Political News: क्या हैं आम आदमी पार्टी की हार के पीछे 10 महत्वपूर्ण कारण? जानिए क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
‘बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलया कोई
जो मन खोजा आपना तो मुझसे बुरा ना कोई’
Political News: आज के इस दौर में इस दोहे को एकदम सच साबित कर रही है केजरीवाल द्वारा बनाई गई आम आदमी पार्टी, जी हां, वही केजरीवाल जिन्होंने वर्ष 2011 में दिल्ली में हो रहे भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए आम आदमी पार्टी AAP तैयार की और राज्य पार्टी खुद ही भ्रष्टाचार में लीन हो गई है।
दिल्ली ELECTIONS 2025 : दिल्ली में AAP की शर्मनाक हार
दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी AAP बनाई गई तब लोगों को आम आदमी पार्टी से कई सारी उम्मीद थी।
आम आदमी पार्टी के द्वारा किए गए काम को देखते हुए शुरुआत के दो-तीन सालों में ऐसा लग रहा था कि आम आदमी पार्टी भारतीय राजनीति में एक मजबूत विकल्प बनने वाली है जिससे कांग्रेस और बीजेपी के अलावा भी लोगों को एक बेहतरीन विपक्ष मिलेगा।
परंतु पिछले कुछ वर्षों में आम आदमी पार्टी के द्वारा किए गए घोटाले, भ्रष्टाचार इत्यादि की वजह से यह पार्टी खुद ही सवालों के घेरे में आ गई है।
क्या कहता है इस हार पर राजनीतिक विशेषज्ञों का विश्लेषण
हाल ही में हुए चुनाव ने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को आइना दिखा दिया है। पार्टी की गिरती साख और गलत राजनीतिक फैसलों की वजह से आम आदमी पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा है।
ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो आम आदमी पार्टी की हार के पीछे पार्टी के द्वारा किए गए ही कर्मकांड हैं।
आज के इस लेख में हम आपको ऐसे ही 10 मुख्य कारण बताने वाले हैं जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी को दिल्ली के चुनाव में धूल फांकनी पड़ी।
भ्रष्टाचार में संलिप्त: आम आदमी पार्टी का निर्माण ही भ्रष्टाचार के विरोध में किया गया था परंतु पिछले कुछ वर्षों से आम आदमी पार्टी दिल्ली शराब घोटाले, एजुकेशन फंड घोटाले इत्यादि में लिप्त पाई गई जिसकी वजह से AAP के कई नेताओं पर आरोप भी लगे और गिरफ्तारियां भी हुई। इसी की वजह से जनता का विश्वास इस पार्टी से हिलने लगा।
केजरीवाल की गिरफ्तारी : भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते ED का सामान और आखिरकार अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी इन सभी कारणों की वजह से आम आदमी पार्टी सवालों के घेरे में आने लगी और अरविंद केजरीवाल की क्रेडिबिलिटी को नुकसान पहुंचा।
जमीनी स्तर पर काम की कमी : आम आदमी पार्टी सत्ता में आने के बाद से ही अपने प्रचार और प्रसार में उलझी रही।
शुरुआती वर्षों में जमीन स्तर पर काम करने के बाद आम आदमी पार्टी ने लोगों के लिए काम करना जैसे बंद ही कर दिया और पूरा पैसा अखबारों में प्रचार प्रसार में लगने लगा।
वहीं दिल्ली छोड़कर पार्टी के मुख्यमंत्री गोवा और पंजाब पर ध्यान देने लगे जिसकी वजह से पार्टी की पकड़ कमजोर होती गई।
अधूरे वादे और अव्यवस्था : आप सरकार ने दिल्ली की गद्दी संभालते ही जनता से बड़े-बड़े वादे तो कर लिए परंतु ना प्रदूषण नियंत्रण हो पाया, ना कूड़ा प्रबंधन हो पाया।
वहीं दिल्ली में आए दिन महिलाओं के खिलाफ बढ़ते हुए क्राइम को भी वे कम नहीं कर पाए और ना ही बेरोजगारी की समस्या का कोई निदान कर पाए जिसकी वजह से जनता का भरोसा आम आदमी पार्टी से उठने लगा।
केंद्र सरकार से सामंजस्यता की कमी: आम आदमी पार्टी हमेशा केंद्र सरकार के विरोध में ही रही एक ओर जहां केंद्र सरकार ने पूरे देश भर के 70 वर्ष से ऊपर के नागरिकों हेतु निःशुल्क जन आरोग्य सुविधाओं को लागू किया।
वहीं अपने केंद्र सरकार के साथ चलते बैर की वजह से AAP ने इस योजना को दिल्ली में लागू करने से मना कर दिया।
इसके साथ ही ऐसी कई सारी योजनाएं हैं जिनका लाभ आम आदमी पार्टी के अहंकार की वजह से दिल्ली के नागरिकों तक नहीं पहूँच रहा।
अनुभवी नेताओं की कमी : वर्तमान में आम आदमी पार्टी के पास राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी अनुभवी और मजबूत नेता नहीं है । जितने भी नेता थे वह सब भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए । ऐसे में आम आदमी पार्टी एक मजबूत संगठन के रूप में भी जनता के बीच अपनी पहचान नहीं बना सकी।
हल्की चुनाव रणनीति : आम आदमी पार्टी जो खुद को कांग्रेस से अलग बताती थी उसने वोटो के लालच में कांग्रेस से गठबंधन कर लिया।
गठबंधन के बावजूद भी रणनीति की कमी के चलते आपसी तालमेल नहीं बिठा पाए और जनता का भरोसा भी नहीं जीत पाए। इसी की वजह से वोट बंट गए और बीजेपी सबसे मजबूत पार्टी के रूप में सामने आई।
प्रशासनिक अधिकारों की कमी : आम आदमी पार्टी के कई सारे फैसलों पर सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने रोक लगा दी जिसकी वजह से आम आदमी के पास प्रशासनिक अधिकारों की कमी हो गई और सरकार धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगी। ऐसे में लोगों के बीच इस पार्टी को लेकर नकारात्मक संदेश फैलने लगा जिसका असर चुनाव में दिखाई दिया।
भाजपा द्वारा चलाया गया आप ‘दा कैंपेन : चुनाव से पहले बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ दिल्ली में आप’ दा कैंपेन चलाया और इस दौरान BJP ने पोलराइजेशन के मुद्दे को ना उठाते हुए जमीनी स्तर पर काम करने की बात की और यह दिखाया कि किस प्रकार AAP पार्टी ने दिल्ली को नुकसान पहुंचाया है और विकास हेतु कोई भी काम नहीं किया है और अपने इस काम में भाजपा पूरी तरह से सफल भी हुई।
मुद्दे से भटक गई आम आदमी पार्टी : चुनावी जंग के दौरान आम आदमी पार्टी अपने मुद्दे से ही भटकती हुई दिखाई दी । भ्रष्टाचार विरोध की जगह राजनीतिक नाटकबाजी और और केंद्र सरकार पर हर बात के लिए दोष मढ़ने की आदत की वजह से मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी से मुंह मोड़ लिया।
आखरी बात
इस प्रकार आम आदमी पार्टी खुद अपने अहंकार, वादाखिलाफी और सामंजस्यता की कमी की वजह से आज दिल्ली की सत्ता से बाहर हो चुकी है और भविष्य में पंजाब भी हाथ से जाता हुआ दिखाई दे रहा है।