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राखी का शुभ मुहूर्त कब है ? क्या है रक्षाबंधन के विधि और विधान ? ऐसे मनाएंगे राखी का पर्व मिलेगा कई गुणा लाभ

राखी का शुभ मुहूर्त कब है ? क्या है रक्षाबंधन के विधि और विधान ? ऐसे मनाएंगे रखी का पर्व मिलेगा कई गुणा लाभ
राखी का शुभ मुहूर्त कब है ? क्या है रक्षाबंधन के विधि और विधान ? ऐसे मनाएंगे रखी का पर्व मिलेगा कई गुणा लाभ

राखी का शुभ मुहूर्त कब है ? क्या है रक्षाबंधन के विधि और विधान ? ऐसे मनाएंगे राखी का पर्व मिलेगा कई गुणा लाभ

सतविंद्र सिंह
बहन भाई के प्रेम का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन लगभग पूरे भारत में अलग-अलग नामों से बनाया जाता है। यह त्यौहार कब है? कब शुभ मुहूर्त होगा ? क्या है रक्षाबंधन के विधि विधान, त्यौहार कब है शुभ महूर्त क्या है इस बात का हमेशा संशय बना रहता है।

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कारण है घर से पंचांग पत्रिकाएं गायब हो चुकी हैं उनका स्थान मोबाइल या कैलेंडर ने ले लिया है पंचांग जीवन का अटूट हिस्सा थे जिसमें शुभ मुहूर्त समय सारणी पहले से ही बता दिया जाता था।

आइए जानते हैं रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त मंत्र और विधि विधान

प्रायः रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार यह पूर्णिमा दो तारिख ११ अगस्त और १२ अगस्त को आ रही है। पहले दिन इसमें भद्रा लगी है, भद्रा में राखी का त्योहार मनाना अशुभ माना जाता है। अलग-अलग ज्योतिषियों और विषय जानकारों की अलग राय है.

क्या है यह राय, क्या है सही महुर्त

पूर्णिमा की तिथि प्रारंभ : 11 अगस्त 2022 सुबह 10:36 मिनट से शुरू करके 12 अगस्त सुबह 7:05 तक रहेगी

इसमें शुभ समय : 11 अगस्त सुबह 9:28 से लेकर रात के 9:34 तक रहेगा।

अभिजीत मुहूर्त : 12:06 से लेकर 12:00 बज के 97 मिनट तक रहेगा।

भद्रा काल : शाम के 6:55 से लेकर रात के 8:30 तक रहेगा।

राहु काल : 11 अगस्त दोपहर 2:08 से लेकर 3:45 तक राहुकाल रहेगा।

भद्रा काल तथा राहु काल में रक्षाबन्धन वर्जित है शेष समय शुभ है, इस काल में रक्षाबंधन नहीं मनाना चाहिए।

बहुत से अनिष्ट योगों और अशुभता नाश करने वाला रवि योग पड़ेगा ,रवि-योग को सूर्य का अभीष्ट प्राप्त होने के कारण प्रभावशाली योग माना जाता है।

सूर्य की पवित्र ऊर्जा से भरपूर होने से इस योग में किया गया कार्य अनिष्ट की आंशका को नष्ट करके शुभ फल वरदान करता है। रक्षाबंधन के दिन ये शुभ योग माना जाता है।

क्या है विधि और विधान ?

किसी भी कार्य को करने के लिए एक सही विधि और विधान बताए गए हैं राखी बंधवाने के लिए कुछ विधि विधान है।

सबसे पहला राखी बनवाने के लिए भाई को हमेशा पूर्व दिशा और बहन को पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए ऐसा करने से आपकी राखी को देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलेगा।

राखी बनवाते समय भाइयों को सिर को ढक लेना चाहिए बहनों को सिर पर दुपट्टा लेना चाहिए।

राखी बंधवाते समय भाइयों को सिर पर रुमाल या कोई स्वच्छ वस्त्र होना चाहिए।

इस दौरान बहनों को भाई की दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधनी और फिर चंदन व रोली का तिलक लगाना चाहिए।

इसके पश्चात तिलक लगाएं और फिर अक्षत लगाएं इसके बाद आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत के छींटें भी दें।

राखी बांधने के बाद दीपक से आरती उतारकर बहन और भाई एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं।

भाई वस्त्र, गहने, आभूषण, धन या और कुछ उपहार देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।

रक्षाबन्ध बांधते समय पढ़े विशेष मन्त्र..

ऊँ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

 

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Written by newsghat

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