Parenting Tips: क्या आपकी परवरिश बना रही है बच्चे को मानसिक रूप से कमजोर? जानिए सबसे बड़ी गलतियां
Parenting Tips: बचपन किसी कच्ची मिट्टी की तरह होता है, जैसा आप उसे ढालते हैं, वह वैसा ही बनता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि परवरिश में की गई गलतियां आपके बच्चे को मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर बना सकती हैं?
अगर आप भी अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तित्व विकास को लेकर चिंतित हैं, तो यह लेख आपके लिए है।
आगे हम बताएंगे कि परवरिश की कौन-कौन सी गलतियां बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकती हैं और इन्हें कैसे टाला जा सकता है।
बच्चों की भावनाओं को न करें नजरअंदाज
आज की व्यस्त जीवनशैली में माता-पिता बच्चों की जरूरतों को पूरा तो कर देते हैं, लेकिन भावनात्मक जुड़ाव अक्सर छूट जाता है।
जब बच्चे को प्यार और समझदारी नहीं मिलती, तो वह खुद को अनचाहा महसूस करने लगता है। इससे उसकी आत्मसम्मान और रिश्ते बनाने की क्षमता पर असर पड़ता है।
सख्त नियम थोपने से बचें
अत्यधिक अनुशासनात्मक (ऑथोरिटेरियन) परवरिश बच्चों के मन में डर और तनाव पैदा करती है। सख्त नियम और छोटी-छोटी गलतियों पर कड़ी सजा बच्चों को भावनात्मक रूप से कमजोर बना देती है।
बच्चे पेरेंट्स का सम्मान करने की बजाय उनसे डरने लगते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है।
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गैर-जिम्मेदार व्यवहार न करें
कुछ माता-पिता सामाजिक दबाव में आकर बच्चे का प्लान तो बना लेते हैं, लेकिन उन्हें पूरा समय और ध्यान नहीं दे पाते। बच्चों को ऐसा लगता है कि उनकी परवाह नहीं की जा रही, जिससे उनका आत्मसम्मान और आत्मविश्वास दोनों प्रभावित होता है।
बच्चों पर अपने सपने थोपना बंद करें
माता-पिता अक्सर अपने अधूरे सपनों को बच्चों से पूरा करवाने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने से बच्चे का मानसिक और भावनात्मक विकास बाधित हो सकता है।
बिना उनकी इच्छाओं को समझे उन पर दवाब डालने से बच्चे में नाराजगी, हताशा और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चों की उपलब्धियों को न बनाएं अहंकार का कारण
जब माता-पिता बच्चों की सफलताओं का सारा श्रेय खुद ले लेते हैं और उनसे हमेशा बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं, तो बच्चे पर अनावश्यक दबाव बनता है। यह दबाव बच्चों को तनाव और चिंता में डाल सकता है।
. क्या करें सुधार
1. संवाद को बनाएं मजबूत: बच्चों की भावनाओं को समझने और उनसे खुलकर बात करने की आदत डालें।
2. सकारात्मक प्रोत्साहन दें: बच्चों की छोटी-छोटी सफलताओं को सराहें और उन्हें खुद से फैसले लेने का मौका दें।
3. स्वतंत्रता का सम्मान करें: बच्चों को अपनी इच्छाओं और सपनों को पूरा करने की आजादी दें।
4. प्यार और समय दें: बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं और उन्हें यह महसूस कराएं कि वे आपके लिए खास हैं।
5. संतुलित अनुशासन अपनाएं: अनुशासन आवश्यक है, लेकिन उसमें प्यार और समझदारी का मिश्रण हो।
अंत में जरूरी बात….
बच्चे आपके प्यार और परवरिश का प्रतिबिंब होते हैं। उन्हें मजबूत और आत्मविश्वासी व्यक्तित्व बनाने के लिए भावनात्मक समर्थन और समझदारी भरा वातावरण दें।
याद रखें, बच्चों का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य उनकी पूरी जिंदगी को प्रभावित करता है।
अपनी परवरिश के तरीकों पर एक बार फिर गौर करें और उन्हें सही दिशा में सुधारें। यही आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी और योगदान होगा।