RBI rules for Credit card & Personal loan: पर्सनल लोन के साथ अब क्रेडिट कार्ड लोन भी हुआ महंगा! आपकी जेब पर कैसे पड़ेगा असर देखें रिपोर्ट
RBI rules for Credit card & Personal loan: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड कर्ज पर नए नियम लागू किए हैं, जिसका सीधा असर बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर पड़ेगा।
RBI rules for Credit card & Personal loan: पर्सनल लोन के साथ अब क्रेडिट कार्ड लोन भी हुआ महंगा! आपकी जेब पर कैसे पड़ेगा असर देखें रिपोर्ट
इन नए नियमों के अनुसार, असुरक्षित कर्जों पर अब ज्यादा जोखिम वजन (रिस्क वेटेज) लगाया जाएगा, जिससे बैंकों को इन कर्जों के लिए अधिक पूंजी आरक्षित रखनी होगी।
इस कदम का उद्देश्य बैंकों और वित्तीय प्रणाली को अधिक स्थिर और सुरक्षित बनाना है। व्यक्तिगत कर्ज और क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित कर्जों में हाल के वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे जोखिम भी बढ़ गया है।
नए नियमों के अनुसार, बैंकों को इन कर्जों के लिए अधिक पूंजी आरक्षित रखनी होगी, जिससे वे किसी भी वित्तीय संकट का सामना करने में सक्षम होंगे।
ग्राहकों पर कैसे पड़ेगा प्रभाव: फिच रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, नए नियमों से बैंकों और एनबीएफसी के लिए असुरक्षित कर्जों की वृद्धि दर में कमी आएगी।
इससे उपभोक्ता ऋण की वृद्धि दर पर भी असर पड़ेगा, जिससे बैंकिंग प्रणाली का जोखिम नियंत्रित होगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा और एसबीआई सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने इस परिवर्तन का समर्थन किया है। इन बैंकों का कहना है कि नए नियमों से बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बढ़ेगी और वित्तीय जोखिमों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के सीईओ देवदत्त चंद ने उल्लेख किया कि इससे बैंक के कैपिटल ‘बफर’ पर 0.50 प्रतिशत तक का प्रभाव पड़ेगा, जबकि एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने बताया कि इससे उनके अनसिक्योर्ड लोन देने की क्षमता पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ेगा।
जेब पर चलेगी कैंची: इन बदलावों से उपभोक्ताओं को व्यक्तिगत लोन और क्रेडिट कार्ड के जरिए कर्ज लेना महंगा पड़ सकता है।
बैंकों को अब इन कर्जों के लिए अधिक पूंजी आरक्षित रखनी होगी, जिससे उनकी लागत बढ़ेगी और इसका असर ऋण की ब्याज दरों पर पड़ सकता है।
इससे उपभोक्ताओं के लिए इन कर्जों की पहुँच कम हो सकती है और उनके लिए कर्ज लेना अधिक महंगा हो जाएगा।
सारांश: आरबीआई के नए नियमों का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में जोखिम को कम करना और वित्तीय स्थिरता बढ़ाना है।
इससे जहां एक ओर बैंकों के लिए अधिक पूंजी आरक्षित रखने की आवश्यकता बढ़ जाएगी, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा।
इसके चलते, व्यक्तिगत लोन और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कर्ज प्राप्त करने की प्रक्रिया अधिक जटिल और लागत युक्त हो सकती है।
हालांकि, यह कदम वित्तीय प्रणाली में जोखिम को कम करने और बैंकों की स्थिरता को बढ़ाने में मदद करेगा।
इसका समग्र प्रभाव यह होगा कि बैंकिंग प्रणाली अधिक मजबूत होगी, लेकिन साथ ही उपभोक्ताओं के लिए वित्तीय संसाधनों तक पहुंच में कुछ सीमाएँ भी आ सकती हैं।
इसलिए, उपभोक्ताओं को अपनी वित्तीय योजनाओं और कर्ज लेने के निर्णयों को सावधानीपूर्वक विचार करना होगा।