MSP full form in Hindi | MSP ka full form in hindi
नमस्कार दोस्तों, आपके पसंदीदा न्यूज़ घाट में आपका स्वागत है आशा करते हैं कि आप हमेशा की तरह स्वस्थ और मस्त होंगे तो आज हम जानेंगे की MSP क्या है in Hindi, MSP की फुल फॉर्म क्या होती है?, MSP full form in Hindi, और न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है?, इन सभी बातों को आज के इस लेख में हम जानेंगे, तो आइए बिना देरी के शुरू करते हैं…!
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि किसान को हमारे देश में अन्नदाता का दर्जा मिला हुआ है, और मिले भी क्यों ना जब सारा अनाज की किसान उगा कर देते हैं| लेकिन फिर भी किसानों को आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाना पड़ता है क्यों? कभी आपने सोचा है आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा| तो उसका सीधा सा जवाब यह है कि किसान को उसकी फसल के अनुसार कीमत नहीं मिल पाती, और उसके द्वारा लिया गया ब्याज उसके ऊपर चढ़ता जाता है| जिस वजह से किसान को आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इसके लिए सरकार कुछ करती क्यों नहीं? तो थोड़ा रुक जाइए आज हम आपको वहीं बताने वाले हैं कि सरकार आखिर करती क्या है किसानों के लिए?
तो पहले यह जान लीजिए कि आपको इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ना है तभी आपको सभी चीजें आपके दिमाग में क्लियर हो पाएगी वरना अधूरा ज्ञान किस काम का इसलिए आर्टिकल को अंत तक ध्यान से पढ़ें|
तो आइए जानते हैं न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है? MSP क्या है in Hindi और इससे जुड़ी वह सब महत्वपूर्ण चीजें जो आपको जाननी चाहिए|
MSP क्या है in Hindi
MSP उस चिड़िया का नाम है जिसे सरकार तय करती है| क्या हुआ? समझ नहीं आया अब आएगा MSP यानी Minimum Support Price या जिसे हिंदी में न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है| सरकार की ओर से किसानों की कुछ फसलों पर दाम की गारंटी होती है| अब होता यह है कि बाजार में उस फसल का दाम चाहे कुछ भी हो लेकिन सरकार एक निश्चित कीमत पर उस फसल को खरीद लेगी| और वह कीमत सरकार द्वारा तय की गई होती है और उसे ही MSP कहा जाता है|
अब इससे फायदा यह होता है कि किसानों को यह पता चल पाता है कि उनकी फसल का एक न्यूनतम मूल्य क्या है या अभी उस फसल का दाम क्या चल रहा है? हालांकि अनाज मंडियों में उस फसल का भाव ऊपर नीचे उतार-चढ़ाव के कारण चलता रहता है| अब यहां किसान की स्वयं की इच्छा होती है कि वह अनाज किसे बेचे सरकार को या अनाज मंडियों में जाकर| यह किसान पर निर्भर करता है कि उसे ज्यादा कीमत कहां मिल रही है| यदि उसे लगता है की सरकार उसे कम कीमत फसल के बदले दे रही है| तो किसान अपनी फसल को मंडियों में जाकर देख सकते हैं| और यदि किसान को लगता है कि मंडियों में फसल के भाव गिरे हुए हैं, या उचित दाम नहीं मिल रहे हैं| तो किसान सरकार को सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल को बेच सकते हैं|
MSP full form in Hindi
MSP का फुल फॉर्म Minimum Support Price होता है|
M: Minimum
S: Support
P: Price
MSP कृषि उत्पादकों को कृषि कीमतों में किसी भी तेज गिरावट के खिलाफ बीमा करने के लिए भारत सरकार द्वारा बाजार में हस्तक्षेप का एक रूप होता है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर कुछ फसलों के लिए बुवाई के मौसम की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी जाती है। MSP भारत सरकार द्वारा उत्पादक-किसानों को बंपर उत्पादन वर्षों के दौरान कीमतों में अत्यधिक गिरावट से बचाने के लिए निर्धारित मूल्य होता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार से उनकी उपज के लिए एक गारंटी मूल्य है। MSP का प्रमुख उद्देश्य किसानों को संकटपूर्ण बिक्री से समर्थन देना और सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न की खरीद करना है। यदि बाजार में बंपर उत्पादन और भरमार के कारण वस्तु का बाजार मूल्य घोषित न्यूनतम मूल्य से कम हो जाता है, तो सरकारी एजेंसियां किसानों द्वारा दी गई पूरी मात्रा को घोषित न्यूनतम मूल्य पर खरीद लेती हैं।
MSP कौन निर्धारित करता है?
किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य कृषि लागत और मूल्य आयोग ( CACP) की सिफारिशों के आधार पर, कृषि और सहकारिता विभाग, भारत सरकार, 23 फसलों के लिए उनके बुवाई के मौसम से पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करता है।
यह विभाग लगभग सभी फसलों की कीमत सही करतेा हैं| लेकिन गन्ने की न्यूनतम समर्थन मूल्य गन्ना आयोग द्वारा तय किया जाता है|
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को निर्धारित करने वाले तत्व या कारक
CACP के अनुसार आयोग अपने अधिदेश के तहत विभिन्न वस्तुओं की मूल्य नीति की सिफारिश करते समय CACP को 2009 में दिए गए विभिन्न संदर्भ शर्तों (ToR) को ध्यान में रखता है। उसी अनुसार, यह विश्लेषण करता है।
1) मांग और आपूर्ति
2) उत्पादन की लागत
3) घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के रुझान
4) अंतर-फसल मूल्य समता
5) कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें
6) उत्पादन की लागत पर मार्जिन के रूप में न्यूनतम 50 प्रतिशत
7) उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर MSP के संभावित प्रभाव
यह ध्यान देने वाली बात है कि उत्पादन की लागत एक महत्वपूर्ण कारक है जो MSP के निर्धारण में एक इनपुट के रूप में जाता है, लेकिन यह निश्चित रूप से एकमात्र कारक नहीं है जो MSP निर्धारित करता है।
क्या MSP पूरे देश के लिए होती है?
इसका उत्तर है जी हां, पूरे देश के लिए एक ही MSP मुल्य लागू होता है क्योंकि ऐसा कोई क्षेत्रीय न्यूनतम समर्थन मूल्य वाला ड्राफ्ट फ़िलहाल मौजूद नहीं है| इस प्रकार, पूरे देश में फसलों के लिए समान MSP का पालन किया जाता है।
MSP का निर्धारण केंद्र सरकार के आयोग कृषि लागत और मूल्य आयोग ( CACP) द्वारा किया जाता है| जोकि पूरी राष्ट्र पर लागू होता है| इस प्रकार हम कह सकते हैं कि msp पूरे देश के लिए होती है|
MSP किसानों के लिए अच्छा है या बुरा?
हमने पाया कि MSP के कुछ फायदे और नुकसान हैं। अतः हम यहां आपको MSP के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में बता रहे हैं उसके बाद अपना निर्णय आप स्वयं ले सकते हैं|
MSP के फायदे/Advantages of MSP
•न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली सरकार के लिए फसल की कीमतों में तेज गिरावट और वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करती है।
•न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली की अवधारणा किसानों के लिए एक सुरक्षा के रूप में कार्य करती है ताकि उनकी फसलों को उनके उत्पादों के लिए राशि मिले और उन्हें अपने नुकसान को बनाए रखने में मदद मिले, और उन पर अत्यधिक प्रभाव न पड़े।
•सरकार को कम उत्पादन वाली फसलों की वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद करता है। सरकार इन फसलों के लिए अधिक मूल्य समर्थन की पेशकश कर सकती है ताकि अधिक से अधिक किसान इन फसलों को इस आश्वासन के साथ उगाने के लिए प्रेरित हों कि वे सरकारी गारंटी से एक निश्चित राशि की वसूली करेंगे।
•सरकार इन फसलों का उपयोग सरकारी उचित मूल्य की दुकानों पर बाजार दर से कम कीमत पर बेचने के लिए कर सकती है। इससे सरकार को इन फसलों को गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को कम कीमत पर उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी।
MSP के नुकसान/Disadvantages of MSP
•यदि कोई एमएसपी नहीं है, तो किसान अपनी उत्पादन लागत और किसी विशेष फसल को दिए गए समय के अनुसार अपनी फसल खुद तय कर सकता है।
•वह तुरंत उत्पाद बेचने के लिए बाध्य नहीं होगा, वह बाजार में बेहतर कीमतों की जांच के लिए थोड़ा इंतजार कर सकता है।
•किसान उद्योगपति की पसंद की विशेष फसल उगाकर सर्वोत्तम मूल्य के लिए उद्योगों से संपर्क कर सकता है।
•किसानों को डर रहेगा है कि उद्योग उत्पाद मूल्य से कम देंगे क्योंकि सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की जाएगी।
भारत में MSP कब शुरू हुआ?
गेहूं के लिए MSP प्रणाली 1966-67 में शुरू की गई थी और अन्य आवश्यक खाद्य फसलों को शामिल करने के लिए इसका और विस्तार किया गया| और फिर सब्सिडी दर के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को बेचा गया।
आइए थोड़ा और विस्तार से इस बारे में जानते हैं सरकार द्वारा MSP-आधारित खरीद की उत्पत्ति द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई राशनिंग प्रणाली में हुई है।
1942 में एक खाद्य विभाग बनाया गया, स्वतंत्रता के बाद, इसे खाद्य मंत्रालय में अपग्रेड किया गया। वह समय था जब भारत को भोजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा था। जब 1960 के दशक में हरित क्रांति शुरू हुई, तो भारत सक्रिय रूप से अपने खाद्य भंडार को बढ़ाने और कमी को रोकने की कोशिश कर रहा था। MSP प्रणाली अंततः 1966-67 में गेहूं के लिए शुरू हुई और अन्य आवश्यक खाद्य फसलों को शामिल करने के लिए इसका और विस्तार किया गया। इसके बाद इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत रियायती दरों पर गरीबों को बेचा जाता था।
यह कुछ अजीब है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा का किसी भी कानून में कोई उल्लेख नहीं है, भले ही यह दशकों से आसपास हो। जबकि सरकार साल में दो बार MSP की घोषणा करती है, MSP को अनिवार्य बनाने वाला कोई कानून नहीं है। तकनीकी रूप से इसका मतलब यह है कि सरकार, हालांकि वह किसानों से MSP पर खरीदती है, कानून द्वारा ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं है। वास्तव में, ऐसा कोई कानून नहीं है जो यह कहता हो कि निजी व्यापारियों पर भी MSP लगाया जा सकता है।
CACP ने पहले किसानों के लिए एक ठोस MSP कानून बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन इसे केंद्र ने स्वीकार नहीं किया था।
कितने किसान MSP से लाभांवित होते हैं?
एक सरकारी बयान के अनुसार, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषणा से लाभान्वित होने वाले किसानों की सही संख्या का आकलन करना मुश्किल है।
हालांकि, लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उल्लेख किया कि “किसानों को एमएसपी पर सरकारी खरीद से लाभ हुआ”।
सदन में पटल पर रखे गए एक लिखित उत्तर के अनुसार, 2018-19 में लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या 1,71,50,873 थी, जो 2019-20 में बढ़कर 2,04,63,590 हो गई और 2020-21 में 2,10,07,563 तक पहुंच गई। .
MSP के तहत कितनी फसलें आती हैं?
आयोग कृषि लागत और मूल्य आयोग ( CACP) के अनुसार 23 फसलें भारत की कुल कृषि उपज के 80 प्रतिशत से अधिक को कवर करती हैं। इनमें बाजरा, गेहूं, मक्का, धान जौ, रागी और ज्वार जैसे अन्य अनाज शामिल हैं, अरहर, चना, मसूर, उड़द और मूंग जैसी दालें, तिलहन, कुसुम, सरसों, नाइजर बीज, सोयाबीन, मूंगफली, तिल और सूरजमुखी।
हमें उम्मीद है दोस्तों आपके दिमाग में उठ रहे MSP क्या है in Hindi, MSP की फुल फॉर्म क्या होती है?, MSP full form in Hindi, और न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है?, और इससे संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यह आर्टिकल पढ़ने के बाद मिल गए होंगे और आर्टिकल पढ़ने में मजा अवश्य आया होगा| यदि आपको लगता है कि किसी मित्र या संबंधी को इस जानकारी की आवश्यकता है तो उन्हें जरुर साझा करें|
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