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अगर अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं असामाजिक तत्वों से तो करना होगा ये काम

अगर अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं असामाजिक तत्वों से तो करना होगा ये काम
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अगर अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं असामाजिक तत्वों से तो करना होगा ये काम

बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष अभयकांत अग्रवाल ने दी ये अहम जानकारी

बचत भवन में किया जिला स्तरीय बाल संरक्षण समिति कार्यशाला का आयोजन

जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन स्थित बचत भवन के सभागार में आज जिला स्तरीय बाल संरक्षण समिति कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष अभयकांत अग्रवाल ने की।

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अभयकांत अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि असहाय एवं आश्रयहीन बच्चों के संरक्षण के प्रति पूरे समाज को सजग रहने की नितांत आवश्यकता है तभी हम उनका असामाजिक तत्वों से बचाव व संरक्षण कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यह जागरूकता शिविर पुलिस, बाल संरक्षण समिति, किशोर न्याय बोर्ड के आपसी समन्वय के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा, जिससे प्रभावित बच्चों को त्वरित सहायता व संरक्षण प्रदान करना आसान होगा।

उन्होंने कहा कि असामाजिक तत्वों के लिए बच्चे बेहद आसान लक्ष्य होते हैं। असामाजिक तत्व विभिन्न अवांछनीय गतिविधियों के लिए असहाय एवं आश्रयहीन बच्चों की तलाश करते हैं।

बच्चों को ऐसे तत्वों से बचाने के लिए पूरे समाज का जागरूक होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस अथवा बाल संरक्षण इकाई को दी जानी चाहिए ताकि समय रहते उचित कार्रवाई कर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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इससे पूर्व, श्रम निरीक्षक पांवटा साहिब भूपेश कुमार ने किशोर श्रम अधिनियम- 1986 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बाल श्रम पूरी तरह निषेध है। पारिवारिक व्यवसाय में बच्चों से तभी कार्य लिया जा सकता है यदि इससे उनकी शिक्षा बाधित न होती हो।

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किसी भी बच्चे से 5 घंटे से अधिक कार्य नहीं करवाया जा सकता है तथा 3 घंटे के कार्य के उपरांत विश्राम अनिवार्य है। उन्होंने जानकारी दी कि सायं 7ः00 बजे से प्रातः 8ः00 बजे तक असहाय व आश्रयहीन बच्चों से कार्य लेना अपराध है।

इस अवसर पर जिला विधिक प्राधिकरण समिति के सदस्य अधिवक्ता विपिन ठाकुर ने हिमाचल भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1979 जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि बच्चे राष्ट्र की संपत्ति हैं और उनका संरक्षण हम सभी का कर्तव्य है।

इस अवसर पर वन स्टॉप सेंटर की सदस्य रजनी गुप्ता ने जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि वन स्टॉप सेंटर में एक छत के नीचे घरेलू हिंसा से पीड़ित बच्चियों व महिलाओं को पुनर्वास सुविधा, चिकित्सा सुविधा इत्यादि प्रदान की जाती है।

इस कार्यशाला में बाल संरक्षण अधिकारी सोहन पुंडीर, बाल संरक्षण समिति के सदस्य नसीम मोहम्मद निदान, सपना सोलंकी, अमित कुमार, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य, पुलिस विभाग के अधिकारी व अन्य कर्मचारियों ने भाग लिया।

Written by Newsghat Desk

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