SEBI Lowers Mutual Fund Expense Ratio: सेबी ने घटाया एक्सपेंस रेशो! अब म्यूचुअल में खर्च होगा कम, मुनाफा ज्यादा
SEBI Lowers Mutual Fund Expense Ratio: अगर आप भी म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं, SIP चला रहे हैं या निवेश शुरू करने का मन बना रहे हैं तो आप सभी के लिए SEBI के हवाले से एक फायदेमंद खबर सामने आ रही है। जी हां, हाल ही में SEBI ने ऐसा कदम उठाया है जिससे निवेशकों की जेब अब पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएगी और रिटर्न मिलेगा दुगना।

SEBI Lowers Mutual Fund Expense Ratio: सेबी ने घटाया एक्सपेंस रेशो! अब म्यूचुअल में खर्च होगा कम, मुनाफा ज्यादा
बता दें SEBI ने हाल ही में म्यूचुअल फंड के एक्सपेंस रेशो में 10 से 15 बेसिस प्वाइंट (BPS) तक की कटौती कर दी है। भले ही सुनने में यह आंकड़ा छोटा सा लगता है, लेकिन निवेश की दुनिया में यही छोटा आंकड़ा कंपाउंडिंग का दुश्मन बन जाता है। अब जब यह बेसिस प्वाइंट कम हो गए हैं तो निवेश का ज्यादा हिस्सा मार्केट में लगाया जाएगा जिससे निवेशक को मिलेगा पहले से ज्यादा रिटर्न।
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें हाल ही में SEBI द्वारा कुछ विशेष नियम लागू किए गए हैं। जहां एक्सपेंस रेशों के बेसिस प्वाइंट में तो कमी की ही गई है। वही फंड हाउस के मनमाने शुल्क पर भी लगाम लगाने की पहल की गई है। अब फ़ंड हाउस को साफ तौर से बताना होगा कि वह निवेशक का पैसा कहां खर्च कर रहे हैं? ताकि निवेशक को पहले से ज्यादा पारदर्शिता मिले।

आइये जानते हैं SEBI ने म्यूचुअल फंड के खर्चों मे कटौती के कौनसे नियम बनाए हैं?
एक्सपेंस रेशों को किया कम : SEBI ने अधिकांश म्यूचुअल फंड के एक्सपेंस रेशों को 10 से 15 BPS कम कर दिया है।
● उदाहरण के लिए इंडेक्स फंड और ETF का रेट पहले 1% था जिसे 0.90% किया गया है।
● FOF का रेट पहले एक 2.10% था जिसे 1.85% कर दिया गया है।
● डेट और इक्विटी फंड में भी अलग-अलग कटौती लागू की गई है।

पारदर्शिता में सुधार: SEBI ने अब स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि फंड हाउसेस को टोटल एक्सपेंस रेशो की जगह बेस एक्सपेंस रेशो दिखाना होगा। मतलब अब ग्राहकों को पता चलेगा कि कुल खर्चे कितने हैं? और कौन सी फीस अलग से ली जा रही है?
अन्य खर्चो का देना होगा हिसाब: पहले फंड हाउसेस GST, STT, स्टैंप ड्यूटी आदि TER में शामिल कर देते थे, परंतु अब फंड हाउसेस को इन्हें अलग से दिखाना होगा।
ब्रोकरेज सीमा: SEBI ने फंड की ब्रोकरेज सीमा को 6 bps पर सीमित कर दिया है, मतलब अब निवेशकों को ब्रोकरेज पर ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं होगी जिससे उनकी ट्रेडिंग की लागत बच जाएगी।
इस निर्णय से क्या फायदा होगा
● SEBI का यह निर्णय निवेशकों के लिए फायदेमंद होगा।
● खर्चों का भार घटेगा।
● निवेशक आसानी से देख पाएंगे कि कहां कौन सा शुल्क वसूला जा रहा है?
● वही लंबी अवधि में खर्चों की कमी की वजह से बेहतर रिटर्न मिलेगा।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर SEBI द्वारा म्युचुअल फंड के एक्सपेंस रेशो में 10 से 15 बेसिस प्वाइंट की गई कटौती भले ही पहली नजर में छोटी सी लगती है, लेकिन यह निवेशोंको के लिए दूरगामी फायदा साबित होगी। कम खर्च मतलब ज्यादा निवेश और ज्यादा निवेश मतलब बेहतर रिटर्न।
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