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Insurance Tips : क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के लिए है स्पेशल इंश्योरेंस, जानें क्या हैं नियम, शर्तें और फायदे

Insurance Tips : क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के लिए है स्पेशल इंश्योरेंस, जानें क्या हैं नियम, शर्तें और फायदे
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Insurance Tips : क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के लिए है स्पेशल इंश्योरेंस, जानें क्या हैं नियम, शर्तें और फायदे

Insurance Tips : आजकल कैंसर, हार्ट अटैक और गुर्दे और लीवर से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों आदमी को घेर रही हैं। गंभीर बीमारियों का इलाज लंबे समय तक चलता है, जिससे वित्तीय बोझ बढ़ता है। ऐसे में बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के साथ-साथ क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेना बहुत जरूरी है।

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Insurance Tips : क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस लेने के बहुत से लाभ है। इसमें न केवल गंभीर बीमारियों से कवर मिलता है, बल्कि चुकाए गए प्रीमियम पर सेक्शन 80डी के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है।

भारत की लगभग सभी बड़ी बीमा कंपनियां क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस प्‍लान मुहैया कराती हैं। क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में बीमित व्‍यक्ति को एकमुश्त बीमा राशि प्रदान की जाती है, जो बीमा पॉलिसी के तहत कवर की गई गंभीर बीमारियों के इलाज पर खर्च हुई है।

क्‍या है क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस ?

पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के अनुसार, क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस सामान्‍य स्‍वास्‍थ्‍य बीमा से काफी अलग है। यह इंयोरेंस पॉलिसी एक व्‍यक्ति को जानलेवा बीमारियों के इलाज पर होने वाले खर्च की भरपाई करती है। कैंसर सहित अन्‍य गंभीर बीमारियों के इलाज पर बहुत ज्‍यादा खर्च होता है।

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क्रिटिकल इलनेस प्लान के तहत किसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए पूरी सम इंश्योर्ड राशि मिल जाती है। इसमें ट्रीटमेंट और केयर कॉस्ट भी शामिल होता है।

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गंभीर बीमारियों जैसे कि ट्यूमर, कैंसर, हृदय रोग और किडनी फेलियोर जैसी करीब 36 बीमारियों को भी एक क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस पॉलिसी कवर कर सकती है।

हालांकि, कवर होने वाली बीमारियों की संख्‍या अलग-अलग बीमा कंपनियों द्वारा दी जा रही क्रिटिकल हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसीज में अलग-अलग है।

हॉस्पिटेलाइजेशन जरूरी नहीं

क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस प्‍लान में क्‍लेम पाने के लिए बीमारी के इलाज हेतु अस्‍पताल में दाखिल होना जरूरी नहीं है। केवल इलाज कराने पर ही बीमा कंपनी एकमुश्‍त राशि का भुगतान कर देती है। इस बीमा पॉलिसी में वेटिंग पीरियड बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। वैसे आमतौर पर य समय पॉलिसी खरीदने की तारीख से 30 दिन का होता है।

मिलती है टैक्‍स छूट

क्रिटिकल इलनेस हेल्‍थ पॉलिसी में पॉलिसीहोल्‍डर प्रीमियम पर आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत टैक्‍स 1,50,000 रुपये तक की टैक्‍स छूट प्राप्‍त कर सकता है। वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए यह छूट 2,00,000 रुपये तक है।

जल्‍द लें पॉलिसी

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी को जीवन या स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के साथ राइडर के तौर पर भी लिया जा सकता है। आमतौर पर राइडर के तहत महज उतना ही कवर मिलता है जितना बेस पॉलिसी का है।

क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान को कम उम्र में ही ले लेना चाहिए, ताकि प्रीमियम के रूप में कम राशि चुकानी पड़े। अधिक उम्र में इस प्रकार का प्लान खरीदने का एक और नुकसान यह है कि फिर कम बीमारियों को लेकर ही कवरेज मिल सकता है।

विभिन्न बीमा कंपनियों ने गंभीर बीमारियों के इलाज के बाद या पॉलिसी खरीदने के बाद क्लेम के लिए कुछ निर्धारित समय तय किया है। कुछ बीमा कंपनियां पॉलिसी खरीदने के 90 दिनों के बाद कवरेज राशि देती हैं और गंभीर बीमारियों का इलाज होने के 30 दिनों बाद तक जीवित रहने पर क्लेम का मौका देती हैं।

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Written by Newsghat Desk

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