HP News: स्थानीय उत्पादों को विदेशों में एक्सपोर्ट करेंगे स्वयं सहायता समूह! पंजीकरण करवाना अनिवार्य
HP News: जिला शिमला के स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को विदेशों तक पहुंचाने की दिशा में जिला प्रशासन ने फैसला लिया है। उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आयोजित जिला स्तरीय एक्सपोर्ट प्रमोशन समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया।

HP News: स्थानीय उत्पादों को विदेशों में एक्सपोर्ट करेंगे स्वयं सहायता समूह! पंजीकरण करवाना अनिवार्य
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि जिला शिमला में स्थानीय उत्पादों को लेकर सैंकेड़ों स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं और हिम ईरा के माध्यम से देश भर में अपने उत्पादों को बेच भी रहे हैं। लेकिन अन्य देशों में उत्पाद बिक्री को लेकर अभी किसी भी स्वयं सहायता समूह ने पंजीकरण नहीं करवाया है।
जिला के उत्पादों की मांग दुनिया के विभिन्न देशों में बढ़ सकती है। भारत सरकार की एक्सपोर्ट काउंसिल विभिन्न उत्पादों के निर्यात के लिए बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है। इसके माध्यम से निर्यातकों को मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और बाजार की जानकारी मुहैया करवाई जाती है।


इसमें निर्यातक का निर्धारित विभिन्न औपचारिकताओं को लेकर पहले पंजीकरण होता है। फिर एक्सपोर्ट काउंसिल सर्टिफिकेट मुहैया करवाती है। इसी के बाद निर्यातक अपने उत्पाद को देश से बाहर बेचने के लिए अधिकारिक होता है। जिला शिमला में करीब 5500 स्वयं सहायता समूह पंजीकृत हैं। इनसे करीब 32 हजार परिवार जुड़े हुए है।
उपायुक्त ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट और हर्बल उत्पाद व्यापक स्तर पर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से बनाए जा रहे है। इन की वजह से महिलाओं को घरद्वार पर ही रोजगार मिल रहा है। वहीं महिलाएं अपनी आर्थिकी को मजबूत कर पा रही हैं।

प्रशासन का प्रयास स्वयं सहायता समूहों को समय-समय पर सही मंच और प्रशिक्षण मुहैया करवाना है ताकि उनके उत्पादों का कारोबार अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके। उपायुक्त ने कहा कि हम स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता मुहैया करवाने के लिए दिशा में तीव्रता से कार्य कर रहे हैं।
हम अपने स्थानीय उत्पादों की पैकिंग, लेबलिंग, ब्रांडिंग आदि पर प्रमुखता से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन स्वयं सहायता समूहों को एक्सपोर्ट काउंसिल में पंजीकरण करवाने को लेकर जागरूक करेगा।
यह प्रमुख स्थानीय उत्पाद
जिला शिमला में करीब 5500 स्वयं सहायता समूह पंजीकृत है। इनसे करीब 32 हजार परिवार जुड़े हुए है। ये सहायता समूह आचार, चटनी, जैम, दाल, लाल चावल, शहद, मसालों, सेब की बर्फी, जौ का आटा, चीड़ के पत्तों के उत्पाद, जूट के बैग, स्टफ टायॅज, शाॅल, गर्म कपड़े, बुनाई से बने उत्पाद को लेकर प्रमुख तौर पर शामिल है।

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