
Paonta Sahib: हर साल छछरौली से आता है परिवार! यमुनानगर की पहचान बना ‘पुष्तैनी काम’
Paonta Sahib: हरियाणा के छछरौली इलाके से आने वाली यह टीम हर साल पांवटा साहिब के बाजार में अपनी मेहनत और हुनर का जलवा दिखाती है। पिता सुमेर चंद के मार्गदर्शन में परिवार पीढ़ियों से अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहा है।

Paonta Sahib: हर साल छछरौली से आता है परिवार! यमुनानगर की पहचान बना ‘पुष्तैनी काम’
करीब छह महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है। हर साल ये लोग 15 दिन पहले यहां पहुंच जाते हैं ताकि त्योहारी सीजन में ग्राहकों की ज़रूरतें पूरी की जा सकें। मेहनत और ईमानदारी से कमाए नाम की वजह से लोग इनका इंतजार करते हैं।
छछरौली की यह टीम बाजार में दो दुकानों के जरिए ग्राहकों को सेवा देती है। हर सदस्य अपने काम में निपुण है। चाहे सजावटी सामान हो, गृह उपयोगी वस्तुएं हों या हस्तशिल्प, सब कुछ खुद के हाथों से तैयार किया जाता है।

इनकी दुकानें त्योहारों पर रंगीन रौनक का हिस्सा बन चुकी हैं। हर बार नए डिजाइन और बेहतर क्वालिटी के कारण ग्राहकों की भीड़ यहां लगी रहती है। इनका मानना है कि काम को सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि परंपरा और पहचान के रूप में देखना चाहिए।
पिता सुमेर चंद कहते हैं, “यह काम हमें हमारे पूर्वजों से मिला है। हम इसे पूरी निष्ठा से निभाते हैं। हर साल जब लोग हमारे काम की तारीफ करते हैं, तो यही हमारी सबसे बड़ी कमाई होती है।”
त्योहारी सीजन में इनकी मौजूदगी बाजार को जीवंत बना देती है। छछरौली से आने वाले ये कारीगर न सिर्फ अपनी परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं, बल्कि स्थानीय बाजार की रौनक भी बढ़ा रहे हैं।
कला, परंपरा और मेहनत—तीनों का संगम है यह परिवार।

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