पूर्व ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने 37 सौ करोड़ की योजनाएं रद्द किए जाने पर उठाए सवाल, कहा सीपीएस बनाकर जनता पर डाला बोझ
सरकार सरकार से हिमाचल प्रदेश को विद्युत बोर्ड के लिए 37 सौ करोड़ रुपए की योजनाओं की स्वीकृति मिली थी जिससे प्रदेश में विधुत बोर्ड की कई योजनाएं बननी थी। लेकिन प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण यह योजना अधर में लटकी हुई है।
यह बात पूर्व ऊर्जा मंत्री एवं पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने लोक निर्माण विश्राम गृह में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही।
सुखराम चौधरी ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान जून 2022 में केंद्र सरकार से 37 सौ एक करोड़ रुपए की विद्युत बोर्ड के लिए योजना मिली थी जिसके करोड़ों रुपए की टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली थी।
लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी टेंडर रद्द कर दिए।
जिससे सभी कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सुखराम चौधरी ने बताया कि इस योजना में प्रदेश में 5 नये 33 केवी के सब स्टेशन, बिजली की बड़ी लाइन सहित कई योजनाएं बननी थी और इस योजना में काम के हिसाब से केंद्र सरकार बजट रिलीज करती है। लेकिन हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड को सरकार वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है।
सुखराम चौधरी ने कहा कि एक तरफ सरकार बजट का रोना रोती है और दूसरी तरफ टेंडर रद्द कर रहे है। लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भेदभाव से काम कर रहे है।
मुख्यमंत्री ने विधायक निधि भी बंद कर दी है तथा एक तरफ छोटे हिमाचल प्रदेश के छोटे से राज्य में उपमुख्यमंत्री और 6 सीपीएस सहित कई कैबिनेट रेंक के चेयरमैन बनाया गये है। दूसरी तरफ बजट का रोना रो रहे है।
आम जनता पर बजट का बोझ डाल रहे है। इस मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपना रूख स्पष्ट करें। इस मौके पर बीडीसी अध्यक्ष हितेंद्र कुमार, मीडिया प्रभारी रोहित चौधरी, युवा नेता राहुल चौधरी आदि मौजूद थे।