How to Stop Overthinking: क्या आप भी करते हैं ओवरथिंकिंग! जानिए कैसे ओवरथिंकिंग के ट्रैप में फंस जाते हैं अक्सर लोग
How to Stop Overthinking: आपने अक्सर देखा होगा कि जब हम किसी भी बात को ज्यादा सोचने लगते हैं और सोचने की हद इतनी बढ़ जाती है कि हम कई प्रकार की मानसिक परेशानियों से गुजरने लगते हैं।
How to Stop Overthinking: क्या आप भी करते हैं ओवरथिंकिंग! जानिए कैसे ओवरथिंकिंग के ट्रैप में फंस जाते हैं अक्सर लोग
तो आइए आज आपको बताते हैं कि कैसे ओवरथिंकिंग ट्रैप में कैसे फंसते हैं लोग? जरूरत से ज्यादा सोचना आपके मानसिक स्वास्थ्य को कर सकता है प्रभावित, ऐसे करें बचाव…
Overthinking खतरनाक भी साबित हो सकती है
मेंटल डिसऑर्डर नहीं है ओवरथिंकिंग
आपने देखा होगा होगा कि अक्सर लोगों को ज्यादा सोचने की आदत होती है हालांकि यह तब होता है जब हम सभी अपने जीवन में ऐसी घटनाओं का अनुभव करते हैं जो हमारे लिए चिंता या तनाव का कारण होती हैं।
ज्यादातर लोगों की मानसिकता होती है कि ओवरथिंकिंग कोई ऐसी गंभीर चीज नहीं है यह हम इसलिए करते हैं क्योंकि हम यह करना चाहते हैं।
ये ऐसी चीज है जिसपर हमारा कंट्रोल नहीं है और हम इसे चाह कर भी रोक नहीं पाते हमारा मन हमेशा नेगेटिव चीजों की तरफ केंद्रित होता रहता है और हम मानसिक और भावनात्मक रूप से हताश होते रहते हैं जिसका सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।
रातों की नींद खराब कर सकती है ये आदत
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम कोई बात इतना ज्यादा क्यों सोचते हैं?
हम अक्सर छोटी से छोटी बात को खुद को इतना ज्यादा सोचने पर मजबूर कर देते हैं की इससे हमारी मानसिक समस्याएं बढ़ जाती है और जरूरत ही ज्यादा सोचने पर हमारी रातों की नींद तक प्रभावित हो जाती हैं।
किन वजहों से होती है ओवरथिंकिंग
ओवरथिंकिंग का सबसे अहम कारण एंग्जाइटी
हमारी परेशानी का कारण है ज्यादा सोचना क्योंकि चिंता और ओवरथिंकिंग एक साथ मिलकर आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं जब हमारा खुद पर कोई कंट्रोल नहीं रहता तो ओवरथिंकिंग की आदत लग जाती है।
ज्यादा सोचने से हमारे विचारों और मन पर नेगेटिव असर पड़ता है यदि आप उन चीजों के बारे में ज्यादा सोचना शुरु कर देंगे जिन पर हमारा कंट्रोल नहीं है तो फिर आप ओवरथिंकिंग का शिकार हो जाएंगे हालांकि कई बार ज्यादा सोचना किसी की पर्सनैलिटी और आदत का एक हिस्सा होते हैं।
मेंटल डिसऑर्डर नहीं है ओवरथिंकिंग
चिंता की आदत का अगला रूप ओवरथिंकिंग होता है,ओवरथिंकिंग अक्सर स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन का लक्षण बनते हैं। ओवरथिंकिंग मेंटल डिसऑर्डर नहीं है, लेकिन इसे जीएडी (generalized anxiety disorder) कहा जा सकता है ओवरथिंकिंग को कम करने के लिए और अपने दिमाग को भटकने से रोकने के लिए आपको अपने आप पसंदीदा काम करना चाहिए।
कैसे हम ओवरथिंकिंग ट्रैप में फंसते हैं?
जब इंसान ज्यादा परेशान होता है तो वह सोचने लगता है और सोचना चिंता और तनाव किसी भी रूप में हो सकता है चाहे वह नौकरी को लेकर परेशानी हो या कोई बीमारी को लेकर अक्सर हमारे आसपास कई ऐसे लोग मिल जाते हैं जिन्हें चिंताएं परेशानियां तनाव हर किसी को किसी न किसी रूप में घेरे रहती है।
ऐसे में यदि तनाव में रहने वाला व्यक्ति अकेला होता है तो वह ज्यादा सोचना शुरू कर देता है ज्यादा सोचने का यह सिलसिला आगे जाकर ओवरथिंकिंग जैसा रूप ले लेता है जो कि सीधा-सीधा आपके स्वास्थ्य और दिमाग पर प्रभाव डालता है।
ऐसे में तनाव में रहने वाला इंसान जब अकेले में होता है तो ज्यादा सोचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। हमारे दिमाग पर अच्छी घटनाओं से ज्यादा असर बुरी घटनाओं का पड़ता है।
इसलिए जब हमारे साथ कोई बुरी घटना होती है तो दिमाग ज्यादा एक्टिव हो जाता है वह बात लंबे समय तक हमारे सोच का हिस्सा बनी रहती है और हम ओवरथिंकिंग ट्रैप में फंसते चले जाते हैं।
ओवरथिंकिंग के ट्रैप में आने के बाद आदमी को ना तो नींद आती है ना भूख लगती है और ना ही किसी अन्य काम में मन लगता है।