Sirmour News: 34वें खान पर्यावरण एवं खनिज संरक्षण सप्ताह के दौरान बल्दवा खान का निरीक्षण, तीन राज्यों की 36 खानों का होगा मूल्यांकन
खान प्रबंधन के पर्यावरण कार्यों की हो रही जांच, अव्वल आने वाली खानों को मिलेगा सम्मान
Sirmour News: भारतीय खान ब्यूरो देहरादून के तत्वाधान में 34वें खान पर्यावरण एवं खनिज संरक्षण सप्ताह के दूसरे दिन सिरमौर के कमरऊ क्षेत्र में बल्दवा खान का निरीक्षण किया गया।
Sirmour News: 34वें खान पर्यावरण एवं खनिज संरक्षण सप्ताह के दौरान बल्दवा खान का निरीक्षण, तीन राज्यों की 36 खानों का होगा मूल्यांकन
यह सप्ताह 16 दिसंबर से 22 दिसंबर तक तीन राज्यों – हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की कुल 36 खानों में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को इस वर्ष सीसीई राजबन द्वारा होस्ट किया जा रहा है। इसका समापन समारोह सीसीई राजबन परिसर में आयोजित किया जाएगा।
तीन टीमों द्वारा निरीक्षण…
खानों के निरीक्षण के लिए तीन टीमें – टीम ए, बी और सी गठित की गई हैं।
टीम ए: हिमाचल प्रदेश की 6 मशीनीकृत खानों का निरीक्षण कर रही है।
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टीम बी: सिरमौर की 20 और उत्तराखंड की अर्ध-मशीनीकृत खानों का निरीक्षण करेगी।
टीम सी: जम्मू-कश्मीर की खानों का मूल्यांकन करेगी।
निरीक्षण दल में वरिष्ठ खान प्रबंधक और खान अभियंता शामिल हैं।
खानों की कार्यप्रणाली का निरीक्षण….
पर्यावरण संरक्षण सप्ताह के अंतर्गत खानों में किए गए वनरोपण, अपशिष्ट प्रबंधन, खनिज संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, पुनर्वास और अन्य कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा। अव्वल खानों को समापन समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
बल्दवा खान का इतिहास……
बल्दवा खान का निरीक्षण करते हुए जय सिंह ठाकुर एंड संस के अभिकर्ता और खान प्रबंधक आर.पी. तिवारी ने बताया कि 1980 के दशक में उन्होंने बल्दवा खान का पहला माइनिंग प्लान तैयार किया था।
1988 में भारतीय खान ब्यूरो से इसे मंजूरी मिली थी, जो जिले का पहला माइनिंग प्लान था।
उन्होंने बताया कि यह कार्य तत्कालीन राज्य भूवैज्ञानिक अरुण शर्मा की सलाह पर किया गया था। क्षेत्र की कई खानों के माइनिंग प्लान तत्कालीन अभियंता पी.सी. मंगल ने तैयार किए थे।
सप्ताहभर चलेगा ये आयोजन…
पहले दिन गिरी लाइम और बड़वास लाइम स्टोन खानों का निरीक्षण किया गया। दूसरे दिन बल्दवा खान, बांदला माइन और पमता लाइम स्टोन माइन का निरीक्षण हुआ।
भारतीय खान ब्यूरो के इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और खनन कार्यों के बीच संतुलन बनाना है। अव्वल आने वाली खानों को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जाएगा।