RBI Loan Defaulter New Rules: RBI ने विलफुल डिफॉल्टर्स के लिए लागू किए नए नियमों! अब ऐसे और बढ़ जाएगी सख्ती
RBI Loan Defaulter New Rules: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने विलफुल डिफॉल्टर्स के लिए नये और कठोर नियम लागू किए हैं, जिससे इनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
RBI Loan Defaulter New Rules: RBI ने विलफुल डिफॉल्टर्स के लिए लागू किए नए नियमों! अब ऐसे और बढ़ जाएगी सख्ती
RBI Loan Defaulter New Rules: नए निर्देशों के अनुसार, अब वह बैंकर, जो लोन संघटन की कमेटी में होता था, वह अब समझौता करने वाले पैनल का हिस्सा नहीं हो सकता।
इसके अतिरिक्त, समझौता सेटलमेंट को मंजूर करने वाले अधिकारी को समझौता पैकेज तैयार करने वाली अधिकारी से एक स्तर ऊपर होना अनिवार्य हो गया है।
बैंकों को विलफुल डिफॉल्टर्स से समझौता करने की अनुमति मिली है, लेकिन इसके साथ ही बैंकों के बोर्ड को ऐसे हर समझौते को मंजूरी देनी होगी। इसके अलावा, यदि डिफॉल्टर पूरी राशि 12 महीने के भीतर चुका देता है, तो उसे नया लोन देने पर विचार किया जा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में विलफुल डिफॉल्टर्स (जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहे हैं) के लिए नई नियमावली जारी की है।
इसके पहले, RBI ने निर्देश दिए थे कि बैंक विलफुल डिफॉल्टर्स के साथ वार्ता कर सकते हैं और 12 महीने का समय देकर उनसे अपना ऋण वापस प्राप्त कर सकते हैं।
यह एक बारी का सेटलमेंट था। हालांकि, नए निर्देशों के अनुसार, ये नियम अब कड़े हो गए हैं।
बदलाव में, जो बैंक कर्मचारी ऋण स्वीकृति कमेटी का हिस्सा था, वह अब समझौते करने वाली पैनल का हिस्सा नहीं हो सकता।
इसके अतिरिक्त, जो अधिकारी समझौते को मंजूर करेगा, वह समझौता पैकेज बनाने वाली संस्था से एक स्तर ऊपर होना चाहिए।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर कर्जदार बकाया राशि 12 महीने के भीतर चुका देता है, तो उस पर नए ऋण की विचारणा की जा सकती है।
यह नए निर्देश बैंकों को विलफुल डिफॉल्टर्स के
साथ समझौता करने की अनुमति देते हैं, लेकिन अब इस प्रक्रिया में अधिक सख्ती और पारदर्शिता लाने के लिए लागू किए गए हैं।
इससे ऋण ग्रहण करने वाले व्यक्तियों और संस्थानों पर ज्यादा दबाव पड़ेगा और वे अपने कर्ज को समय पर चुकाने के लिए अधिक प्रेरित होंगे। यह भारतीय बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देगा।