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Loan Defaulter Rights: लोन न चुका पाने के कारण हो गए डिफॉल्टर तो जान लें डिफॉल्टर के तौर पर क्या हैं आपके अधिकार

Loan Defaulter Rights: लोन न चुका पाने के कारण हो गए डिफॉल्टर तो जान लें डिफॉल्टर के तौर पर क्या हैं आपके अधिकार
Loan Defaulter Rights: लोन न चुका पाने के कारण हो गए डिफॉल्टर तो जान लें डिफॉल्टर के तौर पर क्या हैं आपके अधिकार
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Loan Defaulter Rights: लोन न चुका पाने के कारण हो गए डिफॉल्टर तो जान लें डिफॉल्टर के तौर पर क्या हैं आपके अधिकार

Loan Defaulter Rights: आज के वित्तीय उतार चढ़ाव के दौर में लोन लेना आम बात हो गई है। शादी ब्याह हो या बीमारी या फिर शुरू करना हो नया कारोबार शुरू करना हो, बिना लोन के संभव नहीं हो पाता।

लेकिन आर्थिक उथल पुथल के बीच लोन डिफॉल्टर हो जाना भी आम बात हो गई है। एक बार लोन डिफॉल्टर हो जाने के बाद व्यक्ति तनाव का शिकार हो जाता है। यहां तक आए दिन कर्ज के दबाव में कई लोन डिफॉल्टर्स के आत्महत्या जैसे कदम उठाने के मामले सामने आते हैं।

Loan Defaulter Rights: लोन न चुका पाने के कारण हो गए डिफॉल्टर तो जान लें डिफॉल्टर के तौर पर क्या हैं आपके अधिकार

Loan Defaulter Rights: जैसे ही कोई कर्जधारक व्यक्ति लोन की किस्तें नही दे पाता तो बैंक उसे डिफॉल्टर घोषित कर देता है। ऐसे में यह सामान्य बात है कि व्यक्ति को बैंक से फोन आए, जिसमें उससे जल्द से जल्द पैसे चुकाने को कहा जाए।

अगर वजह सही है, तो व्यक्ति के साथ नियमों के तहत अच्छा बर्ताव किया जाता है। कर्ज धारक के तौर पर, आपको अपने अधिकारों के बारे में अच्छे से पता होना चाहिए। जिससे आप वित्तीय तनाव की किसी भी स्थिति से बेहतर तरीके से निपट सकें। तो आइए शुरू करते हैं…

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Loan Defaulter Rights: सिक्योर्ड लोन के मामले में क्या है कार्जधारक के अधिकार

कर्जधारक के पास बैंक से संपर्क करने और सुनवाई का अधिकार रहता है। सबसे पहले, व्यक्ति को लोन अफसर से अपने सही स्टेटस को लेकर संपर्क करना चाहिए।

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नौकरी चले जाने अथवा मेडिकल इमरजेंसी आदि के मामले में बैंक को सूचित करना चाहिए और बताना चाहिए कि वे लोन क्यों नहीं चुका पाया है ? इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि यह बातचीत लिखित माध्यम जैसे ईमेल के माध्यम से होनी चाहिए।

अगर एक माह के बाद भी कर्जधारक अगली EMI का इंतजाम नहीं कर पाता है, तो फिर वह मोहलत को आगे बढ़ाने के लिए कह सकता है। कर्जधारक जुर्माने के साथ बैंकों से ईएमआई को 90 दिन या तीन बार भुगतान टालने को कह सकता हैं।

Loan Defaulter Rights: अगर कर्जधारक एसेट को सरेंडर करना चाहे तो क्या है अधिकार

यहां ये भी जान लें कि अगर कर्जधारक तीन मासिक ईएमआई नही दे पाता है तो इसके बाद बैंक इसे नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर देता है। 90 दिन के बाद बैंक SARFAESI Act. के तहत 60 और दिनों के लिए नोटिस भेजता है।

कुल 150 दिन की अवधि के बाद बैंक कम से कम 30 दिन का एक अंतिम पब्लिक नोटिस जारी करता है। इस नोटिस में कर्जधारक को एसेट की बिक्री के बारे में जानकारी दी जाती है।

इस तरह से ग्राहक को जुर्माने का भुगतान करने के लिए कुल 180 दिन की अवधि मिलेगी। जानकार कहते हैं कि EMI को जारी रखें और एसेट को अपने पास मौजूद रखें।

Loan Defaulter Rights: अनसिक्योर्ड लोन के मामले में क्या अधिकार

कर्जधारक लोन रिस्ट्रक्चरिंग का विकल्प चुन सकता है। वे एक कोलेटरल दे सकते हैं और अनसिक्योर्ड लोन को सिक्योर्ड लोन में बदल सकते हैं।

अगर कर्जधारक का पिछला रिकॉर्ड अच्छा है, तो फिर बैंक उन्हें तीन से छह महीने की फ्री ईएमआई अवधि दे सकता है।

बैंक अपने एनपीए को बढ़ाना नहीं चाहते। ऐसे में वे कुछ भी नहीं की तुलना में कुछ भी मंजूर कर लेते हैं।

हालांकि, इस कदम से कर्जधारक के सिबिल स्कोर पर बुरा असर पड़ता है। उसे भविष्य में लोन हासिल करने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

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Written by newsghat

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