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भारतीय दवा बाजार में बड़ा बदलाव: सरकार ने उठाए ये सख्त कदम! देखें कैसे बदलेगा फार्मा उद्योग का चेहरा

भारतीय दवा बाजार में बड़ा बदलाव: सरकार ने उठाए ये सख्त कदम! देखें कैसे बदलेगा फार्मा उद्योग का चेहरा

भारतीय दवा बाजार में बड़ा बदलाव: सरकार ने उठाए ये सख्त कदम! देखें कैसे बदलेगा फार्मा उद्योग का चेहरा

भारतीय दवा बाजार में बड़ा बदलाव: भारत सरकार ने हाल ही में दवा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

भारतीय दवा बाजार में बड़ा बदलाव: सरकार ने उठाए ये सख्त कदम! देखें कैसे बदलेगा फार्मा उद्योग का चेहरा

इस नई पहल के तहत, सभी दवा निर्माताओं को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के कड़े गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा।

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यह नियम न केवल देश के स्वास्थ्य मानकों को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भारत को विश्व स्तर पर दवा उद्योग के क्षेत्र में एक मजबूत स्थान प्रदान करेगा।

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क्या होगा नए नियमों का असर: नई गाइडलाइन्स के अनुसार, दवा कंपनियों को छह से बारह महीने का समय दिया गया है ताकि वे इन नए मानकों के अनुरूप अपने उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव कर सकें। यह बदलाव सुनिश्चित करेगा कि बाजार में उपलब्ध सभी दवाएं सुरक्षित और विश्वसनीय हों।

सरकार की कड़ी कार्रवाई की तैयारी: यदि कोई कंपनी इन मानकों का पालन नहीं करती है, तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है या उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि दवाओं की गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की कमी न हो।

कैसे होगा फार्मा उद्योग प्रभावित: इस समय देश में 10,500 से अधिक दवा निर्माता कंपनियां हैं, जिनमें से केवल 2000 कंपनियां डब्ल्यूएचओ के जीएमपी (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस) प्रमाणित हैं।

नए नियमों के कारण, सभी कंपनियों को अपने उत्पादन मानकों को उठाना होगा, जिससे भारतीय दवा उद्योग वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ा सके।

क्या है समय सीमा और चुनौतियां: सरकार ने इन नए मानकों को लागू करने के लिए बड़ी कंपनियों को छह महीने और छोटी तथा मध्यम आकार की कंपनियों को एक साल का समय दिया है।

इस अवधि में नए बदलावों को अपनाना विशेषकर छोटे उद्यमों के लिए एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि इसमें वित्तीय और तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता होती है।

क्या है उद्योग जगत की प्रतिक्रिया: हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एचडीएमए) के राजेश गुप्ता ने इस परिवर्तन को स्वागत योग्य बताते हुए यह भी कहा कि एमएसएमई के लिए समय सीमा बढ़ाने की जरूरत है।

अधिकांश एमएसएमई पहले से ही वित्तीय दबाव में हैं, और इन बदलावों को अपनाने में उन्हें अधिक समय और संसाधनों की आवश्यकता होगी।

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Written by Newsghat Desk

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