Paonta Sahib: गुरुद्वारा पांवटा साहिब में बंदी छोड़ दिवस की धूम! गुरु हरगोबिंद जी की याद में कथा और कीर्तन
Paonta Sahib: सिख धर्म का पवित्र पर्व, बंदी छोड़ दिवस, आज रात गुरुद्वारा पांवटा साहिब में धूमधाम से मनाया जा रहा है। गुरुद्वारा पांवटा साहिब के मैनेजर सरदार जागीर सिंह ने बताया कि इस खास मौके पर गुरुद्वारा में कथा-कीर्तन का आयोजन होगा।
Paonta Sahib: गुरुद्वारा पांवटा साहिब में बंदी छोड़ दिवस की धूम, गुरु हरगोबिंद जी की याद में कथा और कीर्तन
इस पर्व को हर साल गुरु हरगोबिंद जी की कैद से रिहाई के ऐतिहासिक क्षण की याद में मनाया जाता है। गुरुद्वारा पांवटा साहिब में आज बंदी छोड़ दिवस का आयोजन श्रद्धा और उत्साह के साथ किया जा रहा है।
इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि यह गुरु हरगोबिंद साहिब जी के साहस की याद दिलाता है। सिख समुदाय इसे एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाता है, जिसमें सभी गुरुद्वारों में कथा कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
गुरुद्वारा में दीपमाला और कीर्तन का आयोजन
सरदार जागीर सिंह ने बताया कि इस पर्व की शुरुआत दीपमाला के साथ होगी। शाम को गुरुद्वारा पांवटा साहिब में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी, जहां गुरु की महिमा में विशेष कथा और कीर्तन का आयोजन किया जाएगा। श्रद्धालु इस मौके पर अपने परिवार के साथ गुरुद्वारा आकर गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करेंगे।
बंदी छोड़ दिवस का महत्व
बंदी छोड़ दिवस गुरु हरगोबिंद साहिब जी की उस महान घटना का प्रतीक है, जब उन्हें मुगल सम्राट जहांगीर ने रिहा किया था। गुरु जी ने अपनी रिहाई के साथ 52 अन्य हिन्दू राजाओं को भी रिहा करने की शर्त रखी थी। जिसमें कई पहाड़ी राजा शामिल थे। इस घटना को स्वतंत्रता, करुणा और न्याय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
पर्व का आयोजन पूरे सिख समुदाय में
बंदी छोड़ दिवस न केवल गुरुद्वारा पांवटा साहिब, बल्कि पूरे सिख समुदाय में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन को दीपावली के दिन के साथ जोड़ा जाता है, जिससे गुरुद्वारों की रौनक और भी बढ़ जाती है। लोग इस दिन को अपने परिवार के साथ गुरुद्वारों में जाकर मनाते हैं, और गुरु की शिक्षाओं को याद करते हैं।
बता दें कि बंदी छोड़ दिवस का आयोजन एक ऐसा अवसर है जब सिख समुदाय अपने गुरुओं के बलिदान और संदेशों को दोबारा जीवंत करता है। इस अवसर पर गुरुद्वारा पांवटा साहिब में आने वाले श्रद्धालु गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करेंगे और समाज में शांति, करुणा, और न्याय का संदेश फैलाने का संकल्प लेंगे।
इस प्रकार का आयोजन सिख धर्म की समृद्ध परंपराओं का हिस्सा है और समुदाय के भीतर भाईचारे और एकता की भावना को मजबूत करता है।
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