सिरमौर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, किसानों के लिए जागरूकता शिविर जारी
जिला सिरमौर के गांवों में प्राकृतिक खेती को लेकर जागरूकता की नई लहर दौड़ रही है। 29 मई से शुरू हुए “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के अंतर्गत किसानों को रसायन मुक्त कृषि के फायदे बताए जा रहे हैं।
भारतीय परंपराओं और तत्व ज्ञान पर आधारित प्राकृतिक कृषि प्रणाली आज स्वस्थ जीवन का आधार बन रही है। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए सिरमौर जिले में प्राकृतिक खेती को लेकर व्यापक अभियान चलाया जा रहा है।
इस अभियान में किसानों को जैविक और रसायन मुक्त खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। शिविरों में कृषि विशेषज्ञ किसानों को समझा रहे हैं कि प्राकृतिक खेती न केवल मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती है, बल्कि पानी की गुणवत्ता और पर्यावरण को भी सुरक्षित करती है।
प्राकृतिक खेती एक समग्र प्रणाली है जिसमें फसल, पशुधन और पेड़ों का संतुलित योगदान होता है। इसमें रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता। किसान स्थानीय संसाधनों से ही खेती करते हैं, जिससे लागत भी कम होती है।
शिविरों में यह भी बताया जा रहा है कि रासायन मुक्त फसलें न केवल स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि पौष्टिकता में भी भरपूर होती हैं। इस प्रणाली से उत्पादन भले ही थोड़ा कम हो, लेकिन गुणवत्ता और स्वास्थ्य लाभ कई गुना अधिक होते हैं।
संबंधित विभागों के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को खेती के आधुनिक तरीकों से जोड़ रहे हैं। साथ ही, उन्हें यह भी समझाया जा रहा है कि वे पर्यावरण संरक्षण में कैसे भूमिका निभा सकते हैं।
अभियान के अंतर्गत विशेषज्ञ यह भी बता रहे हैं कि प्राकृतिक खेती जल, मिट्टी और वायु प्रदूषण को कम करती है। इसके जरिए किसानों को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाकर देश की कृषि व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
“विकसित कृषि संकल्प अभियान” ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती के प्रति नई चेतना जगा रहा है। यह अभियान न केवल किसानों को नई दिशा दे रहा है, बल्कि देश के स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा में भी सहायक सिद्ध हो रहा है।