कुछ सालों पहले तक ऐतिहासिक शहर में खूब होती थी पतंगबाजी
नाहन। रक्षाबंधन के मौके पर पतंगबाजी के लिए मशहूर ऐतिहासिक शहर नाहन में पतंगबाजी की परंपरा सिमटने लगी है। अधिकतर लोग अब पतंगबाजी से किनारा कर रहे है। रविवार को भी रक्षा बंधन पर पूर्व की भांति चली आ रही पतंगबाजी का उतना क्रेज नहीं दिखाई दिया, जोकि कुछ सालों पहले तक यहां देखने को मिलता था।
एक समय था जब नाहन शहर पतंगबाजी के लिए जाना जाता था। नाहन शहर में रियासतकालीन समय से पतंगबाजी की परंपरा चली आ रही है। एक समय था जब यहां राजा-महाराजा न केवल खुद पतंगबाजी करते थे, बल्कि लोगों के लिए भी पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं आयोजित करते थे। मगर अब यह परंपरा सिमटने लगी है।
पुराने समय में रक्षाबंधन के दिन पतंगबाजी करने वालों का छतों पर तांता लगा रहता था। आसमान में चारों तरफ पतंग ही पतंग नजर आते थे। बच्चे, युवा यहां तक कि बुजुर्ग भी पतंगबाजी में काफी रुचि रखते थे। मगर अब चंद लोग ही पतंगबाजी करते देखे जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि युवा पीढ़ी अब मोबाइल इंटरनेट आदि जैसी सोशल साइट्स पर ज्यादा व्यस्त रहते हैं और पतंगबाजी के लिए उनके पास वक्त नहीं है। खुद युवा भी मानते हैं कि अब पतंगबाजी का क्रेज घटता जा रहा है।
कुल मिलाकर सदियों से चली आ रही ये परंपरा अब खत्म होने की कगार पर है। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब ऐतिहासिक शहर नाहन की पतंगबाजी का इतिहास सिर्फ इतिहास के पन्ने तक सिमट कर रह जाएगा।