Paonta Sahib: पांवटा साहिब की बेटी कनाडा में बनी नर्सिंग ऑफिसर, कड़ी मेहनत और परिवार के सहयोग से पाया ये बड़ा मुकाम
Paonta Sahib: हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर के एक छोटे से गांव कोलर की बेटी गरिमा ने अपनी कड़ी मेहनत और परिवार के सहयोग से सात समुंदर पार नर्सिंग में अपना करियर बनाया है जो कि सिरमौर जिले के लिए बड़ी ही खुशी की बात है।
गौर हो कि कम उम्र में ही “गरिमा बरोत”को इस बात की चिंता हर वक्त सताती थी कि उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा हुआ है क्योंकि 2005 में गरिमा के भाई की सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी जबकि चंद सालों बाद ही पिता का साया भी गरिमा के सिर से उठ गया था।
गरिमा से पांच मिनट छोटा जुड़वां भाई गौरव ने द्वारा मेडिकल फील्ड में जाने के निर्णय पर हामी भरी जिसके बाद गरिमा ने मेडिकल क्षेत्र में अपना करियर बनाने का फैसला लिया।
गरिमा का पिता और भाई को कम उम्र में ही खो देने के बाद इस बात का एहसास हो गया था कि मेडिकल प्रोफेशन ही मानवता की सेवा का सही रास्ता है इसलिए वे मेडिकल को ही अपना करियर बनाएंगी।
अपनी इस सकारात्मक सोच से 29 वर्षीय “गरिमा” ने वैश्विक स्तर पर देश व प्रदेश गौरवान्वित किया है।
कोलर में जमा दो तक की पढ़ाई करने वाली “गरिमा” ने कनाडा में रजिस्टर्ड नर्स की परीक्षा को उत्तीर्ण किया है। बता दें कि वैश्विक स्तर पर एनसीएलएक्स-आरएन (NCLEX- RN) की परीक्षा में सफलता मामूली बात नहीं है।
खुशी की बात तो ये है कि इसके बाद वो यूएसए, यूके, न्यूजीलैंड, कनाडा के अलावा यूरोप के अन्य देशों में बतौर रजिस्टर्ड नर्स सेवाएं प्रदान कर सकती है।
बता दे कि ये परीक्षा रेगुलेटरी बॉडी की नेशनल काउंसिल ऑफ स्टेट बोर्ड ऑफ नर्सिंग (NCSBN) द्वारा कंडक्ट (Conduct) किया जाता है। फ़िलहाल, गरिमा ने कनाडा (Canada) में ही सेवा प्रदान करने के फैसला लिया है।
ये था शिक्षा का सफर…
गरिमा ने जमा दो की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ़ नर्सिंग संजौली (शिमला) में बीएससी की पढ़ाई करने के बाद गरिमा ने ढाई साल तक गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल (Fortis Hospital) में भी सेवाएं दी हैं।
इसके बाद वह पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) के लिए कनाडा के नियाग्रा कॉलेज (Niagara College of Canada) में दाखिले का निर्णय लिया था।
कोलर में सेना से रिटायर्ड कैप्टन दिवंगत भुरू राम व गुलाब देवी के घर जन्मी “गरिमा” का ये भी कहना है कि जरूरत पड़ने पर वो मातृभूमि में लौटने से भी संकोच नहीं करेंगी, साथ ही भाई गौरव ने उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया है।
आसान नहीं था ये…
गरिमा ने लगभग ढाई साल नौकरी करने के बाद अपनी आगे की पढ़ाई के लिए कुछ बचत भी की थी हालांकि परिवार के लिए बेटी को इतना दूर भेजना कोई आसान फैसला तो नहीं था लेकिन जब बेटी ने विदेश की धरती पर अपनी प्रतिभा का डंका बजाया तो परिवार की छाती गर्व से चौड़ी हो गई है।
मानवता सेवा भाव से काम करने वाली प्रतिमा को कनाडा से प्रतिमाह ₹5 00 000 का सैलरी पैकेज मिलेगा लेकिन सैलरी पैकेज प्रतिमा का सपना नहीं है प्रतिमा का कहना है कि उन्होंने नर्सिंग फील्ड को केवल मानव सेवा का सही तरीका सोचकर चुना है।