Himachal News Update: पशुओं का करवाएं बीमा! मिलेगा 50 प्रतिशत अनुदान, आर्थिक नुकसान भी होगा कम
Himachal News Update: ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पशुपालन को मजबूत करने के लिए जिला कांगड़ा में पशुपालन विभाग लगातार सार्थक कदम उठा रहा है। विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ न केवल पशुपालकों की आय में वृद्धि कर रही हैं, बल्कि पशु स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार लाकर ग्रामीण जीवन को नई दिशा भी दे रही हैं।
Himachal News Update: पशुओं का करवाएं बीमा! मिलेगा 50 प्रतिशत अनुदान, आर्थिक नुकसान भी होगा कम
उप निदेशक, पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन, धर्मशाला डाॅ. सीमा गुलेरिया ने जानकारी देते हुए कहा कि पशुपालकों को संगठित करने और दुग्ध उत्पादन को व्यावसायिक रूप देने के लिए विभाग ने दुग्ध उत्पादक सहकारिता समितियों का गठन किया है। कांगड़ा जिले में अब तक 50 समितियाँ गठित की जा चुकी हैं। ये समितियाँ न केवल पशुपालकों को बेहतर बाजार उपलब्ध करवा रही हैं, बल्कि उन्हें सामूहिक शक्ति के रूप में आत्मनिर्भर भी बना रही हैं।
इसके अतिरिक्त पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए दुधारू पशु बीमा योजना लागू है। इसमें पात्र लाभार्थियों को 50 प्रतिशत अनुदान पर बीमा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जिला में अब तक 5048 दुधारू पशुओं का बीमा किया जा चुका है। यह कदम पशुपालकों को आत्मविश्वास देता है कि किसी अप्रत्याशित स्थिति में भी उनका आर्थिक नुकसान कम होगा।

डाॅ. सीमा गुलेरिया ने कहा कि पशुओं में रोग फैलने की समस्या अक्सर ग्रामीण परिवारों को भारी नुकसान पहुँचाती है। इस स्थिति से निपटने के लिए विभाग ने व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया गया है। मुंह-खुर रोग निवारक टीकाकरण के तहत इस वर्ष अब तक 2,31,340 बड़े पशुओं और 1,66,692 छोटे पशुओं को टीके लगाए गए। इसके अलावा गलघोटू रोग से बचाव के लिए 1,72,500 बकरियों का टीकाकरण किया गया है वहीं लम्पी त्वचा रोग से बचाव के लिए 35 हजार पशुओं को सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा उच्च नस्ल के पशुओं के संवर्द्धन के लिए विभाग ने 60 प्रतिशत अनुदान पर मेढ़ा वितरण योजना भी शुरू की है। इसके अंतर्गत 30 लाभार्थियों को 30 मेढ़े उपलब्ध कराए गए हैं। यह पहल ग्रामीण पशुपालन को गुणवत्ता और उत्पादकता दोनों में आगे ले जाने का प्रयास है। इसके साथ ही विभाग द्वारा हिम कुक्कुट पालन योजना लागू की गई है।
इस योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को 60 प्रतिशत अनुदान पर 3 हजार चूजे उपलब्ध कराए जाते हैं। वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 72 हजार चूजों का वितरण किया गया तथा 27 लाभार्थियों को इसका लाभ मिला। यह योजना ग्रामीण परिवारों के लिए रोजगार और पोषण का सशक्त माध्यम बन रही है। उन्होंने कहा कि जिला में पशुपालन विभाग की ये योजनाएँ ग्रामीण परिवारों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
चाहे वह चूजों का वितरण हो, पशुओं का टीकाकरण हो, बीमा सुरक्षा हो या फिर दुग्ध सहकारिता समितियों का गठन हर पहल का उद्देश्य स्पष्ट है। पशुपालकों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से न केवल ग्रामीण परिवारों की आय में बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि पशु स्वास्थ्य और उत्पादन भी मजबूत हो रहे हैं। आने वाले समय में ये प्रयास निश्चित ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित होंगे।

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