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HP High Court Decision: अब हाई कोर्ट ने सरकार के आला अधिकारियों को इस मामले में लगाई कड़ी फटकार! जिम्मेदारी से काम करने की चेतावनी! पढ़ें क्या है पूरा मामला

HP High Court Decision: अब हाई कोर्ट ने सरकार के आला अधिकारियों को इस मामले में लगाई कड़ी फटकार! जिम्मेदारी से काम करने की चेतावनी! पढ़ें क्या है पूरा मामला

HP High Court Decision: अब हाई कोर्ट ने सरकार के आला अधिकारियों को इस मामले में लगाई कड़ी फटकार! जिम्मेदारी से काम करने की चेतावनी! पढ़ें क्या है पूरा मामला
HP High Court Decision: अब हाई कोर्ट ने सरकार के आला अधिकारियों को इस मामले में लगाई कड़ी फटकार! जिम्मेदारी से काम करने की चेतावनी! पढ़ें क्या है पूरा मामला

HP High Court Decision: अब हाई कोर्ट ने सरकार के आला अधिकारियों को इस मामले में लगाई कड़ी फटकार! जिम्मेदारी से काम करने की चेतावनी! पढ़ें क्या है पूरा मामला

HP High Court Decision: हिमाचल प्रदेश के हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर झगड़ालू मुकदमेबाजी की आदत को लेकर आलोचना की है।

अदालत ने दर्शाया कि सरकारी खजाने में नुकसान हो रहा है, जो अनुचित कार्यवाही को ठीक ठहराने के प्रयासों के कारण हो रहा है।

HP High Court Decision: अब हाई कोर्ट ने सरकार के आला अधिकारियों को इस मामले में लगाई कड़ी फटकार! जिम्मेदारी से काम करने की चेतावनी! पढ़ें क्या है पूरा मामला

HP High Court Decision: हाईकोर्ट की बेंच, जिसमें न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य शामिल थे, ने यह फैसला सुनाया। उन्होंने सरकारी अधिकारियों को सलाह दी कि वे झगड़ालू मुकदमेबाजी के बजाये जिम्मेदारी से काम करें।

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यह निर्णय कृष्ण लाल द्वारा दायर की गई याचिका के निपटारे के दौरान आया। लाल को बिना किसी पदभार को छोड़े ही दूसरे पद पर स्थानांतरित करने के लिए कहा गया था।

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अदालत ने बताया कि इस तरह का कार्यवाही कानूनी रूप से असंभव है। यह भी कहा गया कि सरकार पर बार-बार दबाव डाला जा रहा है कि वह मुकदमेबाजी नीति का पालन करे।

लेकिन, राज्य सरकार के अधिकारी झगड़ालू मुकदमेबाजी पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। लाल की नियुक्ति शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षक (DPE) के रूप में हुई थी। उन्होंने अपने सीनियरिटी के आधार पर उप निदेशक के पद के लिए आवेदन किया था।

20 मार्च को, उन्हें कुल्लू के उप निदेशक कार्यालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। लेकिन, जब उन्होंने अपने पुराने पद को छोड़ने के लिए प्रधानाध्यापक से अनुरोध किया, तो उन्हें मुक्त नहीं किया गया।

हाईकोर्ट में, शिक्षा विभाग ने लाल की प्रतिनियुक्ति को रद्द करने का कारण नहीं बताया। अदालत ने तय किया कि स्कूल के प्रधानाचार्य ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी लाल को पदभार से मुक्त नहीं किया। वे अपनी गलती को मानने की जगह, झूठे और अयोग्य कारणों को ढूंढने में लगे रहे।

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Written by newsghat

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