हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: हाटी समुदाय के ST दर्जे पर अस्थायी रोक! क्या है पूरा मामला देखें रिपोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: हिमाचल प्रदेश के हाटी समुदाय को जनजातीय (Scheduled Tribe – ST) दर्जा प्राप्त करने का मामला फिर से ठप्प पड़ गया है। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर 18 मार्च तक अंतरिम रोक लगा दी है।
हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: हाटी समुदाय के ST दर्जे पर अस्थायी रोक! क्या है पूरा मामला देखें रिपोर्ट
यह रोक एससी समुदाय की ओर से की गई एक अपील के बाद लगाई गई है, जिसमें हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के सरकारी फैसले पर सवाल उठाए गए थे।
इस मुद्दे पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता, रजनीश ने बताया कि हाटी समुदाय को यह दर्जा देने के लिए किए गए संविधान संशोधन और प्रदेश सरकार की अधिसूचना पर न्यायालय ने अस्थायी रोक लगा दी है।
यह निर्णय स्थानीय समुदाय के आर्थिक पिछड़ेपन और साक्षरता के मानदंडों के आधार पर लिया गया है। हालांकि, ट्रांसगिरि क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय के लोग इन मानदंडों को पूरा नहीं कर पाए हैं।
यह भी देखा गया है कि इस क्षेत्र के एक गांव को एशिया के सबसे अमीर गांवों में गिना जाता है और इस क्षेत्र की साक्षरता दर भी 80 प्रतिशत है।
इस स्थिति में हाटी समुदाय के लोगों को अब न्यायालय के अंतिम निर्णय का इंतजार करना पड़ेगा। इस अस्थायी रोक के कारण, उन्हें जनजातीय दर्जा प्राप्त करने के लिए जारी किए गए प्रमाणपत्रों की वैधता पर भी प्रश्न चिह्न लग गया है।
इस बीच, कुछ लोगों ने पहले ही अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिए थे, लेकिन अब इन प्रमाण पत्रों की मान्यता पर अदालत के निर्णय का इंतजार करना होगा।
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सिरमौर दौरे और नाहन में होने वाली जनसभा के संदर्भ में भी इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
उद्योग एवं आयुष मंत्री हर्षवर्धन चौहान के अनुसार, जनसभा में आपदा पीड़ितों को राहत राशि के चेक भी वितरित किए जाएंगे।
अंत में, यह घटनाक्रम हिमाचल प्रदेश में हाटी समुदाय के लंबे समय से चल रहे संघर्ष को उजागर करता है। 1967 से चले आ रहे इस संघर्ष के बावजूद, उन्हें अभी तक जनजातीय दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है।
उनकी मांग को 14 सितंबर 2022 को केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकार किया था, और इस संशोधित विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया गया था।
इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद भी, अब उन्हें न्यायालय के अंतिम निर्णय का इंतजार है।