Investment Tips: SIP में निवेश से पहले जरूर जान लें ये 13 अहम बातें – बढ़ाएं जाएगा मुनाफा और घटेगा जोखिम
Investment Tips: सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान SIP एक ऐसी फाइनेंशियल प्लानिंग होती है, जिसके माध्यम से निवेशक अपनी सुविधा अनुसार म्युचुअल फंड में निवेश कर सकता है।
Investment Tips: SIP में निवेश से पहले जरूर जान लें ये 13 अहम बातें – बढ़ाएं जाएगा मुनाफा और घटेगा जोखिम
इस इन्वेस्टमेंट प्लानिंग के अंतर्गत निवेशक एक नियमित अंतराल को आधार बनाते हुए मासिक, त्रैमासिक अर्धवार्षिक या वार्षिक आधार पर Mutual fund में निवेश आरंभ कर सकता है।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान SIP निवेश का एक अनुशासित और सुविधाजनक तरीका है जिससे निवेशक छोटी सी राशि दीर्घकालिक समय तक निश्चित अंतराल में निवेश कर बड़ा फंड तैयार कर सकता है।
SIP में निवेश करने से पहले हर निवेशक को कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ध्यान रखना जरूरी है यह तथ्य इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि SIP के दौरान निवेशक को किसी प्रकार का नुकसान ना हो वही निवेशक जोखिम और रिटर्न की सटीक गणना करने के पश्चात निवेश आरंभ कर सके।
आईए जानते हैं SIP में निवेश करने से पहले ध्यान रखने योग्य 13 जरूरी तथ्य
वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट करना : SIP में निवेशक को निवेश करने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट करने आवश्यक है क्योंकि यह निवेश योजना दीर्घकालीन निवेश योजना होती है।
एक बार निवेश करने के पश्चात आपका पैसा लॉक हो जाता है ऐसे में निवेशक के लिए जरूरी है कि वह लंबे समय के लक्ष्य को तय करने के पश्चात ही इस निवेश योजना में निवेश आरंभ करें।
आपातकालीन फंड की तैयारी : हमेशा SIP में निवेश करने से पहले निवेशक को यह ध्यान में रखना चाहिए कि यह निवेश दीर्घकालीन होता है ऐसे में निवेशक के पास में अगले 1 साल के लिए आपातकालीन फंड तैयार होना आवश्यक है ताकि किसी भी फाइनेंशियल ईमरजंसी के चलतेSIPको बीच में बंद ना करना पड़े।
जोखिम की गणना और निवेश की अवधि : SIP में निवेश हमेशा जोखिम भरा होता है। ऐसे में निवेशक को अपनी जोखिम सहने की क्षमता ध्यान में रखना आवश्यक है।
जोखिम के आधार पर निवेशक फंड का चयन कर सकता है और एक लंबी अवधि के लिए इस फंड में निवेश कर बेहतर रिटर्न हासिल कर सकता है।
फंड के पिछले प्रदर्शन का विश्लेषण : SIP में निवेश निवेशक को उपलब्ध सभी फंड के पिछले 5 से 10 साल के प्रदर्शन को ध्यान में रखना आवश्यक है।
इसके पश्चात ही निवेशक को फंड के परफॉर्मेंस, ऐसेट एलोकेशन और स्थिरता को ध्यान में रखते फ़ंड का चुनाव करना चाहिए और तत्पश्चात निवेश आरंभ करना चाहिए।
एक्सपेंस का अनुपात: SIP में निवेशक को ऐसे फंड में निवेश करना चाहिए जहां एक्सपेंस रेशों कम हो ताकि निवेशक की राशि का एक बड़ा हिस्सा एसेट एलोकेशन में जाए और शुल्क की राशि तुलनात्मक रूप से कम हो।
निवेश से पहले फ़ंड का डायवर्सिफिकेशन : SIP में हमेशा निवेशक को जोखिम को बांटना आवश्यक होता है। निवेशक को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह एक ही फंड में निवेश न करें बल्कि जोखिम को बांटते हुए Equity, Debt, Hybrid फंड में संतुलन बनाते हुए ही निवेश आरंभ करें।
टैक्स बेनिफिट: SIP में निवेश करने के दौरान निवेशक को टैक्स इंप्लीकेशन की भी तुलना करनी अनिवार्य है। बता दे इक्विटी फंड में और डेप्ट फंड में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में टैक्स इंप्लीकेशंस अलग-अलग प्रतिशत की हो सकती है ऐसे में निवेशक को अपना फायदा देखते हुए फ़ंड का चयन कर SIP में निवेश करना चाहिए।
SIP में अतिरिक्त राशि का निवेश: SIP में इन निवेश करने के पश्चात हमेशा निवेशक को कुछ अंतराल पर SIP की राशि को बढ़ाना चाहिए जिससे निवेश राशि में वृद्धि होती है और रिटर्न भी उच्च दर का मिलता है और इसके लिए निवेशक को SIP लेने से पहले ही प्लानिंग करनी अनिवार्य है।
मार्किट नही बल्कि अनुशासित निवेश पर ध्यान : SIP योजना शेयर मार्केट से बिल्कुल भिन्न होती है। इस इन्वेस्टमेंट योजना में निवेशक को बाजार पर रिसर्च करने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि यह दीर्घकालीन इन्वेस्टमेंट प्लानिंग होती है इसीलिए इसमें यदि निवेशक अनुशासन के साथ निवेश जारी रखता है तो शत प्रतिशत लाभ प्राप्त होता है।
निवेश से बाहर आना : SIP में हमेशा निवेश करने से पहले यह तय करें कि कौन से फंड में जल्दी पैसा निकालने पर कम से कम अमाउंट डिडक्ट (कटता) होता है।
वही कौन से फंड में कितने समय का LOCK IN पीरियड होता है। यह विश्लेषण आपको भविष्य में फंड की गारंटी प्रदान करता है ताकि इमरजेंसी के दौरान फंड निकालते समय आपको न्यूनतम नुकसान झेलना पड़े।
इन्फ्लेशन को ध्यान में रख कर करें निवेश : SIP में निवेश केवल सेविंग के उद्देश्य से नहीं किया जाता बल्कि जोखिम को ध्यान में रखते हुए मार्केट से ज्यादा रिटर्न प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
इसीलिए निवेशक को हमेशा ऐसे फंड का चयन करना चाहिए जहां महंगाई दर से ज्यादा रिटर्न प्राप्त हो सके। हालांकि इसके लिए निवेशक फंड मैनेजर से रणनीति और बाजार अस्थिरता की पूरी जानकारी ले सकता है।
निश्चित अंतराल पर फंड की समीक्षा : SIP में निवेश करने से पहले निवेशक को यह भी ध्यान में रखना होगा कि उन्हें हर 6 से 12 महीने के बीच में फंड की समीक्षा करनी होगी ताकि निवेशक बाजार की अस्थिरता को देखते हुए फंड के अमाउंट को रीडायरेक्ट कर उसे फिर से संतुलित कर पाए।
जल्द निवेश ज्यादा फायदा: SIP में निवेश कंपाउंडिंग का फायदा देता है अर्थात निवेशक जितना जल्दी निवेश करते हैं उन्हें लाभ उतना ज्यादा मिलता है।
ऐसे में निवेशक को हमेशा SIP निवेश कम आयु से ही आरंभ करना चाहिए ताकि बाजार के उतार चढ़ाओ को लेकर घबराहट कम हो और दीर्घकालिक निवेश योजना में डिसिप्लिन बना रहे।
जरूरी बात…
कुल मिलाकर इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यदि कोई निवेशक SIP में निवेश आरम्भ करता है तो बाजारी उतार चढ़ाव के बावजूद निवेशक भावनात्मक रूप से मजबूत बना रहता है और SIP के जोखिम को समझते हुए अपने लिए बेहतर फ़ंड निर्धारण कर पाता है जिससे निवेशक को निश्चित ही लांग टर्म कैपिटल गेन (LTGC ) मिलता है।