पांवटा साहिब: डिंपल कौर और रविंदर बराड़ का मिशन-सड़कों पर बेसहारा जानवरों की रक्षा
पांवटा साहिब के सामाजिक कार्यकर्ताओं डिंपल कौर और उनके पति रविंदर बराड़ पशु कल्याण के क्षेत्र में एक अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रहे हैं।
पांवटा साहिब: डिंपल कौर और रविंदर बराड़ का मिशन-सड़कों पर बेसहारा जानवरों की रक्षा
पिछले आठ वर्षों से ये दंपति सड़कों पर भटकते घायल और बीमार जानवरों की सेवा में जुटे हैं। अब तक वे 550 से अधिक कुत्तों की नसबंदी करवा चुके हैं, ताकि उनकी अनियंत्रित आबादी पर नियंत्रण पाया जा सके।
इनका प्रमुख उद्देश्य है — सड़क दुर्घटनाओं में जानवरों की जान बचाना। डिंपल कौर बताती हैं कि तेज़ रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर अक्सर कुत्ते, गाय और अन्य मवेशी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं, और समय पर उपचार न मिलने पर उनकी मृत्यु हो जाती है। इस स्थिति को बदलने के लिए वे और उनके पति लगातार सक्रिय हैं।
घायल जानवरों के लिए ‘घर’ बना है इनका आशियाना
डिंपल और रविंदर न केवल इन जानवरों को सड़क से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाते हैं, बल्कि उन्हें अपने घर में आश्रय देकर उपचार भी करवाते हैं। पशु चिकित्सकों की मदद से इलाज कराकर वे इन जानवरों को पुनः स्वस्थ जीवन की ओर लौटाने का प्रयास करते हैं। इनकी मानवीय पहल ने कई जानवरों को जीवनदान दिया है।
स्थानीय प्रशासन से सहयोग की अपील
इन समाजसेवियों की मांग है कि नगर परिषद और प्रशासन उनके इस मिशन में सहभागी बने। वे चाहते हैं कि सरकारी स्तर पर ऐसे घायल और बीमार जानवरों के लिए स्थायी उपचार केंद्र और आश्रयगृह बनाए जाएं। साथ ही, नियमित रूप से नसबंदी अभियान चलाया जाए, जिससे सड़कों पर पशुओं की संख्या नियंत्रित रह सके और नागरिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो।
फायदे:
दुर्घटनाओं में कमी: जब जानवर सड़कों पर नहीं भटकते, तो वाहन दुर्घटनाएं कम होती हैं।
जनसंख्या नियंत्रण: नसबंदी से आवारा पशुओं की अनियंत्रित वृद्धि पर रोक लगती है।
स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार: घायल और बीमार जानवरों की देखभाल से शहर की साफ-सफाई और वातावरण बेहतर होता है।
मानवीय दृष्टिकोण को बढ़ावा: ऐसे प्रयास समाज में करुणा और जागरूकता को प्रोत्साहित करते हैं।
चुनौतियां और नुकसान:
वित्तीय बोझ: जानवरों की देखभाल, चिकित्सा और नसबंदी जैसे कार्यों में भारी खर्च आता है।
प्रशासनिक सहयोग की कमी: सरकारी सहायता या समर्थन के अभाव में यह कार्य सीमित दायरे में ही सिमट जाता है।
स्थान की समस्या: हर घायल जानवर को घर में रखना संभव नहीं होता, और स्थानीय आश्रयगृहों की संख्या सीमित है।
भविष्य की योजना और संभावनाएं:
डिंपल और रविंदर की योजना है कि भविष्य में एक स्थायी पशु पुनर्वास केंद्र की स्थापना की जाए, जहाँ घायल, बीमार और वृद्ध जानवरों को बेहतर देखभाल मिल सके। वे चाहते हैं कि समाज के युवा इस कार्य से जुड़ें और पशु अधिकारों के प्रति जागरूकता लाएं। यदि प्रशासन और नागरिक साथ मिलकर काम करें, तो पांवटा साहिब को एक मॉडल ‘एनिमल-फ्रेंडली’ शहर बनाया जा सकता है।
नोट: यदि आप इस पहल से जुड़ना चाहते हैं या सहायता करना चाहते हैं, तो डिंपल कौर और रविंदर बराड़ से संपर्क कर सकते हैं। उनका छोटा-सा प्रयास एक बड़े बदलाव की ओर अग्रसर है।
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