Loan NPA 2022: क्या होता है नॉन पेबल अकाउंट, कब होता है लोन NPA, लोन लेने पर इसका क्या होता है असर
वर्तमान समय में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के मुताबिक यदि आज के समय में किसी बैंक लोन की किस्त 90 दिनों तक यानी तीन महीने तक नहीं चुकाई जाती है, तब उस लोन को बैंक द्वारा एनपीए घोषित कर दिया जाता है।
अन्य वित्तीय संस्थाओं के मामले में यह सीमा 120 दिन तक का होता है, बैंक उसे फंसा हुआ कर्ज मान लेते हैं, और एनपीए बढ़ना किसी बैंक की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
इसके साथ ही एनपीए कर्ज लेने वाले के लिए भी मुश्किलें खड़ी करता है, और आइए जानिए किस तरह एनपीए लोन लेने वाले पर डालता है बुरा असर।
सिबिल रेटिंग होती है खराब :
आज के समय में यदि कोई कर्जधारक लगातार तीन महीने तक बैंक की किस्त नहीं चुका पाता है, ऐसे स्थित में लोन को उस कर्जधारक के एनपीए घोषित कर दिया जाता है।
तब इससे कर्जधारकों की सिबिल रेटिंग खराब हो जाती है, और आज के समय में कर्ज लेने के लिए सिबिल रेटिंग का अच्छा होना बहुत जरूरी है।
यदि आपका सिबिल रेटिंग खराब हो जाता है, तब कस्टमर्स को आगे किसी भी बैंक से लोन लेने में मुश्किलें होता है। यदि किसी तरह लोन मिल भी जाता है, तब आपको उस लोन के लिए बहुत ज्यादा ब्याज दरें चुकाने की आवश्यकता पड़ता है।
तीन प्रकार के होते हैं एनपीए :
वर्तमान समय में जब भी हम एनपीए के बारे में पढ़ते या सुनते हैं, तब लोगों को लगता है कि बैंक की रकम डूब गयी है, पर आपको बता दे की ऐसा नहीं है, और खाते को एनपीए घोषित करने पर बैंक को तीन श्रेणियों में विभाजित करना होता है, यह सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स होता है।
जब कोई लोन खाता एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की श्रेणी में रहता है तब उसे डाउटफुल असेट्स कहा जाता है, तथा लोन वसूली की उम्मीद न होने पर उसे ‘लॉस असेट्स’ मान लिया जाता है।
आखिरी विकल्प होता है नीलामी
आपके जानकारी के लिए बता दे कि बैंक की तरफ से लोन लेने वाले को लोन को चुकाने के लिए काफी समय दिया जाता है, पर यदि लोन लेने वाला व्यक्ति फिर भी कर्ज नहीं चुका पाता है, तब ऐसे स्थित में बैंक उसे रिमाइंडर तथा नोटिस भेजता है।
इसके बाद भी यदि ऋण लेने वाला व्यक्ति लोन का भुगतान नहीं करता है, ऐसे स्थित में बैंक उसकी प्रॉपर्टी को कब्जे में लेता है तथा इसके बाद नीलामी करता है, यानी लोन चुकाने के लिए बैंक कई मौके देता है, फिर भी न चुकाने पर प्रॉपर्टी की नीलामी करके लोन की रकम की भरपाई किया जाता है।
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