नाहन में दीन दयाल वर्मा के गुरू दक्षिणा नाटक के अंग्रजी संस्करण का विमोचन
डा. राजन कौशल द्वारा अनुमोदित नाटक का दीपचंद कौशल ने किया लोकार्पण
प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार एवं नाहन निवासी दीन दयाल वर्मा द्वारा रचित काव्य नाटक गुरू दक्षिणा के अंग्रेजी संस्करण का लोकार्पण समारोह रविवार को नाहन में हुआ।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार दीप चंद कौशल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने लेखक दीन दयाल वर्मा द्वारा रचित और गोल्ड मेडलिस्ट प्रो. डा. राजन कौशल द्वारा अनुवादित गुरू दक्षिणा का लोकार्पण कर उसकी पहली प्रति लेखक को भेंट की।
बता दें कि काव्य नाटक गुरू दक्षिणा का पहला हिंदी संस्करण 1976 में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद इस काव्य नाटक के हिंदी के आठ संस्करण निकल चुके हैं। नौवां संस्करण अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया।
इस काव्य नाटक की प्रशंसा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी कर चुके हैं। उनके द्वारा एक प्रशस्ति पत्र भी लेखक को दिया गया है। तत्कालीन राष्ट्रपति व पूर्व रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम भी इस नाटक की सराहना कर चुके हैं। दीन दयाल वर्मा द्वारा रचित काव्य नाटिका गुरू दक्षिणा एक कालजयी रचना है।
जो पाठकों को 1976 से प्रभावित व आकर्षित कर रही है। यह नाटक गुरू द्रोणाचार्य के स्वयंभू शिष्य भील बालक एकलव्य की कथा पर आधारित है। यह नाटक नस्लवादी जातिवादी भेदभाव का एक वीभत्स उदाहरण है।
इसमें एकलव्य से उसका अंगूठा इसलिए ले लिया गया कि कहीं वह राजपुत्र अर्जुन से भी निपुण धर्नुधर न जाए। लेखक ने काव्यात्मक तरीके से एकलव्य की कथा का वर्णन किया है।
नाहन कॉलेज में प्रो. डा. राजन कौशल द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित यह संस्करण 1976 से 2021 तक हिंदी में प्रकाशित होने के पश्चात अंग्रेजी में प्रकोशित नौवां संस्करण है।
यह नाटक आकाशवाणी से भी अनेक बार प्रकाशित हो चुका है। प्रदेश सरकार की ओर से पुरस्तकालयों के लिए भी स्वीकृत है। केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली और प्रदेश कला एवं साहित्य अकादमी द्वारा भी इसकी थोक खरीद की गई है।
नाटक का वर्तमान अंग्रेजी संस्करण तनीशा प्रकाशन एवं प्राची डिजिटल पब्लिकेशल द्वारा किया है। यह पुस्तक अमेजन फिलिप कार्ट एवं लेखक के पास उपलब्ध है।
लोकार्पण समारोह के दौरान चिरआनंद, भुवन जोशी, शबनम शर्मा, प्रभात कुमार, पंकज तन्हा, जावेद उल्फत, धनवीर सहित दर्जनों साहित्यकार मौजूद रहे।