Olympic Vijeta Neeraj Chopra Wikipedia Biography in Hindi | नीरज Chopra जीवन परिचय
तो दोस्तों आइए जानते है नीरज चोपड़ा के बारे में उनका अतीत कैसे बीता? साथ ही हम उनके जीवन से अपने जीवन को सुधारने के लिए क्या-क्या चीजें सीख सकते हैं।
नीरज चोपड़ा का व्यक्तिगत जीवन
नीरज चोपड़ा का जन्म हरियाणा राज्य के पानीपत शहर के एक छोटे से गांव खांद्रा में 24 दिसंबर 1997 को हुआ था| इनकी माता का नाम सरोज देवी और इनके पिता का नाम सतीश कुमार है इनके पिता पेशे से एक किसान है एवं माता गृहणी है| नीरज चोपड़ा के कुल 5 भाई बहन हैं जिनमें से यह सबसे बड़े है।
नीरज चोपड़ा की वर्तमान आयु 23 वर्ष है उनकी लंबाई की बात की जाए तो वे 6 फीट लंबे हैं और उनका वजन 86 किलो हैं उन्होंने अभी तक शादी करने की कोई इच्छा नहीं जताई है। वह अपना पूरा ध्यान अपनी मंजिल की ओर लगा रहे हैं।
नीरज चोपड़ा की शिक्षा
नीरज चोपड़ा ने अपने प्रारंभिक स्कूल एवं हाई स्कूल की पढ़ाई हरियाणा से ही पूरी की है इन्होंने स्नातक डिग्री पूरी की हुई है अपने हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात नीरज चोपड़ा ने BBE कॉलेज मैं दाखिला लिया और वही से उन्होंने स्नातक की डिग्री पूरी की।
नीरज चोपड़ा के गुरु (कोच)
एक विशिष्ट व्यक्ति को सिखाने के लिए भी गुरु में विशिष्ट क्षमता का होना भी आवश्यक होता है। वैसे नीरज चोपड़ा को पोडियम तक पहुंचाने में कई कोचो ने भूमिका निभाई है। जबकि उनके हेड कोच दिग्गज उवे हॉन (Uwe Hohn) हैं।
जर्मन दिग्गज उवे हॉन टोक्यो ओलंपिक जेवलिन थ्रो स्वर्ण पदक विजेता के कोचों में से एक रह चुके हैं। जो इतिहास में 100 मीटर से अधिक की दूरी पर भाला फेंकने वाले एकमात्र एथलीट खिलाडी हैं। हॉन ने बर्लिन में 104.8 मीटर थ्रो ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज किया था|
नीरज चोपड़ा का करियर
नीरज चोपड़ा बचपन में काफी मोटे थे जिस वजह से गांव के अन्य बच्चे उनका मजाक उड़ाया करते थे। उनके मोटापे से उनके माता-पिता भी परेशान थे तो फिर उनके चाचा 13 वर्ष की उम्र में नीरज को दौड़ लगाने के लिए स्टेडियम ले जाने लगे।
वजन कम करने के लिए उनकी रुचि खेलो में बढ़ने लगी नीरज को शुरुआती दौर में कबड्डी का बहुत शौक था, ऐसे में नीरज चोपड़ा प्रैक्टिस करने के लिए गांव से 16-17 किलोमीटर दूर पानीपत के शिवाजी नगर स्टेडियम में जाते थे।
उच्च स्टेडियम में नीरज चोपड़ा का जयवीर नाम का एक दोस्त था जो वहां भाला फेंकने करने के लिए आता था ऐसे ही खेल- खेल में उनके दोस्त जयवीर ने नीरज को भाला फेंकने के लिए कहा तो जब नीरज चोपड़ा ने भाला फेंका तो जयवीर उनसे काफी प्रभावित हुए तो उन्होंने नीरज को भाला फेंकने की प्रैक्टिस करने की सलाह दी।
नीरज ने उनके दोस्त की बात को गंभीरता से लेते हुए प्रेक्टिस शुरू की। लेकिन उनका वजन 80 किलो था जिस वजह से उनको भाला फेंकने में समस्या होती थी तो उन्होंने दो महीनों में ही 20 किलो वजन कम कर लिया।
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अब उनके सामने समस्या जेवलिन खरीदने की थी क्योंकि उस समय एक अच्छी जेवलिन एक लाख रुपए के लगभग आती थी जो उनके परिवार के लिए खरीदना लगभग नामुमकिन था। तो ऐसे में नीरज 6-7 हजार रुपए की जेवलिन खरीद कर उससे ही प्रेक्टिस किया करते थे और 7-7 घंटे तक जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस किया करते थे।
नीरज चोपड़ा ने अपनी प्रेक्टिस और अधिक मजबूत बनाने के लिए 2016 में एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया था जो इनके लिए बहुत अच्छा एवं कारगर साबित हुआ।
नीरज चोपड़ा ने साल 2014 में अपने लिए एक भाला खरीदा था जो सिर्फ 7 हजार का था| इसके बाद नीरज चोपड़ा ने इंटरनेशनल लेवल पर खेलने के लिए एक लाख रुपए का भाला खरीदा था।
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नीरज चोपड़ा ने साल 2017 में एशियाई चैंपियनशिप में 50.23 मीटर की दूरी तक भाला फेंक कर मैच को अपनी नाम किया था| इसी साल उन्होंने आईएएएफ डायमंड लीग इवेंट में भी हिस्सा लिया था, जिसमें वह सातवें स्थान पर रहे थे। इसके बाद नीरज चोपड़ा ने अपने कोच के साथ काफी कठिन ट्रेनिंग चालू की और उसके बाद इन्होंने नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए।
नीरज एक एथलीट होने के साथ ही सेना में सूबेदार भी
गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा की प्रतियोगिताओं को यात्रा की शुरुआत तब हुई जब 2016 में उन्होंने जूनियर वर्ल्ड प्रतियोगिता में भाग लिया और जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया।
लेकिन जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम करने के बावजूद भी नीरज रियो ओलंपिक में क्वालीफाई नहीं कर पाये। लेकिन जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद सेना ने उन्हें जूनियर कमीशंड ऑफिसर की पोस्ट देकर सूबेदार बनाया। उनकी मूल यूनिट 4 राजपूताना राइफल्स है।
आमतौर पर सेना में किसी भी खिलाड़ी को सीधे नायब सूबेदार रैंक में भर्ती नहीं किया जाता है। लेकिन नीरज का खेल रिकॉर्ड शानदार था। इसी वजह से उन्हें सीधे नायब सूबेदार का रैंक दिया गया।
नीरज को पुणे में मिशन ओलंपिक विंग और आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण के लिए चुना गया था। मिशन ओलंपिक विंग होनहार खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय सेना की पहल है।
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2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में भाला फेंक में कांस्य पदक जीतने वाले सूबेदार काशीनाथ नाइक नीरज चोपड़ा के शुरुआती ट्रेनर थे। नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक से पहले भी जर्मन कोच उवे हॉन की देखरेख में ट्रेनिंग कर चुके हैं और 2018 के कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद नीरज को सेना ने सूबेदार के पद पर पदोन्नत किया। उन्हें 2018 में अर्जुन पुरस्कार और भारतीय सेना के विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया था।
आर्मी में नौकरी मिलने के बाद खुशी से नीरज में कहा था कि “मेरे परिवार में आज तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली है, मैं अपने संयुक्त परिवार का पहला सदस्य हूं जो सरकारी नौकरी करने जा रहा हूं, यह हमारे परिवार के लिए बहुत खुशी की बात है। इससे मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकता हूं।”
आइए जानते हैं नीरज चोपड़ा के कुछ रोचक तथ्य
•जब नीरज चोपड़ा ने खेल का अभ्यास शुरू किया था तो अभ्यास शुरू करने के तीन महीने बाद नीरज के पिता सतीश में उनको 7000 रुपए भाला खरीद कर दिया था| जो एल्युमिनियम मिक्स था। नीरज के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्होंने दूसरा भाला 50000 रुपए का लिया था अब नीरज लगभग डेढ़ लाख रुपए के भाले से अभ्यास करते हैं|
•ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर नीरज चोपड़ा ने पिता सतीश चोपड़ा का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। नीरज के पिता सतीश चोपड़ा ने कहा कि चार साल पहले राष्ट्रमंडल खेलों के बाद सब बदल गया था।
राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद से गांव खांद्रा के नाम से कम और नीरज का गांव कहकर ज्यादा जाना जाता हैं लोग कहते हैं कि नीरज के गांव जाना है। अब ओलंपिक में स्वर्ण पदक लाकर नीरज ने गांव का नाम पूरे भारत में प्रसिद्ध कर दिया है।
अब देश के लोग खांद्रा को नीरज के नाम से जानेंगे। इससे ज्यादा खुशी और क्या हो सकती है। चाचा भीम चोपड़ा ने कहा कि जब तक हमने नीरज को पाला तब तक हमारा बेटा था, अब ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद वह पूरे देश का बेटा हो गया है।
•नीरज को स्टेडियम भेजने से पहले घर में किसी सदस्य ने भी जैवलिन का नाम नहीं सुना था। पिता ने बताया कि नीरज के बताने के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया था कि यह कौन सा खेल होता है। नीरज ने जब अपने वीडियो दिखाने शुरू किए तो पता चला कि एक भाले को जैवलिन कहा जाता हैं।
•यह एक हैरान करने वाली बात हैं कि 10 वर्षों में पहली बार नीरज के पिता ने ओलंपिक में नीरज का प्रदर्शन लाइव देखा। पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में जैवलिन की शुरुआत करने से लेकर आज तक नीरज के पिता न तो स्टेडियम में उसका खेल देखने गए न ही कभी टीवी पर प्रदर्शन लाइव देखा।
शनिवार को बेटे का फाइनल मुकाबला पूरे गांव के साथ लाइव देखा, यह पहला मौका था। वहीं कोच जितेंद्र ने बताया कि शिवाजी स्टेडियम में खेल की शुरुआत करने के दौरान भी नीरज के पिता एक बार भी उनका मैच या अभ्यास देखने के लिए नहीं आए।
•नीरज चोपड़ा पहले भारतीय हैं जिन्होंने ओलंपिक प्रतियोगिता के एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीता है। टोक्यो ओलंपिक 2020 के वे एक मात्र भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। इस बार के ओलंपिक में भारत के खाते में सात मेडल आए। इसमें एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल शामिल है। ओलंपिक के इतिहास में ये भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
•आज आप जिस नीरज को देख रहे हैं, असल में पहले वो ऐसे नहीं थे। बचपन में वह काफी भारी भरकम हुआ करते थे। उनका वजन 80 किलो के करीब था। वह चूंकि कुर्ता पायजामा पहनते थे, इसलिए सब उन्हें सरपंच कहकर बुलाते थे। लेकिन बाद में उन्होंने अपना वजन ऐसा कम किया कि देखने वाले हैरान रह गए।
•टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने से पहले नीरज लंबे बाल रखते थे। उनका हेयरस्टाइल काफी फेमस था। लेकिन टोक्यो में वह एक नए लुक के साथ नजर आए। उन्होंने अपना हेयरस्टाइल चेंज कर लिया था यानी अपने बाल कटवा लिए थे। उनका यह नया लुक भी लोगों को काफी पसंद आया।
•गांव के लोग बताते हैं कि बचपन में नीरज बहुत ही शरारती हुआ करते थे। वह गांव में मधुमक्खियों के छत्ते से छेड़छाड़ तो किया करते ही थे, साथ ही भैसों की पूंछ खींचने जैसी शरारत भी करते थे। हालांकि अब वह ऐसी शरारती नहीं करते, बस अपने खेल पर ध्यान लगाए रखते हैं।
•नीरज चोपड़ा की वर्तमान में विश्व रैंकिंग जैवलिन थ्रो की कैटेगरी में चौथे स्थान पर है। इसके अलावा वे कई मैडल एवं पुरस्कार भी अपने नाम कर चुके हैं|
नीरज चोपड़ा के रिकॉर्डाे की कहानी
•वर्ष 2012 में लखनऊ में आयोजित की गए अंडर 16 नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा ने 68.46 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल को जीता था।
•नेशनल यूथ चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा ने साल 2013 में दूसरा स्थान पर जगह बनाई थी और उसके बाद उन्होंने आईएएएफ वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में भी पोजिशन बनाई।
•नीरज चोपड़ा ने 2015 में आयोजित इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में 81.04 मीटर थ्रो फेंककर एज ग्रुप का रिकॉर्ड बनाया था।
•नीरज चोपड़ा ने साल 2016 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंक कर नया कीर्तिमान स्थापित किया और गोल्ड मेडल जीता था।
• 2016 में नीरज चोपड़ा ने दक्षिण एशियाई खेलों में पहले राउंड में ही 82.23 मीटर की थ्रो फेंककर गोल्ड मेडल को अपने नाम किया।
• 2018 में गोल्ड कोस्ट में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल में नीरज चोपड़ा ने 86.47 मीटर भाला फेंक कर एक और गोल्ड मेडल हासिल किया।
•साल 2018 में ही नीरज चोपड़ा ने जकार्ता एशियन गेम में 88.06 मीटर भाला फेका और गोल्ड मेडल जीतकर देश को गर्व महसूस करवाया।
•नीरज चोपड़ा एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले पहले इंडियन जैवलिन थ्रोअर हैं।इसके अलावा एक ही साल में एशियन गेम और कॉमनवेल्थ गेम में गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाले नीरज चोपड़ा दूसरे खिलाड़ी हैं। इसके पहले साल 1958 में मिल्खा सिंह द्वारा यह रिकॉर्ड बनाया गया था।
नीरज चोपड़ा का टोक्यो ओलंपिक 2020
7 अगस्त शाम 4:30 बजे फाइनल मैच आयोजित किया गया था। इस मैच में नीरज चोपड़ा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया है। और भारत के इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर लिया है।
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इन्होने फाइनल मुकाबले में 6 राउंड में से पहले 2 राउंड में ही 87.58 की सबसे ज्यादा डिस्टेंस का रिकॉर्ड सेट कर दिया था, जिसे अगले 4 राउंड में कोई भी खिलाड़ी नहीं तोड़ सका, और अंत में नीरज की पोजीशन पहले नंबर पर ही बनी रही और और उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल कर लिया।
भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने बुधवार को टोक्यो ओलंपिक में परफेक्ट जैवलिन थ्रो कर फाइनल में अपनी जगह बनाई और ट्रैक एंड फील्ड में ओलंपिक का पहला मेडल दिलाने के लिए अपनी दावेदारी को प्रस्तुत किया।
नीरज चोपड़ा 86.65 मीटर की कोशिश के साथ क्वालिफिकेशन में टॉप पर रहते हुए ओलंपिक फाइनल में अपनी पोजीशन बनाने वाले पहले इंडियन जैवलिन प्लेयर बने। जिसके कारण नीरज चोपड़ा से देश को Gold Medal की आस जगी है। और इस तरह उन्होंने भारत को गर्व महसूस करवाया|
उनकी बायोग्राफी में सीखने के लिए बहुत कुछ है कि कैसे एक गांव का साधारण सा बच्चा पूरी दुनिया में अपने नाम का डंका बजा सकता है।