Vastu Tips : वास्तु के अनुसार दिशाओं का सही ज्ञान देगा आपको चौमुखी विकास, आज ही अपनाएं ये टिप्स…
वैसे तो वास्तु विज्ञान हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करता है लेकिन कुछ लोग इससे अपरिचित रह जाते हैं ऐसे में अपने ज्ञान को साझा करते हुए हम आपको बताने जा रहे हैं की किस तरह वास्तु विज्ञान के मौलिक सिद्धांतों में दिशा का भी एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
आपको बता दें की वास्तु दोषों से बचने के लिए दिशा का ज्ञान होना सभी के लिए ज़रूरी है। जीवन में बहुत सारी समस्याएं केवल दिशाओं के गलत उपयोग के कारण आती है। हमारे शास्त्रों में रहन-सहन, व्यवहार ,खाने-पीने के लिए दिशाओं का उपयोग किस प्रकार से किया जाए इसकी जानकारी होने से व्यक्ति अनेक प्रकार के कष्टों से तो बचा जा ही सकता है साथ में धन वृद्धि भी होती है।
सही दिशा में अच्छी नींद-
वास्तु शास्त्र में सोते समय सिरहाना पूर्व एवं दक्षिण की ओर तथा पैर पश्चिम अथवा उत्तर की ओर रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का मानव जीवन में काफी प्रभाव पड़ता है।
सिर दक्षिण तथा पैर उत्तर में करके सोने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृध्दि होती है,स्वास्थ्य उत्तम रहता है। आपको बता दें की अविवाहित कन्याओं का सोने का कमरा या स्थान उत्तर-पश्चिम दिशा में होने से उनकी शादी में किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं होती।
उत्तर दिशा से अच्छा व्यापार-
वास्तु शास्त्र के अनुसार उनके क्षेत्र को कुबेर का स्थान माना गया है इसलिए जब भी आप किसी व्यापारिक चर्चा या परामर्श में अपना भाग्य ले तो उत्तर दिशा की ओर मुंह कर कर बैठे क्योंकि उस समय उत्तरी क्षेत्र में चुंबकीय ऊर्जा प्राप्त होती है और मस्तिष्क की कोशिकाएं अपने आप सक्रिय हो जाती है।
आप अपने विचारों को अच्छी तरह से प्रस्तुत करने में सक्षम हो जाते हैं। यह ध्यान रखें कि अपने दाहिने हाथ की और चेक बुक किया कैश अवश्य रखें।
अच्छी सेहत के लिये
पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है तथा आयु बढ़ती है।जिन लोगों के माता-पिता जीवित हैं उनको कभी भी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके नहीं खाना चाहिए। आपकी आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है तो आपको पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए ऐसा करने से आप की आर्थिकी में धीरे-धीरे बदलाव और सुधार आएगा।
आपको बता दें की उत्तर दिशा की ओर मुख करके खाने से क़र्ज़ बढ़ता है,पेट में अपच की शिकायत हो सकती है। खाना बनाते समय गृहिणी को मुख पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।यदि भोजन बनाते समय यदि गृहणी का मुख दक्षिण दिशा की ओर है तो त्वचा एवं हड्डी के रोग हो सकते हैं ।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता में होगी वृद्धि-
घर में भूमिगत जल की गलत स्थिति भी बहुत सारे रोगों का कारण होती है । उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में भूमिगत जल स्रोत धनदायक होते हैं एवं संतान को भी सुंदर निरोगी बनाते हैं।
धन पर रहने वाले लोगों के चेहरे पर शांति और निखार बना रहता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है दक्षिण पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार यानी घर का प्रमुख द्वार या चार दिवारी या खाली जगह होना शुभ नहीं है ऐसा होने से हार्ट अटैक लकवा हड्डी एवं स्नायु रोग हो सकते हैं।
किराए के लिए दिशा-
वास्तु शास्त्र के अनुसार किराएदार को हमेशा घर के उत्तर-पश्चिम में बना कमरा या पोर्शन ही किराए पर देना चाहिए। क्योंकि दक्षिण-पश्चिम में बने कमरे या पोर्शन में घर के मालिक को ही रहना चाहिए।
Disclaimer : यह सूचना केवल धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित है न्यूज़ घाट इसकी किसी भी प्रकार से सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।
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