Paonta Sahib: किसानों के लिए खुशखबरी! कृषि विश्वविद्यालय ने जारी किए उन्नत खेती के टिप्स
गेहूं, जौ, सब्जियों की बुआई से लेकर पशुपालन और मछली पालन के लिए विशेषज्ञों की सलाह
Paonta Sahib: चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने नवंबर के दूसरे पखवाड़े (16-30 नवंबर) के लिए किसानों और पशुपालकों के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की हैं। इन निर्देशों का पालन कर किसान बेहतर फसल उत्पादन और पशुपालन से अधिक लाभ कमा सकते हैं।
Paonta Sahib: किसानों के लिए खुशखबरी! कृषि विश्वविद्यालय ने जारी किए उन्नत खेती के टिप्स
फसल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
गेहूं और जौ की बुआई: निचले क्षेत्रों में गेहूं की उन्नत किस्मों (एचपीडब्ल्यू-155, वीएल-907, एचएस-507 आदि) का चयन करें। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सप्तधारा किस्मों का प्रयोग करें।
प्रति हैक्टेयर 100 किग्रा बीज (8 किग्रा प्रति बीघा) का उपयोग करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए वेस्टा नामक दवाई का छिड़काव करें। छिड़काव से पहले खेत में पर्याप्त नमी सुनिश्चित करें।
सब्जियों की बुआई: प्याज की किस्मों (पटना रेड, नासिक रेड, पूसा रेड) की पौध लगाएं।
लहसुन, मटर, मूली, गाजर, और शलजम की उन्नत किस्मों की बुआई करें। पौधों की दूरी 10-15 सेंटीमीटर रखें।
गोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, पालक, और धनिया जैसी सब्जियों की रोपाई करें। सिंचाई और निराई-गुड़ाई नियमित रूप से करें।
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फसल संरक्षण के उपाय
खरपतवार और बीज जनित बीमारियों से बचाव:
गेहूं और जौ के बीजों को वीटावैक्स या बैविस्टिन से उपचारित करें।
दीमक के प्रकोप से बचने के लिए क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी और रेत का मिश्रण बनाकर खेत में छिड़काव करें।
सब्जियों की सुरक्षा:
गोभी प्रजाति की सब्जियों को कटुआ कीट से बचाने के लिए क्लोरोपाइरीफॉस का उपयोग करें।
प्याज की पौध में कमरतोड़ रोग होने पर बैविस्टिन और डाईथेन एम-45 का घोल बनाकर सिंचाई करें।
पशुपालन और मछली पालन के लिए सुझाव
पशुओं की देखभाल:
ठंड के मौसम में श्वसन और चमड़ी के रोगों से बचाने के लिए पशुओं को गरम स्थान में रखें।
प्रोटीन, विटामिन और खनिज मिश्रण युक्त संतुलित आहार दें।
गाय और भैंस में मदकाल के दौरान उचित टीकाकरण कराएं।
मछली पालन:
तालाब में तैयार मछलियों को बेचें और पानी की गुणवत्ता बनाए रखें।
तापमान के अनुसार मछलियों को 50-75% तक फीड कम दें।
तालाब का वातावरण स्वच्छ और अनुकूल रखें।
मुर्गी पालन:
मुर्गी घरों के चारों ओर बोरियों के पर्दे लगाएं और रानीखेत बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण कराएं।
संपर्क जानकारी और विशेषज्ञ की सलाह
कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर के प्रभारी डॉ. पंकज मित्तल ने किसानों से अपील की है कि वे अपनी क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार सलाह लें। अतिरिक्त जानकारी के लिए कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के कृषि तकनीकी सूचना केंद्र (01894-230395) या किसान सहायता फोन सेवा (1800-180-1551) पर संपर्क करें।
उन्नत कृषि और पशुपालन विधियों को अपनाकर किसान न केवल अपनी फसलों और पशुओं का उत्पादन बढ़ा सकते हैं, बल्कि क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं। यह गाइडलाइन उन्हें आर्थिक लाभ के साथ-साथ बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद करेगी।