, एशियन पेंट्स सहित कई ऐसे शेयर हैं, जिनमें निवेशकों की रकम 100 गुना हुई है। हालांकि, इसमें काफी लंबा वक्त लगता है।
हम मोटे तौर पर देखें, तो बीएसई सेंसेक्स जो 1979 में 100 रुपये के बेस के साथ शुरू हुआ था, वह फरवरी, 2006 में 10,000 अंक का आंकड़ा छूकर पहली बार 100-बैगर बना था। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि वह कौन-सी रणनीति है, जिससे हम अपने पैसे को 100 गुना कर सकते हैं।
हम कुछ वर्षों में 1 को 100 में बदलना चाहते हैं। इस सूत्र में r सालाना रिटर्न और t वर्ष को दर्शाता है। निवेशक इस सूत्र को कई तरीकों से यूज कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपको 30 साल में अपने एक लाख रुपये को एक करोड़ रुपये बनाना है, तो आपको 16.6 फीसद के सालाना रिटर्न की जरूरत होगी।
इसके साथ ही आप इस सूत्र से यह भी जान सकते हैं कि एक निश्चित रिटर्न पर अपनी रकम को 100 गुना करने में आपको कितना वक्त लगेगा। जैसे अगर आपको 12 फीसद रिटर्न मिल रहा है, तो आपके एक लाख रुपये 40.6 साल में एक करोड़ बन जाएंगे।
इसी तरह 15 फीसद के सालाना रिटर्न पर आपको अपने निवेश को 100 गुना करने में 33 साल लग जाएंगे। वहीं, आप 11 वर्षों में अपना पैसा 100 गुना करना चाहते हैं, तो आपको एक ऐसे निवेश की पहचान करनी होगी, जो इस अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष 50% तक रिटर्न दे।
कौन-सी कंपनी देगी मल्टीबैगर रिटर्न
मल्टीबैगर रिटर्न उसी कंपनी के शेयर से मिलेगा, जो लगातार ग्रो कर रही होगी। कंपनी का ईपीएस (EPS) ऊपर जाता है, तो हमेशा उस कंपनी के शेयर की कीमत भी ऊपर जाती है।
प्राइस अर्निंग मल्टीपल भी अहम
केवल ईपीएस बढ़ाना ही काफी नहीं बल्कि बढ़ता हुआ प्राइस अर्निंग मल्टीपल भी जरूरी है। एक प्राइस अर्निंग मल्टीपल या पीई रेश्यो (PE Ratio) सिर्फ यही नहीं बताता है कि शेयर कितना महंगा है।
मान लो अगर कोई किसी स्टॉक या किसी सेक्टर का लंबे समय से अध्ययन करता है, जो वह जान सकता है कि वह कंपनी या सेक्टर निवेशकों के लिए कितना वैल्यूबल है।
पीई रेश्यो कई चीजों पर निर्भर करता है। सबसे बड़ी बात, एक कंपनी की कमाई की क्षमता में वृद्धि होनी चाहिए। यह आमतौर पर तेजी से ग्रो कर रही या नई कंपनियों में देखा जाता है। उन कंपनियों और सेक्टर्स की तलाश करें, जिनके पीई मल्टीपल के ऊपर की ओर जाने की संभावना है।
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छोटी कंपनियां हों पहली पसंद
बड़ी कंपनियों की तुलना में छोटी कंपनियों के लिए 100-बैगर बनना आसान है।किसी 2% बाजार हिस्सेदारी वाली कंपनी को अपनी बाजार हिस्सेदारी को दोगुना, तिगुना करना बहुत आसान होना चाहिए।ना की उस कंपनी की तुलना में जो 30% बाजार हिस्सा ले बैठी हो।
कंपनी के लो बेस के चलते यह आसान होता है। इसका मतलब उन कंपनियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा, जिनका एम-कैप 5,000 करोड़ से कम हो या शायद 3000 करोड़ से भी कम हो।
धैर्य सबसे महत्वपूर्ण
क्रिस्टोफर मेयर द्वारा किए गए शोध ने निष्कर्ष निकाला कि एक कंपनी को 100-बैगर कंपनी बनने में औसतन 26 साल लगते हैं। जिसका मतलब यह है कि भले ही आप जल्दी निवेश करना शुरू कर दें, फिर भी आप अपने 40 या 50 के दशक में होंगे, जब आप अपना पहला 100-बैगर देखेंगे।
अर्थात आपकी सफलता में धैर्य एक महत्वपूर्ण फेक्टर होगा। इस बात की बहुत संभावना है कि निवेशकों को इस रास्ते में बहुत से उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे।
नेटफ्लिक्स एक और महत्वपूर्ण उदाहरण है। कंपनी ने एक ही दिन में अपने वैल्यू का 25% खो दिया था। केवल एक बार नहीं, बल्कि इतिहास में चार बार ऐसा हुआ है।
इसलिए जरूरी है की निवेशको को एक सही शेयर का चुनाव करने के बाद लंबे समय तक स्थिर रहना चाहिए, जिससे बड़ा रिटर्न प्राप्त हो सके। क्योंकि धैर्य का रास्ता ही सफलता की ओर ले जाता है।