

Sanchar Saathi App Controversy: संचार साथी पर सरकार का यू टर्न! एप को अनिवार्य से सीधा कर दिया वैकल्पिक
Sanchar Saathi App Controversy: भारत में डिजिटल सुरक्षा को लेकर पिछले कुछ दिनों से हलचल तेज हो चुकी है। बता दे कुछ दिनों पहले ही सरकार ने घोषणा की थी कि, अब हर नए स्मार्टफोन में संचार साथी एप प्री-इंस्टॉल (Pre Install Sanchar Saathi App) होगा।

Sanchar Saathi App Controversy: संचार साथी पर सरकार का यू टर्न! एप को अनिवार्य से सीधा कर दिया वैकल्पिक
शुरुआत में इस ऐप को अनिवार्य बताया गया था और कहा गया था कि इसे ना डिसएबल किया जा सकेगा ना ही डिलीट। मतलब यह ऐप ग्राहकों पर थोपी जा रही थी। जिसकी वजह से आम उपयोगकर्ता से लेकर तकनीकी विशेषज्ञों के बीच यह एक चिंता का कारण बन गई।
हालांकि एप्पल ने इस नियम को मानने से इंकार कर दिया और अन्य मोबाइल कंपनियां भी इस नियम को मानने से इनकार करने लगी। यहां तक की लोगों ने भी विरोध जताया और आखिरकार बढ़ते विरोध के चलते सरकार ने अपना रूख नरम किया है। DoT ने अब स्पष्ट कर दिया है कि संचार साथी पूरी तरह से वैकल्पिक होगा।

मतलब यूज़र चाहे तो उपयोग करें और चाहे तो इसे हटा दें। हालांकि यह बदलाव कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। यदि एप इतनी ही जरूरी थी तो फिर इस नियम को क्यों बदला गया? क्या निजता से जुड़े मुद्दों पर पहले विचार नहीं किया गया? क्या यह नीति के सिर्फ प्रतिक्रिया में लिया गया कदम है? क्या आगे इसमें कुछ और फेर बदल होगा?
आइये सबसे पहले समझते हैं संचार साथी एप है क्या?
संचार साथी एक साइबर सुरक्षा एप है जिसे डिपार्मेंट आफ टेलीकम्युनिकेशन द्वारा विकसित किया गया है। इस ऐप की सबसे खास विशेषता यह है कि यह आपके फोन को एक यूनीक आईडेंटिफायर से जोड़ती है जिसे हम IMEI के नाम से जानते हैं। इस IMEI के माध्यम से आपका फोन हमेशा सरकारी नेटवर्क में रहेगा।


मतलब यदि आपका फोन चोरी हो जाता है, या फोन का कुछ गलत इस्तेमाल किया जाता है तो सरकार के पास संचार साथी एप के माध्यम से जानकारी पहुंच जाएगी। और तेजी से बढ़ते हुए फोन फ्रॉड, फोन चोरी, मोबाइल धोखाधड़ी, साइबर क्राइम इत्यादि पर रोक लगाई जाएगी।

पहले इस एप को लेकर सरकार क्या कह रही थी ?
जब 28 नवंबर 2025 को डिपार्मेंट आफ टेलीकम्युनिकेशन द्वारा यह आदेश जारी किया गया तब इसे प्री इंस्टॉल एप कहा गया। मतलब इस ऐप को डिसेबल नहीं किया जाएगा, डिलीट नहीं किया जाएगा। बल्कि इसे हटाना यूजर के लिए असंभव हो जाएगा।
कहा जा रहा था कि आने वाले समय में हर फोन प्री इंस्टॉल एप के साथ उपलब्ध कराया जाएगा। जितने भी फोन में यह ऐप नहीं है उसे सॉफ्टवेयर अपडेट के साथ कंपलसरी इंस्टॉल करवाया जाएगा। जिसकी वजह से संपूर्ण भारत में विवादों ने जन्म ले लिया और लोगों ने इसे डिजिटल तानाशाही बताना शुरू कर दिया।
विरोध के बाद सरकार का नया बयान
लगातार मोबाइल फोन यूजर्स और कंपनी के विरोध को देखते हुए 2 दिसंबर 2025 को संचार मंत्री ने सामने आकर बयान दिया है कि संचार साथी एप अनिवार्य नहीं होगी। बल्कि यूजर इसे अपनी सुविधा अनुसार हटा सकते हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह नागरिक सुरक्षा उपकरण के रूप में लॉन्च किया जा रहा है। अब यह यूजर की मर्जी है कि वह इसे यूज़ करना चाहता है या हटाना चाहता है। मतलब अचानक से सरकार पलटी मार चुकी है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर संचार साथी एप पर सरकार ने अपना स्टैंड क्लियर कर लिया है। अब देखना यह होगा कि आगे इस ऐप को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं?

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