संयुक्त किसान मंच की बैठक में 15 सूत्रीय मांगों पर चर्चा, बैठक में 13 संगठनों के प्रतिनिधि शामिल
संयुक्त किसान मंच की बैठक शिमला में हरीश चौहान की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इसमे किसानों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
बैठक में आज 15 सूत्रीय मांगपत्र पर चर्चा की गई और विशेष रूप से प्रदेश में खाद, फफूंदीनाशक, कीटनाशक, व अन्य लागत वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि व कमी पर चिंता व्यक्त की गई।
सरकार किसानो बागवानो की समस्याओं को दूर करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रही है और संयुक्त किसान मंच सरकार से काफी समय से किसानों व बागवानों की मांगे उठा रहा है परन्तु सरकार किसानों की समस्याओं की ओर कोई भी ध्यान नही दे रही है।
सरकार ने बजट में भी किसानों व बागवानों के हित के लिए कोई भी योजना व प्रावधान नहीं किया है तथा सरकार जो सहायता व सब्सिडी किसानों व बागवानों को उपलब्ध करवाती थी उसे भी समाप्त कर दिया है।
जिससे किसानों व बागवानों को खुले बाजार से महंगी खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुएं खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आज खाद, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं की कीमतों में 40 से 100 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है।
जो खाद का एक बैग 850 रुपये में मिलता था उसकी कीमत बढ़ाकर इस वर्ष 1740 रुपये कर दी गई है। इसके साथ खाद भी प्रदेश के अधिकांश भागों में उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण विशेष रूप से छोटे, सीमांत व गरीब किसानों को लागत वस्तुओं की कमी बड़े पैमाने पर हो गई है तथा वह आज खाद नही डाल पा रहा है।
बैठक में मांग की गई कि सरकार तुरन्त खाद की मांग अनुसार उपलब्धता करवाये और कृषि व बागवानी विभाग के माध्यम से दी जाने वाली सब्सिडी बहाल करे और खाद की कीमतों में कमी की जाए। इसके साथ बागवानों के HPMC व हिम्फेड के पास मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के करीब 65 करोड़ रुपए का लम्बित भुगतान तुरन्त करने की मांग की गई।
इस बैठक में निर्णय लिया गया कि अपनी मांगों को लेकर 28 मार्च, 2022 को प्रदेश भर में ब्लॉक, तहसील व उपमंडल स्तर पर प्रदर्शन किए जाएंगे और मांगपत्र सरकार को भेजा जायेगा। यदि सरकार इन मांगों को नहीं मानती तो संयुक्त किसान मंच आंदोलन करेगा। इस बैठक में किसानों व बागवानों के करीब 13 संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इसमे संजय चौहान, सुंदर सिंह नैटा, सुशील चौहान कमलिंदर कंवर, राजिन्द्र चौहान, जय सिंह जेहटा, डिंपल पंजटा, राजेश खिमटा, सत्यवान, कुलदीप, सुनिल, सुखदेव, जतिन्द्र, पंकज, संदीप वर्मा, विनोद शर्मा, अजय दुलटा, सुनील, प्रदीप, राजिन्द्र सिंह, संदीप दिशू आदि ने भाग लिया।
बैठक में चर्चा के दौरान सदस्यों ने कहा कि किसानों के बार बार मांग पत्र देने के बावजूद किसानों से उनकी जायज़ मांगों को लेकर सरकार बातचीत तक नही कर किसानों की अपेक्षा कर रही है और इससे सरकार का किसान विरोधी चेहरा स्पष्ट हुआ है। संयुक्त किसान मंच ने 15 सूत्रीय मांगपत्र सरकार को अगस्त, 2021 के बाद कई बार दिया गया परन्तु सरकार ने इस पर कोई गौर नहीं किया है। मांगपत्र में निम्न मांगे सम्मिलित की गई….
1. सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) तय कर इसे कानूनी रूप से लागू किया जाए।
2.प्रदेश में धान, गेहूं, मक्की व अन्य फसलों की खरीद के लिए मंडिया स्थापित कर न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) के तहत खरीद करे।
3. हिमाचल प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) पूर्ण रूप से लागू की जाए तथा सेब के लिए मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के तहत A, B व C ग्रेड के सेब के लिए क्रमशः 60 रुपये, 44 रुपये व 24 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य पर खरीद की जाये।
4. प्रदेश की विपणन मण्डियों में ए पी एम सी कानून को सख्ती से लागू किया जाए। मंडियों में खुली बोली लगाई जाए व किसान से गैर कानूनी रूप से की जा रही मनमानी वसूली जिसमें मनमाने लेबर चार्ज, छूट, बैंक डी डी व अन्य चार्जिज को तुरन्त समाप्त किया जाए व किसानों से प्रदेश में विभिन्न बैरियरों पर ली जा रही मार्किट फीस वसूली पर तुरन्त रोक लगाई जाए। जिन किसानों से इस प्रकार की गैर कानूनी वसूली की गई है उन्हें इसे वापिस किया जाए।
5.किसानों के आढ़तियों व खरीददारो के पास बकाया पैसों का भुगतान तुरन्त करवाया जाए तथा मंडियों में ए पी एम सी कानून के प्रावधानों के तहत किसानो को जिस दिन उनका उत्पाद बिके उसी दिन उनका भुगतान सुनिश्चित किया जाए। जिन खरीददार व आढ़तियों ने बकाया भुगतान नहीं किया है उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।
6.अदानी व अन्य कंपनियों के CA स्टोर में इसके निर्माण के समय शर्तों के अनुसार बागवानो को 25 प्रतिशत सेब रखने के प्रावधान को तुरंत सख्ती से लागू किया जाए।
7. किसान सहकारी समितियों को स्थानीय स्तर पर CA स्टोर बनाने के लिए सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाए।
8.सेब व अन्य फलों, फूलों व सब्जियों की पैकेजिंग में इस्तेमाल किये जा रहे कार्टन व ट्रे की कीमतों में की गई भारी वृद्धि वापिस की जाए।
9. प्रदेश में भारी ओलावृष्टि व वर्षा, असामयिक बर्फबारी, सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों व बागवानों को हुए नुकसान का सरकार मुआवजा प्रदान राहत प्रदान करे।
10. प्रदेश में सरकार भूमि अधिग्रहण, 2013 कानून(पुनर्स्थापना, पुनर्वास व चार गुणा मुआवजा) को लागू करे।
11. बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जाए तथा मालभाड़े में की गई वृद्धि वापिस ली जाए।
12. प्रदेश की सभी मंडियों में सेब व अन्य सभी बफसले वजन के हिसाब से बेची जाए।
13. HPMC व Himfed द्वारा गत वर्षों में लिए गए सेब का भुगतान तुरन्त किया जाए।
14. खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर दी जा रही सब्सिडी को पुनः बहाल किया जाए और सरकार कृषि व बागवानी विभागों के माध्यम से किसानों को उचित गुणवत्ता वाली लागत वस्तुएं सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाए।
15. कृषि व बागवानी के लिये प्रयोग में आने वाले उपकरणों स्प्रेयर, टिलर, एन्टी हेल नेट आदि की बकाया सब्सिडी तुरन्त प्रदान की जाए।
संयुक्त किसान मंच किसानों व बागवानों से अपील करता है कि किसान व बागवान विरोधी नीतियों को पलटने व कृषि व बागवानी में बढ़ते संकट से निजात के लिए संगठित होकर संघर्ष करें। ब्लॉक, तहसील व उपमण्डल स्तर पर 28 मार्च, 2022 को होने वाले प्रदर्शन में बढ़चढ़ कर भाग ले।