Parenting Tips: परवरिश का ये तरीका कर रहा आपके बच्चे को हतोत्साहित, इन तरीकों को सुधार कर बनाएं बच्चे का भविष्य उज्जवल….
बच्चों की परवरिश मां बाप के लिए एक चुनौती होती है कुछ माता-पिता इस चुनौती को आसानी से निपटा लेते हैं जबकि कई अन्य इसमें उलझ कर रह जाते हैं जिससे उनके बच्चे का भविष्य अंधकार की ओर चला जाता है। लेकिन समय रहते इन आदतों और तरीकों में सुधार लाने से आपके बच्चे की आदतों में भी सुधार होगा।
माता पिता अक्सर चाहते हैं कि उनका बच्चा खुश रहे और जिंदगी में हर वह काबिल मुकाम को हासिल करें जैसा उनके माता-पिता चाहते हैं। लेकिन कई माता-पिता अपने बच्चों को यह प्रेरणा देने से छुप जाते हैं।
कई बार माता-पिता अपने बच्चों को गलतियों से सीखने और कोशिश करने की प्रेरणा देने की जगह उन्हें हतोत्साहित कर देते हैं जिसकी वजह से बच्चे का मन किसी भी काम से हट जाता है और उसमें सीखने की इच्छा खत्म हो जाती है।
ऐसे में बच्चे को लगता है कि अब उसके लिए जीत पाना बहुत मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है ऐसे में माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनकी छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज ना करके। बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यही मौका है जब बच्चे गलतियां कर उन्हें सुधारने और उससे अच्छा सीखने की इच्छा रखते हैं।
माता-पिता आपने बच्चे का आत्मविश्वास कायम रखना चाहते हैं तो अपनाएं यह कुछ टिप्स और बनाए अपने बच्चे को जिम्मेदार और समझदार…
ऐसे बनाएं अपने बच्चों को जिम्मेदार
माता-पिता हमेशा अपने बच्चों को चुनौतियों का सामना करने और उसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए असमर्थ ना समझे क्योंकि माता पिता अक्सर उनके बच्चों को गलती करने पर जज कर लेते हैं।
अपने बच्चे को गलती करने और गिर कर उठना सीखने के लिए खुला आसमान दें। उसे बाहर की दुनिया को समझने का मौका दें। घर के छोटे-मोटे काम करने से ही बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
आपको अपने बच्चे को कॉन्फिडेंट और सेल्फ डिपेंडेंट बनाना है ना कि उसे हतोत्साहित कर यह जताना है कि वह किसी कार्य करने के लिए समर्थ नहीं है।
बच्चों को खुद लड़ने दें…
माता पिता अक्सर अपने बच्चों को किसी भी बात का फैसला लेने के लिए अपनी इंटरफेरेंस रखना जरूरी समझते हैं। एक तरफ से देखा जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन उसकी जिंदगी को अपने मुट्ठी में रखना है या अपने हिसाब से जीने के लिए कहना बिल्कुल गलत बात है।
बच्चे को अपनी पसंद और नापसंद चुनने का पूरा अधिकार है क्योंकि गलतियां कर ही शिक्षा मिलती है और गलतियों से सीखने देना सबसे बड़ी बात है।
कैसे हो बच्चों का इमोशनल विकास
बच्चे के विकास में इमोशनल डेवलपमेंट भी अहम होती है। अपने बच्चे को अपनी भावनाओं को समझना सिखाएं। प्रैक्टिकल और पॉजिटिव सोच से ऐसा हो सकता है। उसे अपनी कमजोरियों को जानने और उन्हें ठीक करने का मौका दें।
इस तरह की बातें ना करें
बच्चे के मन में कभी भी इस तरह की भावना डालें कि हम अपने शॉप इसलिए पूरे नहीं कर सकते क्योंकि हम लोग गरीब हैं, या पारिवारिक समस्याओं की वजह से हम दूसरे पेरेंट्स की तरह एंजॉय नहीं कर सकते और ना ही खुश रह सकते हैं ऐसा करने से बच्चा अपनी इच्छाएं मारने लगेगा।
इससे बच्चे के दिमाग में विक्टिम मानसिकता बनने लगती है और वो नए अवसरों के लिए बहाने ढूंढने लग सकता है। उसे लगने लगेगा कि उसके पास चीजों का अभाव है या वो दूसरों की तरह भाग्यशाली नहीं है।
गलत है बच्चों को पैनिशमेंट…
कुछ पैरेंट्स को लगता है कि पनिशमेंट से बच्चे के व्यवहार में सुधार आता है लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है। पनिशमेंट से बच्चे विद्रोही बनने लगते हैं बच्चे को उसकी गलती का एहसास प्यार व धैर्य से कराएं इससे आपके बच्चे में आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और वह सही गलत की पहचान करना सीख जाएगा।