जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिये लगा पता, पढ़ें, क्या है कोरोना डबल म्यूटेंट वैरिएंट….
कितना खतरनाक है कोरोना डबल म्यूटेंट वैरिएंट ? पढ़े पूरी रिपोर्ट….
हिमाचल प्रदेश में भी कोरोना के नए डबल म्यूटेंट वैरिएंट के 16 मामले सामने आए हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिये इसकी पुष्टि हुई है।
हिमाचल प्रदेश नेशनल स्वास्थ्य मिशन के अनुसार राज्य ने अब तक जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए विशेष निगरानी में 876 सैंपल दिल्ली भेजे थे। जिनमें से 146 की रिपोर्ट आ चुकी है।
इनमें से 64 किसी तरह का कोरोना म्यूटेंट नहीं पाया गया है। जबकि 40 सैंपलों की रिपोर्ट में यूके वैरिएंट की पुष्टि हुई है। इसके अलावा 16 में डबल म्यूटेंट की पुष्टि हुई है। एक सैंपल फेल हुआ है।
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हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ निपुण जिंदल ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि कोरोना के डबल म्यूटेंट को लेकर सीएमओ को अलर्ट किया गया है।
प्रदेश सरकार शेष के नमूनों की रिपोर्ट के लिए एनसीडीसी अधिकारियों के संपर्क में है। पिछले साल से कोविड-19 वायरस में म्यूटेशन देखने को मिला है। यह वायरस अपना रूप बदल रहा है।
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इसको देखते हुए विभिन्न राज्यों में 10 क्षेत्रीय जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाएं स्थापित की गई है ताकि कोरोना के वैरिएंट की स्टडी की जा सके। हिमाचल के लिए एनसीडीसी दिल्ली को क्षेत्रीय जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशाला के तौर पर टैग किया गया है।
बता दें अमेरिका में पहले से ही कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में कोरोना का नया ‘डबल म्यूटेंट’ वैरिएंट पाया गया था।
क्या है कोरोना डबल म्यूटेंट वैरिएंट….
जब कोरोना वायरस के दो बदले हुए वैरिएंट एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उससे एक नया और तीसरा वैरिएंट जो बनता है, उसे ही डबल म्यूटेंट वैरिएंट कहा जाता है। भारत में कोरोना के E484Q और L452R वैरिएंट ने मिलकर डबल म्यूटेंट वायरस बनाया है, जिसे वैज्ञानिक तौर पर B.1.617 नाम दिया गया है।
कितना खतरनाक है कोरोना डबल म्यूटेंट वैरिएंट….
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने बताया था कि कोरोना का यह डबल म्यूटेंट वैरिएंट संक्रामक है और शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र से भी बचने में सक्षम है।
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यह शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र से बचकर संक्रामकता को बढ़ाता है। हालांकि शोधकर्ता अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि एंटीबॉडी इस पर कितना असर करती है।
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कई बार म्यूटेट होने के बाद वायरस कमजोर हो जाता है, लेकिन कई यह पहले से ज्यादा खतरनाक भी हो जाता है।
दरअसल, वायरस जब शरीर की कोशिका पर हमला करता है, तो कोशिका कुछ ही घंटों में वायरस की हजारों प्रतिलिपि बना देती है, जिससे वायरल लोड बढ़ जाता है और संक्रमित मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है।
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