Joint Home Loan लेने का है इरादा ? तो 3 बातों का रखें ध्यान
वरना हो सकता है बड़ा नुकसान
वर्तमान में कई बार होम लोन लेना चाहते है तब यह आसानी से इसको मंजूरी नहीं मिलता है तथा इसमें दिक्कत आता है, पर ऐसे लोगों के लिए जॉइंट होम लोन बड़ी राहत देने वाला हो सकता है और यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति के साथ मिलकर लोन लेते हैं, तब इसके बहुत फायदे हैं।
आपको बता दे कि एक फायदा तो यह है कि इससे आपके ऊपर से लोन चुकाने का बोझ कम हो जाता है, तथा आप अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर एक बड़ा घर खरीद सकते हैं तथा इसके साथ साथ आपको सरकार रजिस्ट्रेशन शुल्क पर डिस्काउंट ऑफर प्रदान करता है।
हालांकि, इसमें फायदे के साथ ही कुछ जोखिम भी जुड़े हुए हैं, एवं जिनके बारे में जानना जरूरी है, तो चलिए दोस्तो जानते हैं कि जॉइंट होम लोन लेते समय किन जोखिमों का ध्यान रखना जरूरी है।
क्रेडिट स्कोर हो सकता है खराब
यदि आप जॉइंट होम लोन लेते है और आपका पार्टनर अपने हिस्से का भुगतान करने से इनकार करता है, तब ऐसे स्थिति में यह आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकता है, और एक्सपर्ट्स के अनुसार, ज्यादातर डिफ़ॉल्ट पेमेंट को-एप्लीकेंट के साथ होता है।
इसके साथ ही जब आप ज्वाइंट होम लोन लेते हैं तब आप दोनों की क्रेडिट लिमिट खत्म हो जाता है, और यदि आप इमरजेंसी की स्थिति में या अपने बच्चे के लिए एजुकेशन लोन लेना चाहते है तब ऐसे स्थिति में यह जोखिम भरा हो सकता है।
तलाक या मृत्यु की स्थिति में क्या होगा
आप मान लीजिए कि कोई शख्स अपने पार्टनर के साथ मिलकर जॉइंट होम लोन लेता है तथा वह बाद में किसी वजह से इसे अलग करना चाहता है तब ऐसी स्थिति में वह मुश्किल में पड़ सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि तलाक के बाद, यदि पति या पत्नी में से एक ईएमआई का भुगतान करना बंद कर देता है, तब इसे चुकाने का बोझ दूसरे एप्लीकेंट पर पड़ता है।
साथ ही आप ध्यान दें कि एप्लीकेंट पूरी संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त किए बिना EMI का भुगतान करेगा तथा इसके साथ ही लोन चुकाने में असमर्थता दोनों बॉरोअर्स के लिए कानूनी समस्याएं पैदा कर सकता है।
ऐसे में हमेशा जॉइंट होम लोन लेने से पहले एक्सपर्ट्स की सलाह लेने का सुझाव दिया जाता है, और इसी तरह यदि पति या पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाता है, तब लोन चुकाने की पूरी जिम्मेदारी दूसरे के ऊपर आ जाता है।
ओनरशिप का अधिकार
बात करे यदि जॉइंट लोन के मामले में तब घर का ओनरशिप समान रूप से डिवाइड होता है व इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि ईएमआई का भुगतान किसने किया है, और इसके साथ ही जब एक से ज्यादा मालिक होते हैं। तब संपत्ति बेचना मुश्किल हो जाता है।
जब तक दोनों ओनर बेचने के लिए सहमत न हों, तब तक इसे नहीं बेचा जा सकता है इसलिए जॉइंट लोन में थोड़ा समस्या आने की संभावना रहता है।