

28/36 Rule Of EMI: क्या आप भी लेने जा रहे लोन! तो यह नियम सिखाएगा EMI और खर्चों का सही अनुपात
28/36 Rule Of EMI: हर किसी का सपना होता है कि उसका खुद का घर हो, खुद की गाड़ी हो, आरामदायक जीवन हो, परिवार सुरक्षित हो। और इन्हीं सभी सपनों को साकार करने के लिए हम सब कई बार लोन भी ले लेते हैं। हालांकि लोन लेने के दौरान हमें यह पता नहीं होता की EMI कितनी होनी चाहिए?

28/36 Rule Of EMI: क्या आप भी लेने जा रहे लोन! तो यह नियम सिखाएगा EMI और खर्चों का सही अनुपात
पर धीरे-धीरे जब यह EMI हमारी कमाई पर भारी पड़ने लगती है तब यह सभी सुविधाएं तनाव में बदल जाती हैं। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि अपनी आय का कितना हिस्सा EMI में खर्च किया जा सकता है? ताकि हमारी जरूरतें और लाइफस्टाइल पर कोई असर न पड़े और इसी का हल बनकर आता है रूल ऑफ 28/36…..
रूल ऑफ़ 28/36 एक्सपर्ट द्वारा तैयार किया गया ऐसा नियम है जो आपके घर के खर्च और कर्ज के अनुपात को दिखाता है। इस नियम के अनुसार आपकी आय का 28% हिस्सा घर के खर्च और किराए, मेंटेनेंस इत्यादि में और 36% हिस्सा किसी भी प्रकार के कर्ज को चुकाने में जाना चाहिए ताकि आप अपने लाइफस्टाइल, सेविंग और जरूरत पर खर्च कर सके। आइये इसके बारे में विस्तार से समझते हैं:

क्या है रूल ऑफ़ 28/36?
रूल ऑफ़ 28: हाउसिंग एक्सपेंस रूल
इस रूल के अंतर्गत आपकी मासिक आय का 28% हिस्सा आपके घर से जुड़े खर्च जैसे की बिल, किराया, मेंटेनेंस, टैक्स इत्यादि में जाना चाहिए। उदाहरण के लिए आपकी मासिक आय एक लाख है तो 28000 तक का हाउसिंग खर्च सही माना जाता है।


रूल ऑफ़ 36: टोटल डेब्ट रूल
इस नियम के अंतर्गत आपकी कुल मासिक आय का 36% हिस्सा किसी भी प्रकार की ऋण की EMI में जाना सही होगा। जैसे कि होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड का बिल इत्यादि। मतलब एक लाख की सैलरी में से 36000 तक की लोन की EMI चुकाई जा सकती है।

इस नियम के अंतर्गत बाकी बची रकम को आप अपने सेविंग, मनोरंजन और मनपसंद वस्तुओं पर खर्च कर सकते हैं।
इस नियम के क्या लाभ होते हैं
● इस नियम के अंतर्गत आप खुद को कर्ज के जाल में फंसने से बचाते हैं क्योंकि 28% का घर खर्च और 36% का लोन यह सीमा पहले से ही निर्धारित होती है।
● यह नियम आपको आपके फाइनेंशियल स्टेटस का आईना दिखाता है ताकि अगली बार लोन लेने से पहले आप तय कर सके कि आपके हाथ में आखिर में कितना बचेगा।
● यह एक बेहतर बजटिंग टूल है जो आपकी वित्तीय योजना को स्पष्ट कर देता है।
● इस रूल को फॉलो करने पर क्रेडिट स्कोर सुधरता है और आपकी फाइनेंशियल क्रेडिबिलिटी भी बढ़ती है।
● साथ ही इस रूल की वजह से आप मानसिक दबाव और तनाव मुक्त जीवन जीने में सक्षम होते हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर रूल ऑफ़ 28/36 केवल EMI का हिसाब नहीं है, यह जीवन के वित्तीय संतुलन का सूत्र है। इस रूल के आधार पर महीने भर का बजट निर्धारित करने के दौरान आपको पता चल जाता है की कमाई का हिस्सा कहां लगाना है? कितना लगाना है? और कितना हिस्सा सेव करना है?
दिन भर की ताजा खबरों के अपडेट के लिए WhatsApp NewsGhat Media के इस लिंक को क्लिक कर चैनल को फ़ॉलो करें।

Our passionate journalist at Newsghat, dedicated to delivering accurate and timely news from Paonta Sahib, Sirmaur, and rural areas. With a focus on community-driven stories, we ensures that every report reaches you with clarity and truth. At Newsghat, it’s all about “आपकी बात”!



