पांवटा साहिब में बुखार खांसी का प्रकोप, सौ बच्चे हुए अस्पताल में भर्ती…
अस्पताल में दवाओं की शॉर्टेज, बाहर से खरीदनी पड़ रही महंगी दवाएं..
कोरोना की तीसरी लहर तो नही, अभिभावकों की चिंता बढ़ी
प्रीति पारछे
पांवटा साहिब क्षेत्र में बच्चों में बुखार व खांसी के प्रकोप से हड़कंप मच गया है। यहां बीते 4 दिनों में सौ से ज्यादा बच्चों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या इससे अलग है। सिविल अस्पताल में रोगियों को अपेक्षित निशुल्क दवाएं नही मिल रही हैं।
अस्पताल सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इलाके के बच्चों में बुखार, खांसी के मामलों में बढ़े पैमाने पर इजाफा हुआ है। इससे अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार केवल सिविल अस्पताल पांवटा साहिब में ही पिछले चार दिनों में 100 से अधिक रोगी भर्ती किए गए हैं। सोमवार सुबह को अस्पताल में 30 से अधिक रोगी भर्ती थे।
जहां एक और खांसी बुखार से रोगियों में इजाफा हुआ है वहीं अस्पताल में दवाओं की कमी देखने को मिली है। आलम ये है कि बुखार के संकट में अस्पताल में पैरासिटामोल टेबलेट भी उपलब्ध नहीं है। रोगी बाहर से महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।
अस्पताल में पहुंचने वाले रोगियों में ज्यादा तादात ग्रामीण क्षेत्रों से है। जिसमें क्यारदा, मिश्रवाला, सैनवाला, पुरुवाला, बायला, सतौन, अमरकोट रामपुरघाट आदि इलाके शामिल हैं। अभिभावकों में चिंता का एक कारण ये भी है कि उन्हें कोरोना की तीसरी लहर का भय सता रहा है।
हालंकि बाल रोग विशेषज्ञ और प्रभारी वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ अमिताभ जैन इसे रूटीन बता रहे हैं। वे कहते हैं कि इसमें कोरोना की तीसरी लहर जैसी कोई बात नही है।
जब इस बारे में डॉक्टर अमिताभ जैन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मौसम के बदलाव के दौरान आमतौर पर बुखार खांसी के रोगियों में इजाफा होता है।
लेकिन स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। रोगियों के आवश्यकता अनुसार भर्ती किया जा रहा है। इतना ही नहीं अधिकतर रोगियों को स्वस्थ होने के पश्चात अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
दवाओं की कमी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अचानक रोगियों की संख्या में इजाफा होने के कारण कुछ दवाओं की शोर्टेज हुई है। इस बारे में समस्या आला अधिकारियों के संज्ञान में ला दी गई है।