Paonta Sahib: प्राकृतिक खेती अपनाएं सुधरेगी मिट्टी की सेहत और मिलेगा सुरक्षित भोजन : केवीके सिरमौर
Paonta Sahib: केंद्र सिरमौर (धौलाकुआं) द्वारा प्राकृतिक खेती पर ज़िला स्तरीय जागरूकता शिविर का आयोजन केंद्र के परिसर धौलाकुआं में किया गया।
इसमें हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के निदेशक, प्रसार शिक्षा डा. विनोद कुमार शर्मा मुख्य अतिथि थे और उन्होंने दीप प्रज्वलित कर किसान जागरूकता शिविर का शुभारंभ किया। डा. विपन शर्मा, सह- निदेशक, प्रसार शिक्षा विशिष्ट अतिथि के तौर पर शिविर में उपस्थित हुए।
इस बैठक में डा सुखदेव पलियाल, सह निदेशक, अनुसंधान केंद्र, धौलाकुआं, डा विशाल राणा, सह निदेशक, औद्यानिकी अनुसंधान केंद्र, डा धीरेंद्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, डा साहब सिंह, परियोजना निदेशक, आत्मा सिरमौर, डा राजेंद्र ठाकुर, उप कृषि निदेशक, सिरमौर, बिक्रमजीत सिंह, डीडीएम नाबार्ड, डा सुनील शर्मा, खाद्य सुरक्षा अधिकारी सिरमौर, डा राजेश धीमान सचिव ऐपीएमसी पांवटा साहिब, डा रश्मि भटनागर, कृषि विकास अधिकारी, डा नेहा शर्मा, मृदा परीक्षण अधिकारी, धौलाकुआं, केंद्र के अन्य वैज्ञानिक एवं जिला सिरमौर के प्रगतिशील किसान एवं कृषि दूत कुंदन सिंह शास्त्री, रामभज चौहान, रंजीत सिंह, जसविंदर कौर, मीरा देवी के साथ साथ जिला सिरमौर के दूरदराज के क्षेत्रों से आए 200 से भी अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन हेतू आयोजित किए शिविर में किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा में भाग लिया।
यह गौ आधारित खेती और इसमें रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता है। इससे बेहतर उपज होने के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।
मुख्य अतिथि ने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने व ज़हर मुक्त कृषि उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित किया। डा विनोद कुमार शर्मा ने किसानों को पोषक अनाज यानी मिलेट्स के उत्पादन व इनके प्रबंधन पर भी किसानों से जानकारी साँझा की I
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक तथा विभागाध्यक्ष डा पंकज मित्तल जी ने बताया की आज के समय में किसानों की लागत खर्च को कम करने के लिये प्राकृतिक खेती आवश्यक है।
यह गाय के ऊपर आधारित खेती हैं, जिसमें रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है।श्रीमती संगीता अत्री, वैज्ञानिक गृह विज्ञान ने मिलेटस के पकवान बनाने की विधि के बारे में किसानों को जानकारी दी।
डा सौरव शर्मा, विशेषज्ञ सस्य विज्ञान ने बताया की अगर किसान प्राकृतिक खेती को अपनाए तो उनको किसी भी तरह की रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने कहा की अगर किसान तकनीकी रूप से सीख कर इस खेती को अपनाए तो मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि होगी।
बीजा मृत, घन जीवामृत, जीवामृत तथा नीम से तैयार होने वाली कीटनाशक दवा के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
प्राकृतिक विधि से खेती करने से मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं तथा केंचुओं की संख्या तथा मिट्टी में जैविक कार्बन तथा जीवांश पदार्थ की मात्रा में भी वृद्धि होती है और मिट्टी के पीएच मान में सुधार होता है।
डा शिवाली धीमान ने पौधों में बीमारियों के प्रबंधन पर प्रकाश डाला। डा हर्षिता सूद ने देसी गाय प्रबंधन के बारे में उपस्थित किसानों से संवाद किया।
डा भीम पारीक विशेषज्ञ मौसम विज्ञान ने किसानों को मौसम पूर्वानुमान, जलवायु अनुकूल खेती के बारे में अवगत कराया I