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HP News: एमएसपी की गारंटी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा बल! खेती पर कम लागत से उत्पादों को मिल रहे अच्छे दाम

HP News: एमएसपी की गारंटी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा बल! खेती पर कम लागत से उत्पादों को मिल रहे अच्छे दाम

HP News: एमएसपी की गारंटी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा बल! खेती पर कम लागत से उत्पादों को मिल रहे अच्छे दाम

HP News: एमएसपी की गारंटी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा बल! खेती पर कम लागत से उत्पादों को मिल रहे अच्छे दाम

HP News: हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि और बागवानी पर निर्भर है। राज्य की बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत खेती, बागवानी, पशुपालन तथा वानिकी है। प्रदेश की लगभग दो तिहाई जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी है जो राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अनेकों योजनाओं का कार्यन्वयन किया जा रहा है जिनका प्रदेश के दूरदराज क्षेत्र तक के लोगों को लाभ मिल रहा है।

HP News: एमएसपी की गारंटी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा बल! खेती पर कम लागत से उत्पादों को मिल रहे अच्छे दाम

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकार ने किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्राकृतिक उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। देश में हिमाचल प्रदेश ने यह पहल शुरू की है, जो प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को आर्थिक लाभ सुनिश्चित करती है। खेती की लागत को कम करने, आय एवं उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है।

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प्राकृतिक खेती से जहां मानव और पर्यावरण को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से बचाया जा रहा है, वहीं खेती की लागत कम होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है। प्राकृतिक खेती से किसान-बागवानों की बाजार पर निर्भरता खत्म हो रही है और वह अपने आसपास उपलब्ध संसाधनों का भरपूर प्रयोग खेती में कर रहे हैं। प्रदेश में गेहूं, मक्का, जौ और हल्दी खरीद पर सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। राज्य में प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का पर देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जा रहा है।

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वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 30 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए तथा गेहूँ को 40 रुपए से बढ़ाकर 60 रुपए प्रति किलो किया गया है। इसके अतिरिक्त, कच्ची हल्दी की खरीद के लिए 90 रुपए प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की इस अभिनव पहल का उद्देश्य प्राकृतिक रूप से उगाए गए कृषि उत्पादों को एमएसपी प्रदान कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। प्रदेश में दी जाने वाली एमएसपी देश में सर्वाधिक है। हिमाचल प्रदेश में किसानों को सशक्त और ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।

हल्दी का एमएसपी किसानों के हित में – रूपचंद शर्मा (किसान)
रूपचंद शर्मा, निवासी गांव बाग़, ग्राम पंचायत पाहल, शिमला ग्रामीण ने कहा कि वह हल्दी की प्राकृतिक खेती करते है। प्रदेश सरकार ने हल्दी का एमएसपी 90 रुपए किया है। योजना के तहत उन्होंने कृषि विभाग को एक क्विंटल 5 किलो हल्दी 90 रुपए के हिसाब से बेची है।

उन्होंने सरकार की इस पहल को किसानों के हित में लाभप्रद बताया है। उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में वह गांव के अन्य लोगों को भी हल्दी की प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि इसका अन्य लोगों को भी लाभ मिल सके। उन्होंने एमएसपी के तहत हल्दी की खरीद योजना के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया।

4 क्विंटल मक्की के मिले 12 हजार – प्रकाश चंद (किसान)
प्रकाश चंद, निवासी गाँव कदोग, विकासखंड बसंतपुर, शिमला ग्रामीण ने बताया कि पहले वह खेती में रासायनिक खाद का उपयोग करते थे जिससे मिट्टी की उर्वरता एवं पैदावार में कमी दर्ज की गयी थी। अब वह प्राकृतिक खेती से फसलों की पैदावार करते है जिससे मिटटी की उर्वरता में भी बढ़ोतरी हुई है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से उगाई मक्की पर एमएसपी निर्धारित किया है जिसके वह भी लाभार्थी हैं। उन्होंने बताया कि वह 4 क्विंटल मक्की 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से कृषि विभाग को बेच चुके हैं, जिसका 12 हजार रूपए उन्हें मिल चुका है। उन्होंने इस योजना के लिए प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का धन्यवाद किया है।

एमएसपी से मिले उचित दाम – तारा कश्यप (किसान)
तारा कश्यप, निवासी गाँव विहार, ग्राम पंचायत बढ़ई, शिमला ग्रामीण निवासी ने बताया कि वह 2021 से प्राकृतिक खेती कर रहे है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में उन्होंने 80 किलो मक्की की फसल 30 रुपये के हिसाब से कृषि विभाग को बेचीं थी जिसका 2 हजार 400 रुपये का लाभ मिला है। एमएसपी शुरू करने से किसानों को उनकी उपज के उचित दाम प्राप्त हो रहे है। इस योजना को शुरू करने के लिए उन्होंने प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया।

प्राकृतिक खेती से एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य
प्रदेश में प्राकृतिक खेती करने के लिए 88 विकास खंड की 3615 पंचायतों से एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में अब तक 48 हजार 685 किसानों ने प्राकृतिक खेती करने के लिए पंजीकरण करवाया है, जिसमें 22 हजार 901 पुरुष एवं 25 हजार 784 महिलाएं शामिल हैं।

प्रदेश में जिला बिलासपुर के 2900 किसानों, जिला चम्बा के 2816 किसानों, जिला हमीरपुर के 4478 किसानों, जिला काँगड़ा के 12424 किसानों, जिला किन्नौर के 263 किसानों, जिला कुल्लू के 3951 किसानों, जिला लाहौल स्पीति के 531 किसानों, जिला मंडी के 3653 किसानों, जिला शिमला के 4021 किसानों, जिला सिरमौर के 5340 किसानों, जिला सोलन के 3056 किसानों तथा जिला ऊना के 5252 किसानों ने अपना पंजीकरण करवाया है।

प्रदेश में प्राकृतिक खेती के तहत गेहूं, मक्का और हल्दी की खरीद की स्थिति
खरीफ सीजन 2024-25 के दौरान प्रदेश में 1509 किसानों से 3989 क्विंटल मक्के की खरीद 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से की गई, जिसमें कुल 01 करोड़ 19 लाख 69 हजार 607 रुपए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि वितरित की गई। प्रदेश के जिला बिलासपुर से 76 किसानों से 143 क्विंटल, जिला चम्बा से 135 किसानों से 813 क्विंटल, जिला हमीरपुर के 105 किसानों से 53 क्विंटल, जिला काँगड़ा के 336 किसानों से 483 क्विंटल, जिला कुल्लु के 42 किसानों से 64 क्विंटल, जिला मंडी के 328 किसानों से 651 क्विंटल, जिला शिमला के 33 किसानों से 67 क्विंटल, जिला सिरमौर के 120 किसनों से 454 क्विंटल, जिला सोलन के 319 किसानों से 1145 क्विंटल एवं जिला ऊना के 15 किसानों से 111 क्विंटल मक्का एकत्रित किया गया।

वहीं रबी सीजन 2024-25 के दौरान 838 किसानों से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 2135 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई जिसमें कुल 01 करोड़ 32 लाख 29 हजार 614 रुपए की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि वितरित की गई। प्रदेश में कुल 22 संग्रह केंद्रों के माध्यम से गेहू की खरीद की गयी। प्रदेश के जिला बिलासपुर से 60.6 क्विंटल, जिला चम्बा से 184 क्विंटल, जिला हमीरपुर से 97 क्विंटल, जिला काँगड़ा से 842.6 क्विंटल, जिला मंडी से 296 क्विंटल, जिला सिरमौर से 180 क्विंटल, जिला सोलन से 58.3 क्विंटल एवं जिला ऊना से 416. 6 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई है।

प्रदेश में इस वर्ष 61 किसानों से 90 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 127.2 क्विंटल हल्दी की खरीद की गई है, जिसमें कुल 11 लाख 44 हजार 803 रुपये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि वितरित की गई, जिसमें जिला चम्बा के 8 किसानों से 10.5 क्विंटल, जिला हमीरपुर के 9 किसानों से 9 क्विंटल, जिला काँगड़ा के 13 किसानों से 53.69 क्विंटल, जिला मंडी के 15 किसानों से 29.22 क्विंटल, जिला शिमला के 8 किसानों से 4.65 क्विंटल एवं जिला सिरमौर के 8 किसानों से 20.13 क्विंटल हल्दी की खरीद की गई है। इसके अतिरिक्त जिला चम्बा की पांगी घाटी में चंबा जिला के पांगी ब्लॉक में पैदा होने वाली जौ के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम एमएसपी निर्धारित की गई है।

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Written by News Ghat

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