पांवटा साहिब में घर बाहर कितनी सुरक्षित है महिलाएं ? पुलिस ने दर्ज किए 38 मामले…
क्या कहते हैं डीएसपी रमाकांत ठाकुर, न्यूज़ घाट से प्रीती पारछे की रिपोर्ट…
महिला उत्पीड़न एवं घरेलू हिंसा के बीच फंसा पांवटा साहिब….
आखिर क्यों नहीं है महिलाएं जागरूक क्या है वजह…….
हम यहां जानेंगे…..
क्या होती हैं घरेलू हिंसा में की जाने वाली गतिविधियां
महिला उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मुख्य कारण…..
पांवटा साहिब में पुलिस ने दर्ज किए 38 मामले…
जानिए क्या कहते हैं डीएसपी रमाकांत ठाकुर…
कैसे घटेंगे महिला उत्पीडन के मामले…
प्रीती पारछे की रिपोर्ट
अकसर शादी के बाद घरों में होने वाली मियां बीवी के बीच में लड़ाई झगड़ों को घरेलू हिंसा का नाम दिया गया है। आज पूरे देश प्रदेश में घरेलू हिंसा के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं घरेलू हिंसा को बढ़ावा देने में सबसे अहम है।
शादी के बाद अकसर दहेज के नाम पर ससुराल वाले लड़की के साथ अत्याचार मारपीट जैसे घिनौने कार्य करते हैं। जिससे आहत लड़कियां कई बार आत्महत्या तक का रास्ता अख्तियार करती हैं।
घरेलू हिंसा में की जाने वाली गतिविधियां :-
शारीरिक शोषण
भावनात्मक शोषण
मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार
वंचितता
आर्थिक शोषण
गाली-गलौज या ताना मारना जैसी गतिविधियां घरेलू हिंसा का हिस्सा मानी गई है।
घरेलू हिंसा
किसी भी महिला को शारीरिक पीड़ा देना जैसे मारपीट,धकेलना, ठोकर मारना, कोई भी वस्तु उठाकर मारना, महिलाओं को अश्लील तस्वीरें या वीडियोस देखने के लिए विवश करना, बलात्कार करना, दुर्व्यवहार करना, बात-बात पर महिला का अपमान करना, पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा का आहत करना, किसी भी महिला लड़की को किसी भी प्रकार से अपमान करना, इच्छा के विरुद्ध शादी करना, आत्महत्या की धमकी देना मुंह से बोलकर गंदा व्यवहार करना।
बता दें कि यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड रिपोर्ट के अनुसार, लगभग दो-तिहाई विवाहित भारतीय महिलाएँ घरेलू हिंसा की शिकार हैं।
भारत में 15-49 आयु वर्ग की 70% विवाहित महिलाएँ पिटाई, बलात्कार या ज़बरन यौन शोषण का शिकार हैं।
भारत में घरेलू हिंसा को रोकने के लिए साल 2005 में बने कानून के मुताबिक घरेलू हिंसा अर्थात् कोई भी ऐसा कार्य जो किसी महिला एवं बच्चे के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन पर संकट, आर्थिक क्षति और ऐसी क्षति जो असहनीय हो और जिससे महिला व बच्चे को दुःख एवं अपमान सहन करना पड़े, इन सभी को घरेलू हिंसा के दायरे में शामिल किया गया है।
घरेलू हिंसा के मुख्य कारण…..
महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा का मुख्य कारण निम्न स्तर की मानसिकता हो सकता है क्योंकि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा में शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से कमजोर होती हैं।
लड़की के घर से प्राप्त दहेज में असंतुष्टि होने पर साथी द्वारा बहस करना, यौन संबंध बनाने से इंकार करना, बच्चों की उपेक्षा करना,साथी को बिना बताए घर से बाहर जाना, अच्छा खाना ना बनाना इत्यादि शामिल है।
विवाह होने के बाद भी अवैध संबंधों में लिप्त होना, ससुराल वालों के हित में ना होना, लड़की का संतान पैदा करने में सक्षम न होना इत्यादि भी घरेलू हिंसा का कारण होते हैं।
अधिकतर घरेलू हिंसा का कारण पति द्वारा पर्याप्त मात्रा में कमाई ना करना या फिर नशा सट्टेबाजी एक प्रमुख कारण माना गया है, क्योंकि जब पति अपनी पत्नी की इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाता तो ऐसे में घरेलू हिंसा जैसी परेशानियां उत्पन्न होने लगती है।
घरेलू हिंसा के प्रभाव
घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति चारों ओर से अपने आप को दबा हुआ महसूस करने लगता है और हर समय डर की स्थिति में जीने लगता है उसका जीवन यापन करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। मैं उस व्यक्ति के मन में सोच में नकारात्मकता छाई रहती है जिससे उबर पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति मानसिक आघात से जल्दी नहीं उभर पाता ऐसे में या तो व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है या फिर अवसाद का शिकार हो जाता है, या फिर अवसाद का शिकार हो बैठता है।
घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति का यह असहनीय दुख इस कदर उन पर हावी होता है कि उन्हें लगता है कि जिन पर हमने भरोसा किया था वह लोग अब उनके साथ नहीं है और उनका रिश्तो पर से विश्वास उठ जाता है, तथा वह स्वयं को अकेला करने की चाहत में आत्महत्या तक कर लेते हैं।
हिमाचल प्रदेश के सब डिविजन पांवटा साहिब में महिला उत्पीडन के 38 मामले दर्ज किए गए…
पांवटा साहिब में इस वर्ष में महिला उत्पीडन के विभिन्न मामलों में 38 मुकद्दमें दर्ज किए गए। जिनमें बलात्कार के 19 मामले, दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के 7 मामले, यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के 9 मामले, अश्लील टिप्पणी, यौन उत्पीड़न के 3 मामले इस वर्ष पुलिस उपमंडल पांवटा साहिब में दर्ज किए गए हैं। जिनमें से अधिकतर में कार्यवाही की जा चुकी है जबकि कई अन्य पर कार्यवाही जारी है।
जानिए क्या कहते हैं डीएसपी रमाकांत ठाकुर….
पांवटा साहिब के डीएसपी रमाकांत ठाकुर का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में घरेलू हिंसा दिन प्रतिदिन पैर पसारे हुए हैं। एक और जहां प्रशासन और सरकार इस पर अपना कड़ा शिकंजा कसने को तैयार है तो वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाओं को वारदात देने वाले लोग भी चूक नहीं रहे हैं।
ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं का जागरूक होना क्योंकि जब तक महिला शक्ति जागरूक नहीं होगी तब तक वह उनके प्रति हो रहे जुल्मों और अत्याचारों पर विजय नहीं हो सकती।
उनका कहना है कि समाज का पहला दायित्व है की महिलाओं को सम्मान देना जब तक एक बच्चे से लेकर पड़ा व्यक्ति महिलाओं की गरिमा को पहचान नहीं लेता तब तक वह महिला को इज्जत देना नहीं सीखेगा और ना ही इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सकती है इसलिए जरूरी है कि पुरुषों को एवं लड़कों को महिलाओं की गरिमा या इज्जत आबरू से अवगत करवाना।
बातचीत करते हुए डीएसपी रमाकांत ठाकुर ने बताया कि 75% घरेलू हिंसा शराब का सेवन करने वाले नशा करने वाले एवं जुआ खेलने वाले व्यक्तियों द्वारा ही किया जाता है क्योंकि यह लोग अपने परिवार की मूलभूत इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाते जिसमें पारिवारिक उत्पात मच जाता है जिसकी वजह से घरेलू हिंसा जन्म ले लेती है।
कैसे घटेंगे महिला उत्पीडन के मामले…
ऐसे में पांवटा पुलिस द्वारा नशे एवं जुए के कई ऐसे स्थानों पर खास टीमें भेजकर कड़ी निगरानी रखने तथा उन पर शिकंजा कसने के लिए पांवटा पुलिस पूरी तरह से तैयार है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर पूर्णता रोक लगाया जा सके।
डीएसपी रमाकांत ने बताया कि महिलाओं का शिक्षित होना ऐसी परिस्थिति में बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अपनी अधिकारों और उनके लिए बनाए गए कानूनों की जानकारी उन्हें अवश्य हो ताकि उनके साथ कोई भी ऐसी अनहोनी होने पर उनके लिए बनाए गए नियम अधिकार कानूनों की उन्हें विस्तृत जानकारी हो जिनका वह ऐसी परिस्थिति में लाभ उठा सकें।
ऐसे में उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कई हेल्पलाइन महिलाओं के लिए बनाई गई है जिस पर वे अपनी किसी भी तरह की घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायत को दर्ज करवा सकती हैं,जैसे विशाखा हेल्पलाइन।
साथ ही साथ उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो इसके लिए स्कूलों पिछड़े हुए गांव इत्यादि में जागरूकता शिविर आदि चलाने का फैसला लिया है ताकि हर महिला जागरूक हो सके।
भारतीय कानून को देखते हुए हमारी सरकार ने महिलाओं के लिए कई प्रकार के ऐसे कानून बनाए हैं जिसकी आधी अधूरी जानकारी या जानकारी ना होने पर कुछ लोग पुरुष लड़के ऐसे कार्य कर तो लेते हैं लेकिन उन्हें रत्ती भर भी अंदेशा नहीं होता कि वह कितना बड़ा अपराध करने जा रहे हैं जिसका खामियाजा उन्हें बड़े ही भयानक रूप से भुगतना पड़ेगा।
डीएसपी रमाकांत ठाकुर ने बताया कि भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो इसके लिए कई प्रकार से प्रयासरत हैं ताकि हिमाचल प्रदेश एवं सिरमौर जिला से क्राइम को खत्म किया जा सके, और महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों के विरोध में आवाज उठाने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।